आत्मविश्वास की शक्ति प्रेरक कहानी | Best Story On Power Of Self Belief
दो मिनट और तीन गोल क्या ऐसा कर पाएगी रियल चैलेंजर्स कि ये टीम ? क्या ये अपने पुराने जीत के इतिहास को दोहरा पाएंगी ? काफी मुश्किल लग रहा है सबकी निगाहें टीम के कप्तान पर टिकी हैं । जब से योगेंद्र ने टीम की कप्तानी संभाली है तब से लेकर आज तक यह चैंपियनशिप, रियल चैलेंजर्स की टीम कभी भी नही हारी तो क्या आज फिर से कोई चमत्कार दर्शको को यहां देखने को मिलेगा ।
“देखो बेटा हमारे पास ज्यादा पैसे नहीं हैं ऐसे में तुम्हें अपना भविष्य बनाने के लिए कुछ तो कड़ी मेहनत करनी ही होगी । हम जैसे लोगों के लिए फुटबॉल एक अच्छा विकल्प है इसमें कड़ी मेहनत करके तुम अपना भविष्य संवार सकते हो । दुनिया में और भी बहुत सारे काम है मगर मुझे लगता है कि उनके लिए ज्यादा पैसों की आवश्यकता होगी । मगर जहां तक फुटबॉल का सवाल है इसमें सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी मेहनत की आवश्यकता है “
जब यह बात उसकी माँ को पता चलती है तब वह उसे बहुत समझाती हैं परंतु कभी माँ की बातों से प्रेरित होकर नए जोश से भर जाने वाले मनोज पर माँ की बातों का आज कोई असर नहीं हो रहा था ।
धीरे-धीरे उसे फुटबॉल छोड़े काफी वक्त गुजर जाता है परंतु उसका मन घूम फिर के फुटबॉल मे ही लगा रहता। जैसे ही कोई फुटबॉल खेलता उसे नजर आता उसके कदम वहीं के वहीं ठहर जाते । उन्हें खेलता देखकर उसमे दुबारा से खेलने की इच्छा जाग जाती है ।
“तुम सदैव इस लाल धागे को अपने हाथ पर बांधे रखना यह लाल धागा तुम्हारी किस्मत चमकाने में तुम्हारी काफी मदद करेगा, तुम्हारे पिता की माने तो साधु की कही बातों में वाकई सच था । उस लाल धागे को अपने हाथ पर बांधने के बाद उन्होंने ढेरों सफलताएं हासिल की.. उन्हें कभी असफलता का मुंह नहीं देखना पड़ा”
फाइनल मैच से पहले मनोज अपने घर आया और अपनी माँ को मैच देखने के लिए स्टेडियम चलने का अनुरोध करने लगा । मनोज की माँ को आज फिर वही पुराने दिन याद आने लगा । जब वह मनोज के पिता को मैच खेलते देखने के लिए स्टेडियम में जाया करती थी हालांकि तब वह युवा हुआ करती थी । आज वह वक्त के साथ-साथ वह काफी बूढ़ी हो चुकी थी ।
अब एक बार फिर वही स्थिति सामने थी दो मिनट और तीन गोल बस फर्क यह था कि तब टीम की कमान योगेंद्र के हाथों में थी और आज टीम की कप्तानी मनोज कर रहा था । इस सिचुएशन को देखते ही मनोज की माँ को उसके पिता के उस मैच की याद आ गई । बस फिर क्या था, मनोज ने वह लाल धागा चुम्मा और बॉल की तरफ दौड़ पड़ा । अंतिम 3 मिनट के खेल में उसने वो साहस और पराक्रम का दर्शन कराया जिसके सामने विरोधी टीम की सारी योजनाए धरी की धरी रह गई । कभी उसे चैंपियन-चैंपियन कह के चिढ़ाने वाले उसके दोस्त दोनों हाथों से तालियां बजाकर उसे चैंपियन-चैंपियन कहे जा रहा थे । आखिरकार मनोज ने 2 मिनट में तीन गोल दागकर एक बार फिर से इतिहास को अपने नाम कर लिया । रियल चैलेंजर्स की टीम ने चैंपियनशिप जीत ली ।
वह अपने सभी साथी खिलाड़ियों को छोड़ माँ की तरफ बढ़ा । माँ के पास पहुंचकर अभी वह कुछ कहता की तभी मां ने कहां
“क्या तुम्हें समझ आया कि असल ताकत लाल धागे में नहीं बल्कि तुम्हारे सोच में है, इस लाल धागे ने तुम्हारे अंदर सिर्फ एक विश्वास भरा और उस विश्वास की शक्ति ने तुम्हें आज कहां से कहां लाकर खड़ा कर दिया । तुम वही मनोज हो जो कभी इस फुटबॉल को अलविदा कह चुके थे । तुम मान चुके थे कि तुम इस खेल के लिए कभी बने ही नहीं थे । तुम्हारे अंदर इस खेल के लिए जिन गुणों का होना आवश्यक है वह तुम्हारे अंदर है ही नहीं फिर तुम कैसे आज इतने सफल फुटबॉलर बन गए ? तुम्हें लगा कि बस यह लाल धागा ही तुम्हें आज तक जीत दिलाता आया है जबकि यह लाल धागा तो दो मिनट और तीन गोल की दौड़ में जाने कब का तुम्हारी कलाई से खुलकर गिर चुका था । मगर मैंने तुम्हें जानबूझकर नहीं बताया क्योंकि मैं जानती थी कि तुम किसी चमत्कारी धागे की वजह से नहीं बल्कि अपने आत्मविश्वास और दृढ निश्चय के कारण जीत रहे हो । जब किसी काम को आजमाने की बजाय उसे पूरे आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय के साथ किया जाता हैं तो उस काम में सफलता अवश्य मिलती है “
इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है | Moral Of This Inspirational Hindi Story
सफलता के लिए सिर्फ और सिर्फ जो बात सबसे महत्वपूर्ण है वह है विश्वास, सफलता का विश्वास !
सफलता के लिए जो एक बात सबसे जरूरी है वह है विश्वास को बनाए रखें । इसे कभी कम न होने दें ।