असफलता का सबसे बड़ा कारण क्या है – प्रेरणादायक हिन्दी स्टोरी | What Is The Biggest Reason For Failure – A Top Moral Story In Hindi
लोगों उसे काफी पसंद करते । कस्टमर जो चाहता और जैसा चाहता बुधिया उसे उसकी इच्छा से कहीं ज्यादा बेहतर करके और काफी कम समय में देता । जिसके कारण लोग उसके काम के दीवाने हो गए । जो लोग उसके पिता के काम से असंतुष्ट होकर मार्केट में आए नए-नए कारीगरों के पास चले गए थे । वे भी बुधिया के काम के बारे मे सुनकर वापस आने लगे ।
धीरे धीरे पूरे गांव जवार में बुधिया का नाम अपने काम के लिए प्रसिद्ध हो गया । बुधिया के काम की दो सबसे बड़ी विशेषता ये थी कि एक तो उसके काम में फिनिशिंग बहुत बढ़िया थी साथ ही वह हर काम को सुपरफास्ट अंदाज में करता था ।
“एक तुम ही हो जिसका मैंने इस क्षेत्र में बड़ा नाम सुना है मैंने सूना है कि तुम अपने काम को बड़ी सफाई से करते हो और बड़ी अच्छी-अच्छी डिजाइने बनाकर लोगों को देते हो । जिसके कारण सारा गांव तुम्हीं से अपना काम करवाता है । मैं चाहता हूं कि यह जिम्मेदारी तुम लो मगर हां, करने से पहले यह सोच लो कि तुम्हारे पास सिर्फ दो दिनो का ही वक़्त है । अगर तुम ये सारी चीजें वक्त रहते बना कर मुझे दे पाए तो मैं तुम्हें न सिर्फ इनका उचित मूल्य दूंगा बल्कि तुम्हें मुँह मांगा इनाम भी दूंगा ।
बुधिया को, सेठ जी द्वारा उससे किया गया वादा याद आ गया । उसने सेठ जी से कहा
“वैसे तो मुझे अपनी कारीगरी के दम पर किसी बात की कोई की कमी नहीं है, हाँ ये जरुर है कि कस्बे में मेरी कोई दुकान नही है जिसकी वजह से मेरी आमदनी दुसरे कारीगरों से थोड़ी कम है”
“बस इतनी सी बात है यह तो मेरे बाएं हाथ का खेल है”
सेठ जी ने अपने आदमी से कहा
“मार्केट में हमारी जो दुकानें हैं उनमें से एक दुकान बुधिया को दे दो”
सेठ जी से यह बातें सुनकर बुधिया के पैर तो मानो जमीन पर ही नहीं टिक रहे थे । अब बाजार के अन्य कारीगरों से बराबरी कर सकता था ।
एक दिन गांव का जमीदार बाजार से गुजर रहा था तभी सेठ जी की दुकान रास्ते में पड़ी सेठ जी के बुलाने पर जमीदार साहब सेठ की दुकान में गए । काफी देर तक सेठ जी ने जमीदार की आवभगत की बातों बातों में जमीदार ने बताया कि उसके घर अगले महीने एक कुछ कार्यक्रम है ।
“सेठ जी अभी तो जमींदार साहब के कार्यक्रम में काफी समय है आप चिंता न करें में उनका ऐसा काम करूंगा की सब देखते रह जाएंगे”
“अब तक समान क्यों नहीं पहुंचाया”
“बस-बस हो गया है, सरकार बस अभी पहुंचाए देता हूँ”
उनके जाने के बाद बुधिया के हाथ पांव फूल गए । जो काम वह दो मिनट में कर सकता था । वही काम करने में उसे आधे-आधे घंटे लग रहे थे ।
Moral Of The Story
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