शेख चिल्ली के मजेदार कारनामे, कहानी, और किस्से हिन्दी में Shekh Chilli
बहुत समय पहले की बात है एक गांव में मियां शेखचिल्ली रहा करते थे । मियां शेखचिल्ली वाकई बहुत गरीब थे । मियां शेखचिल्ली के पास न तो खाने को अनाज था न पहनने को अच्छे कपड़े, उनकी दो वक्त की रोटी का जुगाड़ भी बहुत मुश्किल से हो पाता था । गांव में मियां शेखचिल्ली की गरीबी का मजाक उड़ाने वालों की भी कोई कमी नहीं थी परंतु इसमें बहुत सारा दोष मियां शेखचिल्ली का ही था ।
असल में मियां शेखचिल्ली वास्तव में बहुत आलसी थे । उन्हे सिर्फ काम की योजनाएं बनाने आती थी मगर जब उन योजनाओ को अन्जाम देने का वक्त आता था तब वे अपने सपनों की दुनिया में डूब जाते । मियां शेखचिल्ली काम करने से पहले ही उस काम के सफल होने पर मिलने वाले धन की बदौलत हवाई किले बनाने में जुट जाते । मियां शेखचिल्ली काम तो तभी करते जबतक पेट की भूख बर्दाश्त के बाहर हो जाती ।
एक बार मियां शेखचिल्ली नदी किनारे मछलियां पकड़ने में लगे थे । उन्हे वहां काफी देर हो चुकी थी परंतु एक भी मछली उनके जाल में नही फंसी थी । शेखचिल्ली यही सोच रहे थे कि आखिर उनके भाग के सितारे कब चमकेंगे तभी अचानक उनके जाल में शायद कोई मछली फंसी उसे देखकर मियां शेखचिल्ली की भौंहे तन गई ।
असल में उनके जाल में एक बहुत बड़ी मछली फंसी थी । वह इतनी बड़ी थी कि जिसे मियां शेखचिल्ली अकेले बाहर लाने मे असमर्थ थे इसलिए उन्होंने आसपास मौजूद मछुआरों की मदद से उसे बाहर निकाला ।
चूँकि मंडी लगने में अभी काफी वक्त था और काफी देर से मछलियों को पकड़ने की जुगत मे लगे मियां शेखचिल्ली अब काफी थक चुके थे इसलिए उन्होंने मछली को नदी के किनारे लाकर, पास पड़े छप्पर के नीचे जाकर बैठ गए और थोड़ा आराम फरमाने लगे वैसे भी, इतनी बड़ी मछली हाथ लगने से मियां शेखचिल्ली के पांव आज जमीन पर नही थें उनकी खुशी का ठिकाना नही था । इस मछली को बेचकर मियां शेखचिल्ली के अब तो कई सपने पूरे होने वाले थे ,
मियां शेखचिल्ली सोचने लगे कि इस मछली को मंडी मे बेचकर वो अपने लिए दो जोड़ी नए कपड़े सिलवाएंगे और साथ मे एक नया जूता भी खरीदेंगे क्योंकि काफी दिनों से उन्होंने न तो नए कपड़े सिलवाए थे और न ही नया जूता खरीदा था थे ऐसे मे दोनों का हाल बहुत बुरा है । जहां एक तरफ उनके कपड़े तार-तार हुए जा रहे थे तो वहीं दूसरी ओर जूते भी उनकी निर्धनता पर मुंह फाड़ कर हंस रहे थे । जिसका गांव वाले अक्सर खुब मजा लिया करते । खैर अब कोई चिंता की बात नही थी क्योंकि अब तो अच्छे दिन आने वाले थे।
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मियां शेखचिल्ली ने कपड़ों और जूतों के साथ ही एक अंगोछा भी लेने की सोची । जिसे सर पर बांधकर वो एकदम गांव मे मुखिया जैसे दिखेंगे । इन्ही हवाई किलो को बाधते-बाधते न जाने कब उनकी आंख लग गई ।
छप्पर की छांव पाकर काफी थके हुए मियां शेखचिल्ली काफी गहरी निद्रा में समा गए । तभी न जाने कहां से वहां काले बादल आ गए । उन बादलों के आते ही चिलचिलाती धूप कहीं गायब हो गई । चारों ओर अंधेरा फैल गया और थोड़ी ही देर में जोरों की बारिश शुरू हो गई । बारिश का पानी तेजी से समतल भूमि से होता हुआ नदी की तरफ जाने लगा ।
तभी अचानक बिजली की गड़गड़ाहट से मियां शेखचिल्ली की आंख खुली । पानी की तेज धारा को नदी की ओर जाता देख वो मछली की ओर तेजी से भागे परंतु पानी की धार इतनी तेज थी कि वह मियां शेखचिल्ली को पछाड़ते हुए उनसे पहले मछली के पास पहुंच गई और अपनी धारा के साथ उसे बहाते हुए नदी में लिए चली गई ।
नदी में पहुंचते ही मछली के जान में जान आ गई और वह तेजी से वहां से भाग निकली । बेचारे मियां शेखचिल्ली उसे पकड़ने के लिए नदी में कूद पड़े मगर विशालकाय मछली मियां शेखचिल्ली के सपनों को चूर चूर करते हुए न जाने कहां गुम हो गई । नदी में पहुंचकर मियां शेखचिल्ली कभी पानी को तो कभी अपने माथे को पीटते परंतु अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत ।
कहानी से शिक्षा | Moral Of This Best Inspirational Story In Hindi
इस हिंदी कहानी से हमें दो शिक्षा मिलती है
लक्ष्य को पूर्णतया हासिल करने तक अपना ध्यान लक्ष्य पर टिकाए रखें !
सपने देखना अच्छी बात है परंतु अपने सपनों को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास करना भी आवश्यक है !