जीवन में अवसरों की पहचान- प्रेरणादायक हिंदी कहानी |Identifying Opportunity In Life
एक ही गांव के रहने वाले गोपाल, बिरजू और सूरज बचपन से ही बहुत अच्छे दोस्त थे। तीनों में बड़ी गहरी मित्रता थी। तीनों का साथ खेलना रहना हुआ करता था। जब वे थोड़े बड़े हुए तो उनका दाखिला गांव के प्राथमिक विद्यालय में एक ही कक्षा में हुआ।
अब तो वे एक दूसरे के साथ और भी ज्यादा समय साथ रहने लगे।
तब ये तीनों उसके जाल को ही जिसे उसने मछलियां पकड़ने के लिए तलाब में बिछाया था। उसके न रहने पर चुपके से उसे उठाकर तालाब के बाहर कर देते। बेचारा मछुआरा इधर उधर घूमने के बाद, ये सोचकर की
“अब तक तो आज का काम हो गया होगा। कुछ मछलियां तो जाल में फंसी गई होंगी”
वो वापस आता पर वहां नजारा तो कुछ और ही रहता उसकी कल्पना के मुताबिक वहां कुछ भी नहीं होता और ये तीनों दूर झाड़ियों में छुप कर उसको देखते रहते वह गुस्से में इधर-उधर नजरें घुमा कर ऐसा करने वालों को ढूंढता रहता।
भोले भाले दिख रहे, उन बच्चों से मदद की आशा में मछली ने तुरंत उन्हें आवाज़ लगाई और उनसे मदद के लिए विनती करने लगी। मगर उन्होंने मछुआरे को जाते हुए नहीं देखा था।
“हमें नही रखना तुम्हें रखना हो तो रख लो”
ऐसा कहकर दोनों उसका मजाक उड़ाने लगे और उस पर जोर जोर से हंसते हुए वहां से चले गए।
“आखिर मछली ने जाते जाते वो टुकड़ा उनकी तरफ ही क्यों फेंका”
सूरज को वो टुकड़ा कुछ खास लग रहा था। ऐसे में उसे वहां न छोड़ कर उसने उसे एक पत्ते में लपेटकर जेब में रखकर अपने साथ घर ले गया। घर पहुंच कर जब उसे सूरज ने अपने पिता को दिखाया। तो पिता उसे बस देखते ही रह गए।
Moral Of The Story
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