सुनिता | Struggle Story Of Woman In Hindi

होली का दिन सभी के लिए खुशियों का  दिन होता हैं मगर सुनीता  के लिये ये महज एक  त्यौहार था। वह दोनों  बेटीयों कि खुशी के लिये सारी तैयारी कर रही थी । वह रंगो से कोसो दूर रहती उसे रंग पसन्द नही थे, उसे भी होली बहुत पसन्द थी लेकिन  आज समय उसके लिये बदल गया था। रंगो से उसे बहुत प्यार था । होली के बीतने के बाद  वह कुछ काम से मार्केट आयी थी। वैसे तो वह कभी अकेले मार्केट नही आती थी,  लेकिन आज वह  अकेले ही आई थी , शाम के 8 बजे  थे ऑटो का इतंजार कर रही थी कुछ ही देर मे के एक ऑटो आ कर रुका तभी कोई पीछे से बोला आटो वाले  उसे  बोला ……
” नही जाना है”
सुनीता पीछे मुड़कर देखी तो कोई जाना पहचाना चेहरा सामने  था । लेकिन उसने उसकी बात को अनसुना कर दिया  लेकिन उसने पीछे से फिर उस शख्स ने आटो वाले से बोला ….
“मना किया न नही जाना तुझे बात समझ मे नहीं आ रही है “
   ऑटो निकल गया , सुनीता चुप वही खड़ी थी उसने कुछ नही कहा लेकिन ऑटो के पीछे ही   आकाश खड़ा था जो सब कुछ देख रहा था
आकाश – “ आप को क्या प्रोब्लम है क्यो परेशान कर रहे हैं , जब वह ऑटो से जाना चाहती थी तो तुमने उनको जाने क्यों नहि दिया “
अमरनाथ– “ तुझको क्या दिक्कत है  तू जा “
  उसकी जुबान लड़खडा  रही थी और वह कुछ हील रहा था शायद उसने पी रखी  थी । आकाश को जैसे  ही ये लगा  वह अपनी बाइक खड़ी कर
आकाश – मैम  आप इसे  जानती है
सुनीता – नही
आकाश – इसने पी रखी है , आप को कही छोड़ दू
   सुनीता  आकाश के साथ चली गई , अमरनाथ पीछे से बोलता रहा रुको रुको , सुनीता के बताये एड्रेस पर आकाश  कुछ समय मे पहुँच गया था
सुनीता – “ आओ आकाश “
सुनीता ने दरवाजा खोला और अन्दर चली गई  आकाश  वही सोफे पर बैठ गया , सुनीता कुछ देर के बाद पानी लेकर आई
 सुनीता – पानी पीयो मै चाय बना कर लाती हुँ  ,
आकाश – नही रहने दीजिये
सुनीता –बैठो  घर आये हो तो चाय तो पी कर ही जाना पड़ेगी
  थोड़े देर मे सुनीता चाय लेकर आ गई , चाय पीते हुए  आकाश ने पुछा
आकाश – आप चुप क्यों थी आप ने कुछ भी नही कहा क्यों , उसने पी रखी थी ऐसे लोग मुझे एकदम पसंद नही
  सुनीता ने आकाश की बात को काटते हुए कहा
तुम क्या करते हो
आकाश – बैंक मे हुँ , यही पास मे , एक रूम ढूढ रहा हुँ , पहले मै जहाँ रहता था वहाँ से दुर है ये बैंक
सुनीता – पहले कहाँ थे तुम
आकाश – बस जहाँ  आप से मुलाकात हुई वही बगल मे ही मेरा ऑफिस था , अभी एक वीक हुआ यहाँ पर आ गया हुँ , आप की नजर मे कोई रूम हो तो बताईयेगा  ,
 सुनीता – जरुर
आकाश ने सुनीता जी का नंबर लिया उस पर एक मिस कॉल किया
आकाश – ये मेरा नंबर है
 आकाश वहाँ से चला गया , आकाश के जाने के बाद  अनु  और रिया आई  ,
सुनीता – कहाँ चली गई थी तुम दोनों , बिना बताये घुमती रहती हो रात हो गई है
अनु – कही नही माँ  , हम दोनों बगल मे ही तो थे ,
सुनीता – कहाँ बगल मे ( थोडा गुस्से मे )
रिया – कविता दीदी  के घर , आप भी ना  बस ऐसे ही गुस्सा करती हैं
 सुनीत ने दोनों को गले लगा लिया ,
अनु – क्या हुआ माँ
सुनीता – कुछ नही
   रात मे बेड पर सुनीता की ऑखों मे नीद नही थी  , एक डर मन मे था , उधर आकाश भी सोच रहा था  की
आकाश – ( मन मे )  सुनीता जी ने कुछ भी नहीं कहा उस आदमी को ,ना हीं कोई  विरोध किया ,क्या वह उसे जानती थी या…. काम से थका था तो उसे नीद आ रही थी, वह किसी नतीजे पर पहुँचे बिना ही सो गया
   सुबह सुनीता रोज कि तरह ही उठी और अपने काम मे लग गई दोनो बेटीया सोई हुई थी , सुनीता अपना काम करती और बीच बीच मे अनु और रिया को जगाने के लिये उनके रूम मे आती
सुनीता –उठो  बेटा सुबह हो गई है तुम दोनों कब तक सोती रहोगी
अनु – बस पाँच मिनट माँ
सुनीता – ठीक है जल्दी उठो
  रिया को कोई फर्क नही पड़ा शायद रिया के कानो तक माँ कि आवाज भी नही पहुँची  , आज चुकी सन्डे था इस लिये सुनीता को भी कोई फर्क नही पड़ रहा था क्यों कि उसके पास साफ सफाई का काम बहुत था
  सुबह के 8; 30 बजे थे तीनो कॉफ़ी की प्याली के साथ बैठी थी
सुनीता –मैंने सोचा है कि शर्मा जी का ऊपर वाला कमरा खाली है , उसमे एक पेनगेस्ट रख लू
रिया – पेनगेस्ट क्यों ,
अनु – माँ पेनगेस्ट क्यों
सुनीता – बस वैसे ही
अनु – किस को रखोगी,  कोई अभी आया भी तो नही है
सुनीता – कल एक लड़का आया था , आकाश यही बैंक मे काम करता है उसे रूम चाहिए
रिया – लड़का है तो मना कर दो , फालतू के लफड़े करेगा
अनु – हाँ माँ कोई लड़की  आये तो रखना
सुनीता ने आकाश को रूम देने की सोच ली थी थोड़ी देर मे बेल बजी अनु ने दरवाजा खोला सामने आकाश खाड़ा था
अनु – जी कहिये
आकाश – जी यहाँ रूम खाली है ?
अनु – जी नही
आकाश – जी मुझे किसी ने बोला कि यहाँ रूम खाली है , शायद मै गलत जगह आ गय सॉरी
सुनीता – अनु कौन है (सुनीता को आवाज कुछ पहचानी लगी सुनीता डोर तक आई)
अनु –कोई नही माँ
अनु के कहने से पहले सुनीता अनु के पास आ गई थी
सुनीता – अरे आकाश तुम
आकाश  – जी मैम, मुझे भी यह घर कुछ जाना पहचाना  लग रहा था
सुनीता – आओ
अनु समझ गई थी की शायद यह वही लड़का है
रिया – दीदी ये कल वाला  तो लड़का नही है
अनु – शायद
रिया – दीदी स्मार्ट  है रूम दे देते है आप कहो तो
अनु – अभी तो तू मन कर रही थी , मुझसे क्यों कहा रही है माँ से कह
रिया –  मै तो आप के लिये सोच रही थी ( थोड़ी शरारती मुस्कान लिये हुए )
अनु – तू मत सोचा कर
सुनीता   – और आकाशा  बताऔ इधर कैसे ?
आकाश – जी रूम के लिये निकला था   किसी ने बोला  कि यहाँ रूम खाली है,  शायद कोई और घर होगा ,
आकाश के जाने के बाद
सुनीता – क्या सोचा तुम दोनो ने आकाश को रूम दे
रिया – हाँ माँ लड़का मुझे पसंद है दी के लिये ( हँसी के साथ )
 अनु – चुप रहो रिया , माँ आप जैसा सोचे
( माँ कि बात रखने के लिये अनु ने भी हामी भर दी लेकिन वो नही चाहती की आकाश या कोई और लड़का रूम मे आये )
शाम को 6 बजे सुनीता ने आकाश को फोन किया
सुनीता –आकाश  रूम मिला कोई
आकाश – जी नही मैम
सुनीता – मेरे घर एक रूम खाली है , तुम आकर रह सकते हो ,
आकाश –( बहुत खुश हुआ ) थैंक यू मैम
 आकाश दुसरे दिन  मंडे को रूम मे शिफ्ट हो गया,
शाम के समय सुनीता और आकाश  बैठे थे
आकाश – मैम  उस दिन आप ने उस शराबी को कुछ नही कहा  मुझे ये बात कुछ अजीब लगी मुझे लगा कि आप उसे जानती है
सुनीता चुप रही और अपनी कॉफ़ी ख़त्म करके किचन मे चली गई  , आकाश को उसके प्रश्न का उत्तर मिल चुका था वह शराबी सुनीता जी के लिये अनजान नही था  तो आखिर वो कौन था, दो बार आकाश के पूछने पर सुनीता जी ने एक बार भी नहीं  कहा, वह कह सकती थी कि वह उस शराबी को नही जानती है लेकिन उन्होंने ऐसा नही  किया क्या वह आकाश को बताना चाहती है कि वो शराबी कौन है  थोड़े देर मे  रिया अनु के आते कही आकाश का ध्यान टूटता है
रिया – लीजये आकाश जी
आकाश – मैं ये सब नही खाता हुँ ,
रिया – तो क्या केवल घास फुश  खाते है
आकाश – जी  , और आप भी खाया कीजिये हेल्थ अच्छी रहेगी
रिया –आकाश बाबु जिंदगी केवल घास फूस से नही चलती कुछ  ये भी  खा कीजिये
आकाश – जी आप ही खाईये
अनु – जब उनको नही खाना है तो क्यों परेशान कर रही है
रिया – अनु सच ही सोचा था लडको को नही रखना चाहिए , ये फालतू की राय  देते है
अनु  – तूने ही तो कहा रख लेते है
रिया – वो तो तुम्हारे लिये दी
अनु – चल तुझे रूम मे बताती हुँ
  रात को खाने पर सब साथ मे थे
रिया – लीजिये आकाश बाबु आ गया आप  का घास फुश अपने भी खाइए औरो को भी खिलाइये  ,( नाक सिकोड़ते हुए )
सुनीता – इसे तो घर का कुछ भी अच्छा ही नही लगता
   आकाश की नजरे आपने  सवालों को ढूढ रही थी और सुनीता जी  आकाश  की नजरो मे उसी सवालों को शायद पढ़ चुकी थी
अगले दिन
 सुनीता – आकाश  खाली  हो तो थोड़ा मार्केट चलते
आकाश – जी चलिए
रिया – कोई पेनगेस्ट क्यों  रखता है आज पता चला ,
अनु – क्यों
रिया – जब मार्केट जाना  हो साथ उसे ले जाओ
सुनीता – रिया ( थोडा प्यार भरे गुस्से के साथ )
सब के चहरे पर थोड़ी हँसी थी
सुनीता – हमे पता है  तुझे क्या प्रोब्लम है, तुझे तो केवल बाहर जा कर कुछ खाने को चाहिए  बस
रिया – तो ले चलिए न
सुनीता – ले नही चलुगी , तेरे लिये लेती आऊंगी
रिया का  चेहरा खिल गया
मार्केट का काम सुनीता ने ख़त्म कर लिया आकाश  बाइक निकाल रहा था सुनीता रोड पर मॉल के बहार ही आकाश का इन्तजार कर रही थी सामने अमरनाथ  आ कर  खड़ा हुआ आज फिर से उससे मुलाकात हो गई ,
सुनीता – आगे से हटो
आज  उसने पी नहीं रखी थी  आज  वह पूरे होश मे था
 अमरनाथ – कहा घूम रही हो
सुनीता – तुम को क्या , मेरे सामने से हटो
अमरनाथ कुछ कहता  उसके पहले आकाश आ गया
आकाश – अच्छा तो आप हो , क्या प्रोब्लम है , हटो सामने से ,
अमरनाथ – तू कौन है , चल जा अपना काम कर
सुनीता – चलो आकाश ऐसे लोगो के मुहँ नही लगते ,
सुनीता आकाश के साथ वहा से चली गई , थोड़ी देर बाद दोनों काफी शॉप पर बैठे थे काफी, एक घूट पीने के बाद
सुनीता – ये मेरा पति अमरनाथ  है  , (गुस्सा भी थी, और थोड़ी नाराजगी भी  थी शायद किस्मत मे मेरे यही था ) तुम को बताना चाहती थी लेकिन उसका नाम अपनी जुबान पर लाना नही चाहती थी
आकाश – क्यों साथ नही रहती आप आने पति के साथ  ?
सुनीता – कैसे रहेगा कोई ऐसे आदमी के साथ जिसको  औरत की इज्जत करने  नही आती हो , जब मन किया शराब की बोतल खो ली ( आखोँ से आँसू छलकने वाले थे की तभी फोन कि घंटी बजी , अनु का फोन था सुनीता ने फोन रिसीव किया )
सुनीता –  हाँ अनु बोलो
अनु – कहाँ हो माँ कितनी देर हो गया आप को गए हुए  और आकाश को बोलो जब फोन रखा है तो उसे  चार्ज भी कर लिया  करे। बड़ी मुस्किल  से  आपका फोन लगा है, आप को कितना देर से फोन मिला रही हुँ
सुनीता -बस  दस मिनट मे आ रही  हू अनु ,तुम फोन रखो ( जो भी दर्द सुनीता के ऑखो मे था वो कहा गायब हो गया था आँशुओ की बूँदे भी ऑखो मे  ही रह गई थी , अपने गमो को भुला कर एक माँ को अपने बच्चो कि याद आ गई थी
सुनीता- चलो आकाश  अनु का फोन था वह परेशान है देर हो गई है
आकाश – जी
सुनीता – अमरनाथ के मिलने कि बात अनु या रिया से मत करना , और न हीं उनके सामने उसके बारे मे कभी पुछना
थोड़ी देर मे दोनों  घर पहुच गए , दरवाजे पर ही अनु खड़ी थी
अनु – आकाश क्यों स्विच ऑफ रखा है फ़ोन, अगर फोन स्विच ऑफ रखना है तो फोन नंबर नही देना चाहिए किसी को
सुनीता – अरे उसे अन्दर तो आने दो
अनु दरवाजे पर से हटी आकाश अन्दर आया
आकाश – मैंने तो आप को अपना नंबर दिया ही नही था ( अनु के गुस्से को देखते हुआ आकाश को कुछ मस्ती सुझी )
रिया – दी,  ने मेरे फोन से आप  का नंबर लिया ,
आकाश – अच्छा
रिया – आकाश बाबु अब आप का क्या होगा , दि  बहुत गुस्से मे है, दि ने आप का नंबर  मेरे फोन से डिलीट कर दिया है
आकाश – ये दि कौन है
रिया – दि मतलब दीदी , अनु दीदी समझे आकाश बाबु
आकाश – समझा
आकाश ने अपना फोन  अनु को दे दिया बिना देखे की फोन ऑफ है या आन ,
अनु ने फोन लिया फोन आन था अनु का गुस्सा जो सातवें आसमान पर था वह एक दम से शांत हो गयी
रिया – क्या हुँ
अनु ने जब कुछ नहि बोला तो रिया ने फोन अनु के हाथ से ले लिया
रिया –  ये तो आन है ,
आकाश – जी मे अपना फोन आन ही रखता हुँ और फुल चार्ज भी रखता  हुँ समझ मे आया,
 सुनीता  किचन मे अपना काम कर  रही थी, हॉल मे आकाश  अनु और रिया बैठे थे  , रिया टीवी देखने मे मस्त थी
अनु – (हॉल से ही पुछा ) आप को इतनी देर कहाँ होगई आप ने तो कहा था थोड़ी देर मे आती हुँ
सुनीता –( किचन से ) एक परिचित मिल गए थे इस लिये थोडा लेट हो गया  बातो मे समय का पता ही नही चला,
रिया – ऐसे ही भूल न जाना कि आप कि दो बेटीयाँ और एक पेनगेस्ट भी है  ( पेनगेस्ट कहते हुआ थोड़ा मजाकिया मुस्काना थी )
सुनीता – कैसे भूल सकती हू, अब हो गई थोड़ी देरे आगे से नही होगी
रिया – और हो जाये तो फोन कर देना आकाश बाबु के फोन से ताकि यह पता चल जाये की उनका फोन आन है या ऑफ ( सबके उदास चेहर पर मुस्कान लाने वाला  कोई  था तो वह रिया थी अनु ने सोफे का पिलो खीच कर मारा रिया को  )
बैंक कि छुट्टी थी आकाश आज घर ही था अनु और रिया कविता के घर गई थी सुनीता ने भी अपना काम ख़त्म किया और हॉल मे आ कर  बैठ गई जहाँ पहले से ही आकाश बैठा था आकाश जानना चहता था उनके कल के बारे मे लेकिन कैसे पूछे यह उसे समझ मे नही आ रहा था
सुनीता – ( आकाश से ) आकाश सब यह सोचते है कि शादी के बाद उनके बेटे कि कमियाँ दूर हो जाएगी मगर वो यह नही सोचते  की यदि उनके बेटे के ऐब दूर नही  हुई तो एक लड़की की पूरी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी , और ऐसा अक्सर होता है लोग छुपा कर शादी कर देते है और लडकियों की जिंदगी बर्बाद कर देते है ,
( आकाशा बिना किसी सवाल के उनकी बाते सुन रहा था )
`सुनीता – ऐसा ही मेरे साथ भी हुआ मेरे साॅस ससुर ने भी अपने बेटे की शादी मुझसे, उसके के ऐब
शराब पीने के आदत को छुपा कर कर दी  , यह बात मुझे शादी के दुसरे दिन ही पता चल गया  कि अमरनाथ बहुत ही  ज्यादा  शराब पीते है
  जब मै  ससुराल पहुँची तो बड़े  रीति रिवाज के साथ मेरा स्वागत किया  गया। मेहमानों की भीड़ और बाहरी लोगो के आने जाने से दिन  बीत गया पति के दर्शन पुरे दिन नही हुए  पुर दिन वो अपने दोस्तो के साथ मस्ती कर रहे थे, रात को पार्टी चली सबने खूब पिया सुनीता दिन की थकी थी पति का इंतजार करते करते सो गई , दुसरे दी  ग्यारह बजे जब नींद खुली तो अमरनाथ घर आया, घर मे थोड़े बहुत ही रिश्तेदार बचे थे सब सुबह जा चुके थे , और सभी को पता था कि ये बहुत पीते है ,
बुआ –  रात भर पी कर कहा पड़े थे , बहू रात भर इंतजार करती रही थी तू दोस्तों के साथ  पार्टी मानने मे मस्त था
अमरनाथ – अरे बुआ सुबह सुबह क्या प्रवचन शुरू कर दिया अमरनाथ के कमरे मे घुसते ही सारा कमरा शराब की बदबू से भर गया ,  सुनीता को  कमरे मे घुटन सी हो रही थी सुनीता ने उनसे  कोई बात नही की, थोड़े देर मे ही अमरनाथ को समझ मे आ गया था कि सुनीता को दिक्कत हो रही है, वह रूम मे से बाहर चला गया ,
सासु माँ – अब कहाँ चला
अमरनाथ – अभी आता हुँ
पूरा दिन बीत गया अमरनाथ घर नही आया  आस पास के लोग आज भी सुनीता को देखने आते  रहे शाम को अमरनाथ आया, सुनीता से थोड़ी बाते कि फिर खाना खा कर वो अपने दोस्तों के साथ पीने चला गया ऐसा वो रोज करता, करीब दस दिन बीत गया
सुनीता – ( सासु माँ से ) माँ जी  ये ऐसे ही पीते है
सासु माँ  – नही बहु  , वह शादी के बाद यार दोस्तों के कहने पर पी लेता है बस
सुनीता के जाने के बाद
बुआ – आज तो उससे छुपा लिया कल उसे पता चलेगा तो
सासु माँ – आप चुप रहिये कल कि कल देखेगे , बहु  आ गई है सब छोड़ देगा
बुआ – आज दस दिन हो गये एक दिन भी वह बीना पीये नहीं रहा क्या छोड़ेगा ,मैंने पहले ही कहा था अभी इसकी शादी न करो पहले इसकी शराब छुड़ाओ  एक लड़की की जिंदगी बर्बाद न करो  ,  पर तुम तो अपने बेटे के मोह मे अन्धी हो गई थी
  बुआ जी भी जा चुकी थी  सासु माँ बहु की नजरो से बचती रही कही बहू कुछ पुछ न ले , सुनीता को समझ मे आ गया था कि ये एक नम्बर के  शराबी है ,
  सुनीता आज अमरनाथ  को जाने देने के मूड मे नही थी जैसे ही वह जाने के लिये तैयार हुआ
सुनीता – कहा जा रहे है
अमरनाथ – अभी आता हुँ
सुनीता – अभी आता हुँ कह कर जाते है और रात को पी कर आते है , आज नही जाना है और आज के बाद कभी नही जाना है
अमरनाथ पहले तो  सुनीता से प्यार से बात किया फिर वह अपनी असली औकात मे आ गया, मुझे जाने से मेरे माँ बाप भी नही रोकते तू कौन है रोकने वाली , रास्ते से हटो , शराब पीना है या नहि यह मै डिसाइड करुँगा तुम नही, तुम्हे हर सुख़ सुविधा मिलेगी लेकिन मुझे आज के बाद रोकना नही
सुनीता  रास्ते से  हट गई और बहुत दुखी हुई  , सासु माँ सब कुछ कमरे के बाहर खड़ी सबकुछ  सुन रही थी ,वह चुप थी,  कुछ दिनों के बाद सुनीता ने घर वालो को फोन किया और मायके चली आई , मायके आ कर उसने फैसला लिया कि वह ससुराल तभी जाएगी जब  वह पीना छोड़ देगे, सुनीता ने अपने ससुराल वालो की सारी बाते घरवालो को बताई , घरवालो ने उसकी ससुराल जा कर बात करने की बात कही लेकिन सुनीता ने मना कर दिया , इसी बीच सुनीता प्रेग्नेंट है ये  बात उसे पता चली नौ महीने बाद अनु का जन्म हुआ अनु के जन्म के बाद अमरनाथ सुनीता से मिलने आया
अमरनाथ –  (अनु को गोद मे उठाया) अपने बाप पर गई है
सुनीता – नहीं अपने माँ पर गई है
अमरनाथ – सुनीता गुस्सा थूक दो घर चलो , मैंने पीना बहुत कम कर दिया है  ,
सुनीता – छोड़ा तो नही
अमरनाथ –तुम साथ रहोगे तो वह भी छोड़ दुँगा
  मायके वालो के बहुत समझाने के बाद सुनीता ससुराल गई , सासु माँ के बहुत कहने पर अमरनाथ ने कुछ दिनों के  लिये पीना छोड़ दिया , कोई न कोई बहना  बना कर   वह चुपचाप पी लेता  , पर ये बात बीबी से कहा छुपने वाली थी
 एक दिन जब कोई नही था तब  अमरनाथ ने अपने घर पर शराब की पार्टी रखी  उसके सारे शराबी दोस्त  इकट्टठे हो गये और शराब की बोतल खुल गई रात भर सबने खूब पी , सुनीता अनु के साथ अपने कमरे मे ही रही अमरनाथ ने कई आवाज लगाई लेकिन सुनीता ने नही सुना  वह चुपचाप सो गई , सुबह जैसे जैसे-तैसे सबकी नींदे खुली सब अपने घर चले गए
अमरनाथ – तुमको रात मे बुलाया  तुम रूम बंद करके सो गई
सुनीता चुपचाप काम करती रही
अमरनाथ – तुमसे ही बात कर रहा हुँ
सुनीता –मैं  आप से कोई बात नही करना चाहती
अमरनाथ – क्यों
सुनीता -, ये कोई तरीक है ,घर है ये, इस तरह कि पार्टियाँ  घर मे कोई नही करता
अमरनाथ ने एक हाथ उठाया सुनीता ने हाथ को पकड़ लिया
सुनीता  -दो महीने का बच्चा है पेट मे नही होतो तो मै इसका जबाब दे देती तुम रोज पार्टी मनाओ मगर मुझ पर फिर से हाथ मत उठाना  तुम नही सुधरने वाले ,
 तीन चार दिन ऐसे ही पार्टी चली, सासु माँ के आने के बाद सुनीता ने सारी बात बताई सासु माँ चुपचाप सुनती रही
सुनीता को समझ मे आ गया  अमरनाथ जैसे आदमी के साथ रहना मुमकिन नही  , एक दिन वो फिर से मायके आ गई , अमरनाथ कई बार आया लेकिन वह नही गई  कुछ दिनो के  बाद  रिया का जन्म हुआ ,कुछ दिनों बाद मुझे टीचर की जॉब मिल गया
सुनीता ने अपने  जीवन कि पूरी कहानी आकाश को सुना दी  आज उसका मन बहुत हल्का हो गया था
आकाश – फिर आप कभी  मिली अमरनाथ से
सुनीता – नही मेरी पोस्टिंग यहा हुई है, ये केवल मेरे मायके वालो को पता थी , करीब ५ साल पहले एक बार रेलवे स्टेशन पर हम मिले , मिले क्या, हमारी  ट्रेन एक स्टेशन पर रुकी सामने  एक ट्रेन जा रही थी जिस मे  अमरनाथ बैठा था  उसके बाद बस दो बार हमारी मुलाकात हुई, जहा तुम मौजूद थे
सुनीता ने आपनी बीते कल की बात बता कर अपने मन को तो हल का कर लिया लेकिन आकाश के मन मे एक सवाल अभी भी था सुनीता जी ने उसे सारी बाते क्यों बता दिया  उसे
सुनीता अपने बेस्ट फ्रेंड कविता कि माँ हेमलता को  अपनी हर बात बताती थी सुनीता हेमलता से मिलने उसके घर गई
हेमलता – कैसी हो सुनीता , कहा गायब हो , पुरे एक वीक हो गये मिले हुये , घर गई तो तुम मिली ही नही
सुनीता –  कही नही गायब हुँ , ये सब  छोडो , मै तुमको कुछ बताने आई हुँ ,
हेमलता -क्या बात है
सुनीता ने आकाश और अमरनाथ के मिलने से ले कर के  आज तक की सारी बात हेमलता
को बता दिया
हेमलता – ( हैरानी  से)  क्यों किया ऐसा
सुनीता – मैं अनु और आकाश की  की  शादी कराना  चाहती हू
हेमलता – पहले आकाश और अनु से पूछ तो लिया होता  ,
सुनीता – पूछना तो चाहती थी मगर आकाश को मिलने के बाद  मुझे ऐसा लगा कि मेरी अनु के लिये यही सही लड़का है , अमरनाथ के मिलने से थोड़ी चिंता बढ़ गई है
हेमलता – उसकि चिन्ता छोड़ो हम सब है न , अनु और रिया अब बड़ी हो गई  है , तुझे डरने कि जरुरत
 नही
अनु सारी  बाते  सुन रही थी
आकाश – क्या सोच रही हो अनु
 अनु – कुछ नही
   अनु जाने लगी वहाँ से
आकाश – रुको अनु , इतनी सी बात के लिये कोई रिश्ता नही ख़त्म करता
अनु – आकाश मुझे तुम से कोई बात नही करनी है , अच्छा होगा की तुम यहाँ से चले जाओ ,तुम कोई और मकान ढूढ लो
आकाश कुछ कहता उसके पहले ही वो चली कई,
(अनु और आकाश की  बाते सुनीता सुन रही थी )
सुनीता – आकाश तुम अनु को पहले से जानते हो
आकाश – जी
सुनीता – कैसे
आकाश –  अनु  से  मेरी मुलाकात कॉलेज मे हुई हम दोनों एक अच्छे दोस्त बन गये
 आकाश को वो कॉलेज  के दिन याद आ गए
 सुनीता -फिर तुम लोगो मे क्या हुआ
आकाश –   मैने एक दिन  अनु से पुछा , अनु तुम्हारे घर मे कौन कौन है
अनु – मेरी माँ और मेरे छोटी बहन
आकाश – और पापा
अनु ने मेरे तरफ बहुत ही आश्चर्य भरी नजरो से देखा मुझे ऐसा लगा जैसे मेने उससे क्या चीज पूछ लिया
 अनु चुप थी ,मैंने दुबारा पुछ कर गलती की
आकाश – कोई बात है तो हमे बताओ
अनु – आकाश हम एक दोस्त है  , लेकिन इसका ये मतलब नही की तुम जो भी चाहो पुछो, कोई आपको कुछ नही बताना चाहत तो उसके लिये इतना प्रेसर क्यों कर रहे हो , मेरी जिन्दगी मे इतना इन्ट्रेस्ट लेनी की कोई जरूरत नही , बस अब कोई बात नही होगी(अनु को एकदम से गुस्सा आ रहा था )
आकाश – मुझे बहुत अजीब सा लगा मैं सोचता रहा कि मैंने  ऐसा क्या पूछ लिया जिससे वो इतनी नाराज हो गई , वो इस तरह का व्यवहार करेगी मुझे नही पता था मै उसे सॉरी बोलेने ही वाला था की वो वहा से चलीगी , अनु उस दिन के बाद मुझसे फिर नही मिली , न ही मेरा फ़ोन ही उठाया , कुछ दिन बात उसका नंबर बंद हो गया , उस समय  मेरे समझ मे ये नही आया था की उससे ऐसा क्या पूछ लिया था  मैने , आज पता चला  , उसकी नाराजगी की वजह आज पता चला  वह अपने पिता के बारे मे क्यू कुछ  नही बताना चाहती थी
  सुनीता खुश थी कि दोनों  एक दुसरे  को पहले से जानते  है और एक अच्छे दोस्त  भी है
   सुनीता ने एक दिन  अनु को आकाश के साथ बाहर भेजा जिससे दोनों एक दुसरे से मिल सके और उनकी बीच की दूरी मिट सके
आकाश – अनु मुझे तुमसे से कुछ कहना है
अनु – मुझे कुछ नही सुनना है,
आकाश – अनु  हम   अच्छे दोस्त थे और आज भी है  ,
अनु –  थे
आकाश – अनु तुम्हारी जिन्दगी है  और अपनी जिन्दगी जीने का  अपना तरीका है, तुम नही बताना चाहती थी तो न बताओ , मै तुम से उस दिन सॉरी बोलना चाहता था तुम बोलने से पहले ही चली गई
अनु चुप थी
आकाश – मै उस दिन तुमसे कुछ कहना चाहता था जो नही कह पाया  , अनु हम एक अच्छे दोस्त है लेकिन  मै  तुम को अंपनी जिंदिगी बनना चाहता हुआ ,
अनु- जिन्दगी आश्चर्यचकीत  थी  आकाश क्या कह रहे हो है  आकाश ने रेड रोज  अनु की तरफ बढ़ाया
आकाश – मै तुम से प्यार करता हुँ , और तुम से शादी करना चाहता हुँ
अनु को इसका  यकीन नही था कि आकाश ऐसा कुछ भी करेगा अनु सोच नही पा रही थी कि क्या करे, अनु ने रेड  रोजे नही लिया
अनु  – (मन मे सोच रही थी )  लास्ट ईयर मे आकाश उसका कुछ जज्यादा ही ख्याल करेने लगा था  उसकी फ्रेंड मंजू ने उससे कहा भी था कि आकाश उसको लाइक करता है शायद प्यार भी करता है लेकिन मैंने उसकी बात पर ध्यान नही दिया ,
आकाश – मै तुम्हारी हाँ का इतजार  करुगाँ,
अनु सोते समय आकाश और अपनी दोस्ती के पलो को याद करते करते सो गई …….
अगली सुबह  सुनीता अनु और रिया तीनो  हाल मे बैठे थे
सुनीता – अनु मै तुम्हारी  और आकाश की शादी कराना चाहती हुँ
रिया –( ख़ुशी हो कर )  कब माँ  , मैंने तो दि से पहले ही कहा था, आकाश बेस्ट रहेगे दि के लिये
सुनीता – अनु तुम क्या सोच रही हो, मै तुम्हारी शादी की बात कर रही हुँ ,
अनु – मैंने इस बारे मे कभी सोचा नही , बाद मे इस बारे मे बात करेंगे  (अनु उठ कर अपने कमरे मे जाने लगी)
 सुनीता – बैठो अनु , तुम आकाश को जानती थी मुझे  पहले से ये बात  पता है , बालकनी मे मैंने तुम दोनो कि बाते सुनी थी  अब कोई भी लड़का अगर किसी लड़की को लाइक करता है तो उसके बारे मे जानना चाहेगा अब इतनी सी बात के लिये तुम आकाश से रिश्ता कैसे ख़त्म कर सकती हो
अनु – मुझे नही पता था माँ कि ये मुझे लाइक करने लगा है  हम सिर्फ एक अच्छे दोस्त है ऐसा मै  सोचती थी मै अपने जिन्दगी के  बारे मे हर किसी से बात करना नही  चाहती थी मै उनके दया का पात्र बनना  नहीं चाहती थी  और न हीं  मै किसी के सामने कमजोर पड़ना चाहती थी , बस इसलिये मैंने उन सब से आज तक कोई रिश्ता नही रखा जो मेरे पास्ट के बारे मे जानना  चाहते थे , मै एक खुली किताब की तरह अपनी जिन्दगी को सब के समने नही रखना चाहती हुँ
      सुनीता ने आकाश और अमरनाथ के मुलाकात से आज तक की सभी बाते अनु और रिया को बात दी
सुनीता – मैने आकाश को को पहले ही दिन तुम्हारे लिये पसंद कर लिया था जिस के साथ तुम्हारा रिश्ता करना है उसे तो सब कुछ जानने का हक है ही इसलिये मैंने आकाश को सब कुछ बताना उचित समझा  ,  मुझे ऐसा नही लगता कि इस रिश्ते को दोबारा शुरू करने मे देरी करनी चाहिए तुम आकाश से बात करो ,
अनु माँ की बात मानते हुँ आकाश के कमरे मे गई  आज वह अपने  दोस्त से मिलने गई थी जिसे उसने पिछले दिनों मे भुला दिया था
अनु – आकाश मै जिससे शादी करुगी उसे ही अपने बीते कल के बारे मे बताऊंगी, शादी मै अपनी माँ की पसंद के लड़के से ही  करुँगी, माँ ने तुम को सब कुछ बता दिया है अब बताने  के लिये कुछ भी नही बचा है माँ तुमसे शादी करने के लिये कह रही है
आकाश – तुम क्या सोच रही हो
अनु – आकाश मैंने इस बारे मे अभी कोई फैसला नही ले पाई  हुँ हम एक अच्छे दोस्त जरुर थे
आकाश – दोस्त है ( बात को काटते हुए  , आकाश ने फिर से रेड रोज अनु की तरफ बढ़ाया
अनु – हर बात पर ये देना जरुरी है , कल का गुलाब आज  दे रहे हो
आकाश नही अभी ले कर आया हुँ, तुमारी और माँ की बाते मैने सुनी मुझे पूरा यकीन था कि तुम मुझसे से आज बात जरुर करोगी
अनु – ( रोज को लेते हुए ) आकाश तुम्हारे माता पिता इसके लिये तेयार होगे
आकाश – मैंने पहले ही उनसे बात कर ली है वो तैयार है सब तुम्हारी ही हाॅ का इंतजार कर रहे  अनु आकाश के गले लग गई
अनु – सॉरी आकाश ( अनु कि ऑखो से आसूऔ की धरा बहने लगी आकाश ने अनु को अपने से अलग किया और  आसुओ को पोछते हुए
आकाश – सॉरी मुझे बोलना था तुम को नही  , इन आशुको को विदाई के लिये बचा के रखो
रिया – सही कहा आकाश जी ने  , नही जीजा जी ने ,  विदाई के लिए रखो दि ,रिया अनु के गले लग गई )
अनु और कविता की शादी एक ही दिन हुई सुनीता का सपना पूरा हुआ उसकी अनु को उसका सच्चा  जीवन साथी मिल गय था

   
Writer 

  Prabhakar
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author

Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं‌‌ गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।

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