वो एक ख्वाब जिसने चैन से सोने नहीं दिया | शायरी | करन मिश्रा

ख्वाब और भी आए गए जिंदगी में मगर, वो एक ख्वाब जिसने चैन से जीने नहीं दिया। तमाम रातें गुजार दी जाग जागकर हमने, वो एक ख्वाब जिसने चैन से सोने नहीं दिया। Khwab Aur Bhi Aaye Gaye Jindagi Me Magar, Vo Ek Khwab Jisane Chain Se Jene Nahi Diya. Tamaam Ratein Gujar Di Jag […]

यूं जल के बुझ जाना अच्छा नहीं लगता | शायरी | करन मिश्रा

यूं जल के बुझ जाना अच्छा नहीं लगता, कहकर मुकर जाना अच्छा नहीं लगता. किसी पल हाँ किसी पल ना अदा अच्छी है ये लेकिन, यूं दिल को भरमाना अच्छा नहीं लगता. यूं दिल को सताना अच्छा नहीं लगता, यूं दिल को तड़पाना अच्छा नहीं लगता. जो खेलते हो यूं मेरे इस दिल से तुम […]

किसी के दिल को सताना आसान होता है | गीत गजल | करन मिश्रा

किसी के दिल को सताना आसान होता है, किसी के दिल को दुखाना आसान होता है। किसी के लब की हंसी बन सके ये आसान नहीं, किसी के दिल को रूलाना आसान होता है, किसी को ख्वाब दिखाना आसान होता है, कोई उम्मीद जगाना आसान होता है, किसी के ख्वाबों को मुमकिन करे ये आसान […]

न जाने कौन सी बात आखिरी हो | शायरी | करन मिश्रा

न जाने कौन सी बात आखिरी हो, न जाने कौन सी रात आखिरी हो। ठहर के मिल लो घड़ी दो घड़ी क्योंकि, न जाने कौन सी मुलाकात आखिरी हो। Na Jane Kaun Si Baat Aakhiri Ho, Na Jane Kaun Si Raat Aakhiri Ho. Thahar Ke Mil Lo Ghadi Do Ghadi kyonki, Na Jane Kaun Si […]

जाने कब वो खुदा हो गए | शायरी | करन मिश्रा

किया जो इश्क़ हमने, जमाने भर में रुसवा हो गए। चाहा जिसे इंसा समझकर, न जाने कब वो खुदा हो गए। Kiya Jo Ishq Hamne, Jamane Bhar Me Rushwa Ho Gaye. Chaha Jise Insa Samjhkar, N Jane Kab Vo Khud Ho Gaye.

ये उम्र गुजर रही है एक एक रोज बस यूं ही | शायरी | करन मिश्रा

ये उम्र गुजर रही है एक एक रोज बस यूं ही, मैं चलता ही जा रहा हूं एक एक रोज बस यूं ही। ना अब कोई तमन्ना ना कोई ख्वाब बाकी है, मैं जी रहा हूं यारों एक एक रोज बस यूं ही, Ye Umra Gujar Rahi Hai Ek Ek Roj Bas Yun Hi, Mai […]

बड़ी खामोशी से इज़हारे मोहब्बत किया उसने | शायरी | करन मिश्रा

बड़ी खामोशी से इज़हारे मोहब्बत किया उसने, पलके झुकायी और हल्का सा मुस्कुराया उसने। शिकार तो मैं तब हुआ जब, पलट कर देखा और फिर से मुस्कुराया उसने। Badi Khamoshi Se Izahare Mohabbat Kiya Usane, Palke Jhukayi Aur Halka Sa Mushkuraya Usane. Shikar To Mai Tab Hua Jab, Palat Kar Dekha Aur Fir Se Mushkuraya […]

मोहब्बत के रंग आज दाग हो गए | शायरी | करन मिश्रा

मोहब्बत के रंग आज दाग हो गए, वो हाथ छुड़ाकर बेदाग हो गए। हमें भूल चले वो गुजरे जमाने की तरह, हम भूला ना सके और दागदार हो गए। उन्हें मनाने की जिद्द-ओ-जहद जारी रखी हमने, बस यहीं एक गुनाह किया और गुनाहगार हो गए। मोहब्बत के रंग आज दाग हो गए… .. Mohabbat Ke […]

कश्ती को जाते हुए किनारा देखता रहा | शायरी | करन मिश्रा

कश्ती को जाते हुए किनारा देखता रहा, बेबसी की आंखों से नजारा देखता रहा। कपकपाते होठ डबडबाती आँखों से, अपनी डूबती किस्मत का सितारा देखता रहा। Kashti ko jate hue kinara dekhata raha, Bebasi ki aakhon se nazara dekhata raha. Kapkapate honth dabadabati aakhno se, Apni dubati kismat ka sitara dekhata raha.

टुकड़ो में जिंदगी | शायरी | करन मिश्रा

टुकड़ो में जिंदगी को जिया है आज तक, खुशियों से ज्यादा गम ही मिला है आज तक। जब भी गम से ज्यादा खुशियां मिली मुझे, किश्तों में उनको वापस चुकाया है आज तक। Tukado Me Jindagi Ko Jiya Hai Aaj Tak, Khushiyaon Se Jyada Gam Hi Mila Hai Aaj Tak, Jab Bhi Gam Se Jyada […]

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