खुदा से भी ये गिला नहीं कि तू मुझे क्यूँ मिला नहीं | शायरी | करन मिश्रा

खुदा से भी ये गिला नहीं कि तू मुझे क्यूँ मिला नहीं, जो मिला मेरा वो नसीब था ये नसीब ही है कि तू मिला नहीं। मुझे एक खुशी की तलाश में तेरे दर्द-ओ-ग़म का जहां मिला, तेरा दर्द ही गर मिल गया फिर क्या गिला कि तू मिला नहीं। Khuda Se Bhi Ye Gila […]

इश्क तुमसे करने की इजाज़त तो दे दो मुझे | शायरी | करन मिश्रा

जी भर कर देखूं तुझे इतनी इजाज़त तो दे दो मुझे। हमसे करो ना करो इश्क तुमसे करने की इजाज़त तो दे दो मुझे। Ji Bhar Kar Dekhun Tujhe Itani Ijajat To De Do Mujhe, Hamse Karo Na Karo Ishq Tumse Karane Ki Ijajat To De Do Mujhe.

इश्क की आग में जलना पड़ेगा | शायरी | करन मिश्रा

दर्द की हद से गुज़रना पड़ेगा, इश्क की आग में जलना पड़ेगा। इतना आसान नहीं ये इश्क का सफर, तुझे रोज जीना रोज मरना पड़ेगा। Dard Ki Had Se Gujarna Padega, Ishq Ki Aag Me Jalana Padega. Itana Aasan Nahi Ye Ishq Ka Safar, Tujhe Roj Jeena Roj Marna Padega.

तुम भी मुझको भूल गई हो थोड़ा थोड़ा | शायरी | करन मिश्रा

तुम भी मुझको भूल गई हो थोड़ा थोड़ा, मैं भी तुझको भूल गया हूं थोड़ा थोड़ा, साम को अक्सर आ जाती थी हिचकी मुझको, हिचकी आनी कम हुई है थोड़ा थोड़ा। जिस्म को जब कभी छू जाती थीं सर्द हवाएं, याद तुम्हारी आ जाती थी थोड़ा थोड़ा। रूठे जो तुम रूठ गया है बसंत का […]

तुझे जब चाहा था तब तू ऐसा नहीं था | शायरी | करन मिश्रा

तुझे जब चाहा था तब तू ऐसा नहीं था, जैसा भी था पर ऐसा नहीं था, तुझमें नज़ाकत थी सराफत थी और गुस्सा भी बहुत था, थे और भी ऐसे कई पर कोई तेरे जैसा नहीं था। Tujhe Jab Chaha Tha Tab Tu Aisa Nahi Tha, Jaisa Bhi Tha Par Aisa Nahi Tha, Tujhme Nazakat […]

मैं आखें मुंदकर कर सकता हूं दीदार उनका | शायरी | करन मिश्रा

देखने के लिए उधर देखना जरूरी नहीं, जिधर वो हैं उधर देखना जरूरी नहीं। मैं आखें मुंदकर कर सकता हूं दीदार उनका, उनके दीदार को किधर भी देखना जरूरी नहीं। Dekhane Ke Liye Udhar Dekhana Jaruri Nahi, Jidhar Vo Hain Udhar Dekhana Jaruri Nahi. Mai Aakhein Mundakar Kar Sakta Hun Didar Unka, Unke Didar Ko […]

ऐ हाल तेरे हाल पे रोना आया | शायरी | करन मिश्रा

ऐ हाल तेरे हाल पे रोना आया, इस दिल के हर सवाल पे रोना आया । जब जा रही थी वो मुझे तन्हा करके, मैं कुछ न कर सका मुझे रोना आया। शाखों से लीपटी हुई यादें उसकी, अब पूछती हैं क्या बची हसरत तेरी। मै कपकपाते हुए इन होठों से, कुछ भी ना कह […]

क्या खूब मजा है जीने में | शायरी | करन मिश्रा

क्या खूब मजा है जीने में, जब आग लगी हो सीने में। होठों से पीना क्या पीना, जो मजा है आंख से पीने में। Kya Khoob Maja Hai Jeene Mein, Jab Aag Lagee Ho Seene Mein. Hothon Se Peena Kya Peena, Jo Maja Hai Aankh Se Peene Mein.

बुझा दो चिरागों को मुझे उजालो से डर लगता है | शायरी | करन मिश्रा

बुझा दो चिरागों को मुझे उजालो से डर लगता है, सच कहूँ तो अब मेरा अँधेरों में ही मन लगता है। न खोलो खिड़कियां कहीं कोई खुशी आ ना जाए, मुझे तो अब गम से ज्यादा खुशियों से ही डर लगता है। Bujha Do Chiragon Ko Mujhe Ujalo Se Dar Lagata Hai, Sach Kahun To […]

मुझको तेरे जैसा हमदर्द मिल गया | शायरी | करन मिश्रा

खुशनसीबी है मेरी कि तू बेदर्द मिल गया, मुझे तू ना सही पर तेरा दर्द मिल गया। गैरों से अब मैं शिकवा करूं भी तो क्या, जब मुझको तेरे जैसा हमदर्द मिल गया। Khushnaseebi Hai Meri Ki Tu Bedard Mil Gaya, Mujhe Tu Na Sahi Par Tera Derd Mil Gaya. Garon Se Ab Mai Shikwa […]

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