बहुत समय पहले की बात है एक गांव (village) में एक नवयुवक तेनालीराम (Tenali Raman) रहा करते थे । वह काफी पढ़े-लिखे और समझदार भी थे । उन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता से गांव की कई छोटी बड़ी आपसी झगड़ों एवं समस्याओं (problems) का निपटारा किया था दूर-दूर से लोग तेनालीराम के पास अपनी समस्याओं का हल ढूंढने आते ।
तेनालीराम काफी सरल स्वभाव के एक ईमानदार व्यक्ति (honest person) थे। एक बार जब तेनालीराम अपने दोस्त के घर जा रहे थे तभी रास्ते में उन्हें कुछ आवाजें सुनाई दी । तेनालीराम ने तांगे वाले को उस आवाज की तरफ चलने को कहा वहां पहुंचकर देखा तो वहां काफी संख्या में लोग मौजूद थे और उनके बीच दो महिलाएं (women)आपस में किसी बात को लेकर बहस कर रही थी । बाद में पता चला कि यह दोनों महिलाएं एक ही गांव की रहने वाली हैं ।
जिनमें एक कच्ची मिट्टी के बर्तन (Pottery maker) बनाने का काम करती है वहीं दूसरी एक चरवाहन है । चूंकि मिट्टी के बर्तनों को पकाने के लिए बुढ़िया को भी लकड़ियों (the wood) की आवश्यकता होती है इसलिए वह भी इसके लिए अक्सर जंगल (forest) मे आया करती थी । ऐसे में उसकी लकड़हारिन से काफी अच्छी मित्रता हो चुकी थी । अब उनका साथ ही जंगल आना जाना होता था परंतु यहां तो दोनों एक दूसरे से इस प्रकार झगड़ रही हैं मानो वे एक दूसरे की दोस्त न होकर कोई जानी दुश्मन हो ।
तेनालीराम ने बीच बचाव करते हुए उन दोनों को शांत कराने की कोशिश की मगर वे औरते तेनालीराम की कोई भी बात सुनने को तैयार (ready) नहीं थी तब तेनालीराम गांव वालों से उन दोनों के इस झगड़े की वजह पूछने लगे तब उन्हें पता चला कि वैसे तो ये दोनों हर रोज ही लकड़ियां और घास फूस इकट्ठा करने जंगल आया करती हैं ।
इन दोनों में काफी घनी मित्रता (friendship) भी है मगर आज जब वह जंगल में लकड़ियां बिन रही थी तभी उनके हाथ एक सोने की मूर्ति (Gold statue) लगी है । अब दोनों उस मूर्ति को अपना होने का दावा कर रही हैं । मिट्टी के बर्तन बनाने वाली महिला का यह दावा था है कि
“उसने मूर्ति को सबसे पहले देखा था और उसने उसे बिना किसी को बताए अपने झोले (bag) में रख लिया और चरवाहन ने चुपके से वह मूर्ति निकाल कर अपने झोले में रख लिया”
जबकि चरवाहन का यह दावा है कि
“ऐसा कुछ भी नहीं है बल्कि उसने ही इस मूर्ति को सबसे पहले देखा था और वह तभी से उसके पास है”
दोनो के आपसी झगड़े में मूर्ति नीचे गिर गई थी जिसे गांव के मुखिया ने यहां रखवा रखा है अब सवाल यह है की मूर्ति पर पहला हक किसका है जिसे यह मूर्ति सौंप दी जाए । तेनालीराम फटाफट उस मूर्ति के पास पहुंच गए और उस मूर्ति को बड़े ही गौर (seriously) से देखने लगे । काफी देर तक वह उसे बस यूं ही एक टक निहारते रहे और थोड़े देर बाद वह उसे देखकर मुस्कुरा (smiling) बैठे ।
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चूंकि वहां उपस्थित हर एक शख्स तेनालीराम के ज्ञान (knowledge) से भली भांति परिचित था । ऐसे मे वहां सबको इस बात का भरोसा (believe) हो चुका था कि तेनालीराम इस समस्या का हल जरूर निकाल लेंगे । तेनालीराम के चेहरे की मुस्कान को देखकर गांव के मुखिया ने उनसे पूछा
“भाई तेनालीराम क्या हुआ इतना मुस्कुरा क्यों रहे हो क्या तुम को पता चल गया कि इस मूर्ति को पाने वाला पहला शक्स (person) कौन है”
तेनालीराम ने कहा
“जी हां बिल्कुल मुखिया जी मैं जान चुका हूं कि इस मूर्ति को सबसे पहले किसने उठाया”
मुखिया जी ने कहा
“तब देर क्यों करते हो आओ इनके झगड़े का निपटारा करें”
मुखिया जी ने फौरन उन दोनों औरतों को डांटते हुए अपने पास बुलाया और कहा
“देखो यह तेनालीराम जी हैं इनकी ज्ञान और बुद्धि (wisdom) पर यहां सबको पूर्ण भरोसा (faith) है अब ये जो भी फैसला करेंगे उसे तुम दोनो को स्वीकार करना होगा । इन्होंने ये जान लिया है कि इस मूर्ति का असली हकदार (Entitled) कौन है ? अर्थात इस मूर्ति को पहले किसने प्राप्त किया था”
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दोनों औरतें तेनालीराम की तरफ आशा (hope)
भरी निगाहों से देखने लगी तब तेनालीराम ने चरवाहन को बुलाया और कहा
“गांव वालों इस मूर्ति पर पूरा हक सिर्फ इस औरत (lady) का है और मिट्टी के बर्तन बनाने वाली महिला बिल्कुल झूठ बोल रही है”
मुखिया जी ने तेनालीराम से पूछा
“आपने बिना मूर्ति को हाथ लगाए ही यह सब कैसे जान लिया”
तब तेनालीराम ने कहा
“देखिए मुखिया जी इन दोनों औरतों को बहुत ध्यान से देखिए (Look very carefully) तो पता चलेगा कि मिट्टी के बर्तन बनाने वाली के हाथों में ही नहीं उसके थैले में भी अंदर बाहर चारों तरफ गिली मिट्टी (Ground soil) लगी हुई है वहीं चरवाहन के हाथ बिल्कुल साफ (clean) हैं । अब अगर मिट्टी के बर्तन बनाने वाली महिला ने इस मूर्ति को पाया होता तो निश्चित रुप से उसके हाथों में लगी गीली मिट्टी का कुछ अंश इस मूर्ति पर जरूर लगा होता परंतु यहां तो ऐसा कुछ भी नहीं है मूर्ति पर कहीं कोई इस तरह की मिट्टी के निशान नहीं हैं जो इस मिट्टी के बर्तन बनाने वाली महिला के हाथों मे लगे हैं । इसका मतलब है कि इस मिट्टी के बर्तन बनाने वाली महिला द्वारा इस मूर्ति को उठाकर थैले मे रखना तो दूर इसे इसने छुआ (Touched) तक नही”
तेनालीराम की समझदारी (shrewdness) को देखकर सभी गांव वाले काफी खुश (happy) थे । तेनालीराम की जय जयकार एक बार फिर से पूरे गांव में गूंज उठी और इस तरह तेनालीराम ने अपनी समझदारी से दो औरतों के बीच चल रहे झगड़े का दो मिनट में निपटारा (solve) कर दिया ।
कहानी से शिक्षा | Moral Of This Best Inspirational Story In Hindi
चोर चाहे कितनी भी चोरी कर ले परंतु निशान छोड़ ही जाता है इसीलिए हमें गलत रास्तों को कभी इख्तियार नहीं करना चाहिए क्योंकि गलत रास्ते तो गलत ही होते हैं उसका भेद आज नहीं तो कल खुल ही !
दोस्तों थोड़े से पैसों के लालच के मे अच्छे अच्छो का ईमान डोल जाता है । ऐसा नहीं है कि हर चोरी करने वाला व्यक्ति बुरा ही हो, परंतु लालच कभी-कभी इंसान को इस तरह घेर लेता है कि वह बड़ी से बड़ी गलतियां कर बैठता है । चोरी करने वाला इंसान चाहे कितना समझदार क्यों न हो लेकिन सबूत तो आखिरकार छोड़ ही जाता है और वही सबूत एक दिन उसे बेनकाब कर देते हैं ।
किसी के बारे में सही समझ विकसित करने के लिए हमें उसके आसपास की चीजों को भी थोड़ा समझना होगा । उसका विश्लेषण करना होगा फिर हकीकत खुद ब खुद सामने आ जाएगी और फिर सच क्या है ? और झूठ क्या है ? इसका पता लग जाएगा ।
हमें किसी दूसरे की आवश्यकता नहीं है इस कहानी में हमने देखा कि जहां एकतरफ गांव वाले समस्या को सिर्फ समस्या समझ कर परेशान हो रहे थे वहीं दूसरी तरफ तेनालीराम ने समस्या को एक समस्या नहीं बल्कि उसे एक चुनौती समझकर उसका हल निकालने की कोशिश की इसके लिए उन्होंने उनसे जुड़े हर पहलू को काफी गौर से देखना शुरू किया और आखिरकार वह इसमें सफल रहे । क्योंकि जहां चाह वहां राह