वहाँ महाराजा का भव्य स्वागत हुआ। राजा वैसे तो कई युद्धों में पहले भी विजय प्राप्त कर चुके थे। मगर इस बार वह सिर्फ राज्य ही नहीं रानी भी जीत कर आ रहे थे। राजा अपनी नई नवेली रानी को बहुत सम्मान देते, दोनों को साथ रहते काफी वक्त गुजर गया।
इस मौके को न गंवाते हुए, अपमानित छोटी रानी ने दासी की मदद से चुपके से आकर उबलते औषधि में जहर डाल दिया, और स्वयं बीमारी का बहाना बनाकर अपने कक्ष में सो गई। इन सब बातों से अनजान बड़ी रानी ने वह औषधि राजा को लाकर पिलाई, जिससे थोड़े देर बाद ही राजा का शरीर नीला पड़ने लगा। पहले से तैयार बैठी छोटी रानी ने फौरन राज्य वैद्य को बुलाया।
वक्त की नजाकत को समझते हुए राजकुमार ने पत्नी पर हर हाल में मिल जुलकर रहने का दबाव डाला। पति के भरोसे लक्ष्मीबाई बनी बहू उसके हाथ खींचते हैं, धड़ से जमीन पर आ गई ।
Moral Of The Story :-
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