समय का सदुपयोग | समय की कीमत Importance Of Time Short Story In Hindi

  
समय के सदुपयोग और महत्व पर प्रेरणादायक कहानी, समय की कीमत व उपयोग पर कहानी, समय पर छोटी कहानी| motivational story in hindi on utilization and importance of time

विद्यार्थी जीवन मे समय के महत्व व उपयोग पर छोटी कहानी Story On Time

  रईस बाप की बिगड़ी औलाद, कुणाल सिंघानिया जिसके उठने का समय, सुबह 9 से 10 । उठने के बाद सबसे पहला काम दोस्तो के साथ मोबाइल पर चैटिंग करना, फिर सारा दिन उन्ही के साथ मौज-मस्ती और तब जाके कहीं देर रात को घर लौटना ।

  कुणाल के पिता धीरज सिंघानिया कुणाल की इन आदतो से काफी परेशान थे और थोड़ा नाखुश भी परन्तु उन्होंने अपनी नाराज़गी कभी जाहिर नही की शायद उन्हें अपने बेटे के संभल जाने का पूर्ण विश्वास था वे बार-बार कुणाल को समय ना गवाते हुए अपने करियर पर फोकस करने के लिए समझाया करते ।

  सिंघानिया साहब वक्त के काफी पाबंद थे सुबह 5 बजे ही उठकर जोगिंग करना और 10 बजते-बजते ऑफिस पहुंच जाना । इतना ही नहीं वो अपने काम के साथ-साथ फैमिली को भी पूरा टाइम देते ।

  एक दिन जब उसके पिता उसे टाइम की इम्पाॅटेन्स समझाने की कोशिश कर रहे थे । तब कुणाल झिड़क के कहता है
“पिताजी ये समय से सोना, समय से उठना, हर पल का हिसाब रखना, ये सब बेकार की बाते है लाइफ को एन्जॉय करना सीखिए । आप मुझे मेरी लाइफ मेरे तरीके से जीने दे प्लीज”
  तब उसके पिता कहते हैं
“देखो बेटा यह तुम्हारा गोल्डन टाइम चल रहा है, तुम कल क्या करने वाले हो यह तुम्हारा आज निश्चित करेगा । मेरी मानो तो समय की कद्र करना सीख लो । अपने एक-एक पल का इस्तेमाल सही कामों में लगाओ ना कि फिजूल के कामों में अपना समय बर्बाद मत करो”
   उनकी इन बेकार की बातों को किसी सेमीनार में चल रहे भाषण की तरह सुनकर वह वहां से चलता बनता है । कुछ ही दिनों में कुणाल का बर्थडे आ जाता है । कुणाल के पिता सुबह से आँखे बिछाए डाइनिंग टेबल पर उसका इंतजार कर रहे हैं परंतु कुणाल हर रोज की तरह ही तकरीबन 10:30 बजे उठकर नीचे आता है । पिता उसको जन्मदिन की बधाइयां देते हुए उसे एक नोटों से भरा बैग पकड़ाते हैं । वह पूछता है
“इसमें क्या है पिताजी ? प्लीज मुझे आज कोई काम मत दीजिएगा । आज मेरा बर्थडे है और मैं आज फुल डे इंजॉय करने वाला हूँ” 
तब उसके पिता कहते हैं

“नहीं-नहीं बेटा मैं जानता हूँ आज तुम्हारा बर्थडे है और इसीलिए मैंने तुम्हें यह बैग दिया है । इसमें 86,400 सौ-सौ के नोट है । तुम यह सारे पैसे अपने बर्थडे में खर्च कर सकते हो । मुझे उम्मीद है कि इतने पैसों से तुम्हारा बर्थडे बहुत अच्छे से मन जाएगा । अगर इन पैसों में से कुछ बच जाए तो कल सुबह मुझे लौटा देना अन्यथा कोई बात नहीं”
  इतने ढेर सारे पैसे पाकर कुणाल खुशी से उछल पड़ता है । वह पिता को गले लगा लेता है और पैसों से भरा बैग लेकर बाहर निकल जाता है । वह अपने सारे दोस्तों को होटल में बुलाता है और उन्हें चाय नाश्ता कराता है । उसके दोस्त कहते हैं
“अरे यार पार्टी तो शाम को थी मगर तुम इतनी सुबह-सुबह ही पार्टी दे रहे हो आखिर बात क्या है”
  वह उनसे कहता है 
  “तुम लोग आम खाओ आम गुठलियां क्यों गिनते हो”

  इसके बाद वह अपने खास दोस्त के साथ मर्सिडीज बेंज खरीदने चला जाता है और फिर दिनभर के ससैर-सपाटे के बाद है । शाम को कुणाल अपने सभी दोस्तों को पार्टी  देता है । पार्टी काफी स्पेशल है । सारे दोस्त काफी मौज मस्ती कर रहे हैं । इन सबके बावजूद उसके पास अभी भी खूब सारे पैसे बचे हैं ।
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  बचे पैसों का ध्यान आते ही कुणाल का दिमाग तेज़ी से दौड़ने लगता है आखिर वह इन पैसो को रात खत्म होने से पहले कैसे और कहां खर्च करें । वरना बचे पैसे पिता को वापस करने पड़ जाएंगे । दिमाग पर काफी जोर देने के बाद उसे एक आईडिया सूझता है वह फटाफट सारे दोस्तों को मूवी दिखाने ले जाता है परंतु मूवी के बाद भी कुछ पैसे बचे रह जाते हैं ।
“क्या करूं-क्या करूं”
मोबाइल हाथ मे लिए वह सोचता है वह पिता से मिले पैसों को खर्च करने के लिए बहुत बेचैन है  मगर तभी उसके सारे दोस्त जाने लगते हैं वह उन्हे रोकने की बहुत कोशिश करता है परंतु रात काफी हो  जाने के कारण कोई अब रूकने को तैयार नही सब उससे कहते हैं ‘अब बाकी की पार्टी कल’ मगर उन्हें क्या पता की कुणाल के पास कल वह नहीं रहेगा जो आज
  अब जबकि सारे दोस्त घर वापस जा चुके हैं । ऐसे मे वह करें तो क्या करें । वह पास के बीयर बार में जाता है और वहां खूब इंजॉय करता है । वह बार मे मौजूद सभी लोगों को अपने बर्थडे की सेलिब्रेशन मे मुफ्त बियर आफर करता है मगर वह भी मना करने लगते हैं । थोड़ी ही देर मे बार बन्द होने का समय हो जाता है उधर उसके दोस्तों की हालत ठीक से खड़ा होने लायक नहीं रही हालांकि उसके पास अभी बहुत पैसे बचे हैं ।
  वह इन पैसों का क्या करें अपनी बर्थडे को और कैसे बेहतर बनाएँ जब उसे कुछ समझ नहीं आता है तब वह उल्टे पांव घर वापस चला आता है ।
  अगली सुबह कुणाल के कमरे की बेल बजती है । “आखिर इतनी सुबह कौन हो सकता है ?” वह सोचता है कुणाल दरवाजा खोलता है तो सामने उसके पिता खडे हैं । पिता को देखते ही वह मुस्कुराता है और उन्हें गले लगा लेता है । शायद वह दिल से उन्हें उसके बर्थडे को इतना यादगार बनाने के लिए थैंक्स कह रहा है । तब पिता कहते हैं
“तो कैसा रहा तुम्हारा बर्थडे”
“अब तक का सबसे बेस्ट, पापा सिर्फ आपकी  वजह से”
(कुणाल अपने पिता से कहता है)

“गुड, अब ये बताओ कल जो मैने पैसे तुम्हें बर्थडे सेलिब्रेट करने को दिए थे वो पैसे सारे खर्च हो गए या उसमें से कुछ बचा भी है”
(पिता से कहते हैं)

तब कुणाल दबी जुबान से कहता है 
“नही उसमें से कुछ पैसे बचे है.. मगर वो बहुत थोड़े ही हैं, अगर आप..”
(शायद वो बचे पैसों को खर्च करने की इजाजत चाहता है लेकिन तभी पिता की भारी भरकम आवाज उसे रोक देती है । वे कहते है)

“नही!
वो पैसे तुम्हें लौटने होंगे”

कुणाल, बैग लौटना तो नही चाहता मगर मजबूरन उसे ऐसा करना पड़ता है । उसके उदास चेहरे को देखकर पिता कहते हैं
“क्या तुम जानते हो तुम्हारा ये बर्थडे, अब तक का सबसे बेस्ट बर्थडे क्यूँ रहा ? क्योंकि तुमने मेरे दिए एक-एक पैसों का इस्तेमाल करने की पूरी कोशिश की । ऐसे ही अगर तुम अपने रोज मिलने वाले 86400 सेकण्ड अर्थात 24 घण्टो का सदुपयोग करो तो तुम्हारा जीवन भी तुम्हारे बर्थडे की तरह बेस्ट बन जाए”
  कुणाल को अपनी गलतियों का एहसास हो जाता है और वह अपने पिता को गले लगा लेता है ।

कहानी से शिक्षा | Moral Of This Short Inspirational Story In Hindi 

जिंदगी सिर्फ यूं ही गुजारने के लिए समय की अहमियत को समझना आवश्यक नहीं परंतु यदि आप जीवन में कुछ कर दिखाना चाहते हैं तो इसके लिए हर एक पल के महत्व को समझना होगा समय की कद्र करनी होगी !

दूसरों को अपनी अहमियत समझाने के लिए पहले  हमें वक्त की अहमियत को समझना होगा !
  दोस्तों सफलता सबको चाहिए. अमीर सबको बनना है, मगर इसके लिए करना क्या है ये नहीं जानते । मुझे लगता है कि हममे से अधिकांश लोग धरा पर मौजूद सबसे मूल्यवान वस्तु अर्थात वक्त को गवा रहे है । दुनिया की सबसे मूल्यवान वस्तु अगर कुछ है तो वो है समय ।

  हर रोज हमे 86400 सेकंड मिलते हैं मगर इसमें से ज्यादा वक्त हम मौज-मस्ती, आरामतलबी और अन्य दूसरी बातों में गुजार देते हैं । दिन के खत्म होने के साथ ही यह समय हमें वापस नहीं मिलता इसीलिए बेहतर होगा कि हम अपने हर एक सेकंड का सही उपयोग करें ।  प्रतिदिन मिलने वाले 86400 सेकंड में से कितना,  time लाइफ को एंजॉय करने में देना है और कितना time  लाइफ को बेहतर बनाने मे ये हमें fix करना होगा । 
                       

author

Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं‌‌ गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।

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