“आखिर उन्हें आश्रम में क्यों रोका गया ?
“आखिर उन्हें आश्रम में क्यों रोका गया ?
“घबराओ मत ऐसा कुछ नहीं है जैसा तुम सब सोच रहे हो, अपितु तुम्हें हमने यहां इसलिए रोका है क्योंकि तुम हमारे आश्रम के सबसे होनहार और योग्य बच्चे हो। आज तुम्हारे शिक्षा प्राप्ति का समय पूरा हो चुका है और तुम्हारा वापस अपने घर जाने का समय आ गया है। ऐसे में परिवार से मिलने कि तुम्हारे मन की व्याकुलता को मैं भली-भांति समझ सकता हूं। परंतु यहां से घर लौटने से पहले मैं तुम सब से कुछ चाहता हूं”
गुरूवर की इस बात ने उनको चौका दिया । गुरूवर ने फिर कहा
“क्या तुम सब वह करोगे जो मैं चाहता हूं ? क्या
तुम सब मुझे वह लाकर दोगे जो मै तुम सब से लाने को कहूँगा”
महर्षि के प्रश्न का उत्तर तीनों ने एक स्वर में दिया
महर्षि के प्रश्न का उत्तर तीनों ने एक स्वर में दिया
“हां गुरु जी बताएं क्या आदेश है”
एक बार पुनः तीनों ने एक स्वर में जवाब दिया
“हां गुरुजी अवश्य हम जरूर लाकर देंगे”
एक बार पुनः तीनों ने एक स्वर में जवाब दिया
“हां गुरुजी अवश्य हम जरूर लाकर देंगे”
इसके लिए उन्हें वो तीनों ही ठीक लगे। परंतु उन तीनों में सबसे श्रेष्ठ कौन है इसके लिए उन्होंने उनमे ये प्रतियोगिता रखी। वहां से जाते-जाते महर्षि ने उनसे कहा
“तुम तीनों में से जो उस पौधे की एक डाल सबसे पहले मुझे लाकर देगा । उससे मैं अपनी पुत्री का विवाह करूंगा।”
चूंकि वहाँ जाने का रास्ता कुछ घण्टो, कुछ दिनो या कुछ हफ्तों का न होकर काफी लंबा था। वहां सिर्फ जाने में ही कई महीनों का समय लग सकता था। वहां से लौट कर आना तो और भी बड़ी बात थी। ऐसे लंबे रास्ते को कैसे तय किया जाए यह सोचे समझे बगैर आगे बढ़ना ठीक नहीं था। इसलिए वह सभी वहां सबसे पहले पहुंचने के विभिन्न मार्गो एवं संसाधनों पर मन ही मन विचार करने लगे ।
“कहीं इसने लड़ाई से पहले ही, हार नहीं मान ली परंतु फिर महर्षि सोचने लगे। क्या मेरे सिखाए बच्चे ऐसे भी हो सकते हैं”
जंगल का रास्ता विभिन्न जानवरों से भरा होने के नाते खतरनाक था परंतु पंकज को तो सिर्फ अपना लक्ष्य दिखाई दे रहा था। वह जंगल को पार करके सामने एक विशाल पर्वत पर चढ़ने लगा। महर्षि वही ठहर गए। उन्होंने उसे रोकना चाहा क्योंकि ये काफी जोखिम भरा था।
वह अपने आदेश पर थोड़ा पछताने लगे परंतु सिवाय इंतजार के उनके हाथ में अब कुछ भी नहीं था। लगभग 4 हफ्तों बाद आश्रम में पंकज ने प्रवेश किया। उसके हाथों में गुरु जी की इच्छा अर्थात वह पौधा था। महर्षि ने सबसे आखरी में जाने के बावजूद सफलता के साथ लौटे पंकज को बस देखते ही रह गए।
Moral Of The Story