खुदा से भी ये गिला नहीं कि तू मुझे क्यूँ मिला नहीं - शायरी - करन मिश्रा
खुदा से भी ये गिला नहीं कि तू मुझे क्यूँ मिला नहीं - शायरी

खुदा से भी ये गिला नहीं कि तू मुझे क्यूँ मिला नहीं | शायरी | करन मिश्रा

खुदा से भी ये गिला नहीं कि तू मुझे क्यूँ मिला नहीं,
जो मिला मेरा वो नसीब था ये नसीब ही है कि तू मिला नहीं।
मुझे एक खुशी की तलाश में तेरे दर्द-ओ-ग़म का जहां मिला,
तेरा दर्द ही गर मिल गया फिर क्या गिला कि तू मिला नहीं।

Khuda Se Bhi Ye Gila Nahi Ki Tu Mujhe Kyun Mila Nahi,
Jo Mila Mera Vo Naseeb Tha Ye Naseeb Hi Hai Ki Tu Mila Nahi.
Mujhe Ek Khushi Ki Talash Me Tere Derdogam Gam Ka Jahan Mila,
Tera Derd Hi Gar Mil Gaya Fir Kya Gila Ki Tu Mila Nahi

खुदा से भी ये गिला नहीं कि तू मुझे क्यूँ मिला नहीं - शायरी - करन मिश्रा
खुदा से भी ये गिला नहीं कि तू मुझे क्यूँ मिला नहीं – शायरी



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Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं‌‌ गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।

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