ख्वाहिश है संग जीने की, या फिर मर जाने की । शायरी
ख्वाहिश है संग जीने की, या फिर मर जाने की । शायरी

ख्वाहिश संग है जीने की या फिर मर जाने की । करन मिश्रा । शायरी

ख्वाहिश संग है जीने की या फिर मर जाने की,
मन्नत तेरे मिलने की या सूली चढ़ जाने की।
हसरत एक तो पूरी हो,
या तो घोड़ी चढ़ने की या फिर कब्र में जाने की।

Khwahish Hai Sang Jeene Ki Ya Fir Mar Jane Ki,
Mannat Tere Milne Ki Ya Suli Chadh Jane Ki.
Hasarat Ek To Puri Ho,
Ya To Ghodi Chadhane Ki Ya Fir Kabr Me Jane Ki.

ख्वाहिश है संग जीने की, या फिर मर जाने की । शायरी
ख्वाहिश है संग जीने की, या फिर मर जाने की । शायरी



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Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं‌‌ गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।

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