Grandparents Story in Hindi | Motivational Story
जयंत का बेटा सोनू अब पांच साल का होने को है परंतु उसने अभी तक स्कूल का मुंह तक नहीं देखा । हालांकि जयंत, अपने बच्चे को स्कूल भेजना चाहता है परंतु सोनू के दादा दादी के आगे उनकी एक नही चलती । सोनू के दादा दादी इतनी जल्दी अपने लाडले पोते को किताब कापियों के बोझ तले दबाना नहीं चाहते । वे उसे अभी और थोड़े दिन खेलने-कूदने व मौज-मस्ती के लिए घर पर रखना चाहते हैं ।
वैसै इस बात को लेकर जयंत और उसके पिता में अक्सर बहस होती रहती है परंतु ये बहस हरबार बेनतीजा निकलती है । जयंत के पिता का ये मानना है कि सोनू एक ऐसे घराने से ताल्लुक रखता है जहां उसके दादा जी उस वक्त के ग्रेजुएट हैं जब दूर-दूर तक कोई मैट्रिक भी नहीं हुआ करता था । ऐसे उच्च शिक्षित घराने में जन्मा सोनू देर सवेरे, चाहे जब स्कूल-कॉलेज में पांव रखे परंतु वह शिक्षा जगत में निश्चित रूप से खानदान का नाम रोशन करेगा ।
धीरे धीरे एक साल बीत जाता है और इस प्रकार सोनू अब 6 साल का हो गया है । जयंत बच्चे की बढ़ती उम्र को देखते हुए माता पिता की बातों की परवाह न करते हुए बच्चे का दाखिला शहर के जाने-माने नर्सरी स्कूल में करा देता है परंतु अत्यधिक लाड प्यार में पला बढा सोनू, स्कूल जाने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है बल्कि वो तो स्कूल जाने के नाम पर ही रोने बिलखने लगता है जो उसके दादा दादी को रास नहीं आती और वे स्कूल से उसका नाम कटवाकर घर लेते आते हैं जब यह बात जयंत को पता चलती है तब उसे बहुत बुरा लगता है परंतु वह उनसे कुछ नहीं कहता ।
अगले दिन वह बबूल का बीज घर ले आता है और उसे घर में खाली पड़ी थोड़ी सी भूमि में बो देता यह सब देख रहा सोनू जब उसके बारे में पिता से पूछता है तब जयंत बताता है कि इसमें से आम का पेड़ निकलेगा जिसके बड़े होने पर तुम्हें ढेर सारे मिठे और रसीले आम के फल खाने को मिलेंगे ।
कुछ दिनों बाद जब जमीन से बबूल का पौधा निकलने लगता है तब सोनू दादा जी से कहता है
“दादू, आपको पता है, जब ये बड़ा हो जाएगा तब इसमें से मिठे-मिठे आम के फल निकलेंगे जो मैं खाऊंगा”
उसकी बातो को सुनकर दादा जी ठहाके मार कर हंसने लगते हैं और कहते हैं
“यदि आम खाना है तो तुम्हे आम का पेड़ लगाना था लेकिन जब बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होय”
पीछे खड़ा जयंत पिता की बातें सुन रहा था । वह पिताजी से कहता है
ठीक कहा पिताजी आपने, यदि आज हम बबूल के बीज बोएंगे तो कल हमें उससे बबूल के ही फल प्राप्त होंगे आम के नही इसलिए यदि आम खाना है तो हमें बीज भी आम का ही बोना होगा ठीक इसी प्रकार यदि सोनू को शिक्षित बनाना है तो उसे घर बिठाने की बजाए स्कूल भेजना होगा जहां ये पढ़ लिखकर शिक्षित बनेगा अन्यथा यह यहां पड़े-पड़े शिक्षित नहीं बल्कि अनपढ़ गवार ही रह जाएगा
सोनू के दादा दादी को अपनी गलतियों का एहसास हो गया है । अगले दिन वे सोनू का हाथ थामे स्वयं उसे स्कूल ले जाते हैं ।
दादा दादी की प्रेरणादायक कहानी से शिक्षा
दोस्तों याद रखिए आप जैसे कर्म करेंगे आपको ठीक वैसे ही फल प्राप्त होंगे । किसी प्रकार की गलतफहमी में ना रहे हैं । कुछ आलसी लोग हमेशा भगवान को फूल मालाएं अर्पित करके अपने उज्जवल भविष्य की कल्पना करते हैं परंतु याद रखें भगवान आपकी भौतिक सुख-सुविधाओं की पूर्ति नहीं करेगें उसके लिए आपको अपने पुरुषार्थ का परिचय देना होगा एक बात और जिस प्रकार एक बीज को पेड़ बनने में समय लगता है उसी प्रकार सफलता भी एक दिन में हासिल नहीं होती उसमें समय लगता है इसीलिए गोल को अचीव करने के लिए अपने प्रयासों को आज से ही आरंभ कर दें ।
दोस्तों भविष्य में आप जो कुछ भी हासिल करना चाहते हैं उसकी तैयारी आपको आज से ही शुरू करनी होगी खुद को बदलना होगा, अपनी सोच को बदलना, अपनी दिनचर्या को बदलना होगा, आप ने अपने लिए जो भी गोल को निर्धारित किया है उसके अनुरूप खुद को ढालते हुए सतत प्रयास करना होगा और इस प्रयास की शुरुआत आपको आज से ही करनी होगी ।