बुझा दो चिरागों को मुझे उजालो से डर लगता है - शायरी - करन मिश्रा
बुझा दो चिरागों को मुझे उजालो से डर लगता है - शायरी

बुझा दो चिरागों को मुझे उजालो से डर लगता है | शायरी | करन मिश्रा

बुझा दो चिरागों को मुझे उजालो से डर लगता है,
सच कहूँ तो अब मेरा अँधेरों में ही मन लगता है।
न खोलो खिड़कियां कहीं कोई खुशी आ ना जाए,
मुझे तो अब गम से ज्यादा खुशियों से ही डर लगता है।

Bujha Do Chiragon Ko Mujhe Ujalo Se Dar Lagata Hai,
Sach Kahun To Ab Mera Andheron Me Hi Man Lagata Hai.
Na Kholo Khidkiya Kahi Koi Khushi Aa Na Jaye,
Mujhe To Ab Gam Se Jyada Khushiyon Se Hi Dar Lagata Hai.

बुझा दो चिरागों को मुझे उजालो से डर लगता है - शायरी - करन मिश्रा
बुझा दो चिरागों को मुझे उजालो से डर लगता है – शायरी



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Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं‌‌ गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।

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