शेर और लोमड़ी कहानी – चालाक लोमड़ी, सारस और कौवा कहानी Fox Story Hindi
एक बार जंगल के सभी जानवरों की बीच मीटिंग चल रही थी । जंगल का राजा शेर सभी की समस्याओं को बड़े गौर से सुनता और उसका हल निकालने की कोशिश करता । तभी अचानक सामने भीड़ में से किसी ने आवाज लगाई । शेर ने सामने देखा तो वह कोई और नहीं लोमड़ी थी । लोमड़ी ने शेर से कहा
“हुजूर, वैसे तो यहां सब ठीक है परंतु सब ठीक होकर भी कुछ कमी जरूर है, क्या आपको ऐसा नही लगता ?”
शेर “पहेलियां मत बुझाओ जो कहना है साफ-साफ कहो”
लोमड़ी “हुजूर, आप न सिर्फ इस जंगल में अपितु सारे विश्व में सबसे शक्तिशाली हैं इसलिए आप हमारे महाराज भी हैं परन्तु आप राजा होकर भी राजा जैसे नहीं दिखते”
शेर गुस्से में “तुम कहना क्या चाहते हो?”
लोमड़ी “माफी हुजूर परंतु मेरा आप को नाराज करने का कोई इरादा नहीं था । मै तो बस यह सोच रही थी कि आप इस जंगल के राजा हैं, कोई सामान्य प्राणी नही और एक राजा को राजा जैसा दिखना भी आवश्यक है । मेरा मतलब है कि राजा के सर पर एक राजमुकुट का होना बेहद जरूरी है वरना बिना राजमुकुट के आपको कोई राजा कैसे समझेगा”
लोमड़ी की बातों से शेर को पहले तो थोड़ा गुस्सा आया परंतु बाद में मुस्कुराते हुए वह बोला
“अच्छा ऐसा है तब ठीक है मगर ये बताओ मेरे लिए राजमुकुट बनाएगा कौन ? क्या तुममें से कोई है ऐसा जो मेरे लिए राजमुकुट बनाए”
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शेर के ऐसा कहते हैं भीड़ में से सैकड़ों हाथ ऊपर की तरफ उठे । उन सबके जुबान पर बस एक ही बात थी
“हुजूर मै, हुजूर मै”
यह दृश्य देख शेर बहुत खुश हुआ उसने यह घोषणा की कि अगली सुबह इसी जगह जंगल के सभी जानवर अपने-अपने राजमुकुट के साथ, यहां उपस्थित होंगे उनमें से जिसका राजमुकुट शेर को पसंद आएगा वह उसे इनाम के तौर पर अपना मंत्री घोषित करेगा ।
भला राजा का मंत्री कौन नहीं बनना चाहेगा परिणामस्वरूप सारे जानवरों में राजमुकुट बनाने की मानो होड़ सी लग गई । सभा को समाप्त करते हुए राजा ने कुछ ऐसा कहा जिसे सुनकर सारे जानवर हंस पड़े शेर ने बोला
“किंतु याद रहे एक मुकुट तुम सब अपने लिए भी बना लेना, भाई अगर राजा बिना राजमुकुट के अधूरा है तो उसके मंत्री के सर पर भी एक छोटा-मोटा मुकुट तो चाहिए ना, की नही”
सभा से लौटकर सभी जानवर सबसे अच्छा राजमुकुट बनाने में जुट गए । लोमड़ी भी सबसे सुंदर मुकुट बनाने की कवायद में बहुत रात तक लगी रही परंतु अब वह थक चुकी थी इसलिए उसने थोड़ा आराम करने की सोची हालांकि तब तक काम लगभग खत्म हो चुका था, बस सिलाई का ही थोड़ा काम अब बाकी था ।
सुबह गहरी निद्रा में सो रही लोमड़ी को एक धड़ाम की आवाज ने जगा दिया । वह घबराए हुए बाहर आयी । बाहर उसने देखा कि जंगल में बहुत जोर जोर की आंधियां चल रही हैं और जिसके कारण एक बरसों पुराना बरगद का मोटा पेड़ टूट कर नीचे गिर गया है । अंधड़ से उठी धूल के कारण हर तरफ अंधेरा छा गया था, कहीं भी कुछ दिख नही रहा था । लोमड़ी बहुत समझदार थी वह समझ गई कि ऐसे मौसम में भला कौन अपनी जान गंवाने बाहर निकलेगा इसलिए उसने भी अंधड़ थमने तक वहीं रुकने का फैसला किया ।
आंधी भी ऐसी जो थमने का नाम न ले । मंत्री बनने के इस सुनहरे मौके को हाथ से फिसलता देख लोमड़ी भगवान पर बुदबुदाने लगी । काफी देर बाद पड़ोस में रहने वाला कौवा उससे मिलने आया । लोमड़ी ने जब कौवे को अपना राजमुकुट दिखाया तब उसे देख कर कौवा कहता है
“अरे वाह यार, तुमने तो बाजी मार ली, अब तो तुम्हीं राजा का मंत्री बनोगी”
कौवे की बातों को सुनकर लोमड़ी बहुत खुश हुई । उसने मुस्कुराते हुए कहा
“क्यूं सुबह-सुबह मजाक कर रहे हो । लगता है सुबह से तुम्हे कोई मिला नहीं”
कौवा “नहीं यार तुम मेरा विश्वास करो । मैंने तकरीबन सभी का राजमुकुट देखा है और मैं ये पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि यहां सिर्फ दो लोगो का बनाया राजमुकुट ही सबसे बेहतर है । अब देखना ये है कि दोनो राजमुकुट में से कौन सा राजा को ज्यादा पसंद आता है”
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लोमड़ी ने तपाक से पूछा
“वो दूसरा मुकुट किसका है”
कौवा “सारस का”
लोमड़ी उसकी बातों को सुनकर खुशी से झूम उठती है । अबतक काफी बदसूरत दिखने वाला यह अंधड़, अब उसे सावन की तरह सुहाना लगने लगता है । वह मन ही मन गुनगुनाने लगती है । उसकी खुशीयों का अब ठिकाना नहीं रहा ।
थोड़ी देर बाद जब आंधी कम हुई तब कौवा दूसरे जानवरों के साथ सभा की ओर निकल पड़ा । उधर बहुत ही बेसब्री से आंधी थमने का इंतजार कर रही लोमड़ी फटाफट घर के अंदर आयी । उसने राजमुकुट उठाया और लेकर जाने लगी तभी उसे याद आया कि अभी तो थोड़ी सिलाई बाकी है ऐसे में उसने फटाफट सिलाई करनी शुरू कर दी । चंद मिनटो में ही सिलाई पूरी हो गई और फिर वह सभा के लिए निकल पड़ी परंतु जैसे ही वह सभा में पहुंचाती है सामने घटित दृश्य को देखकर उसके पैर अचानक ठिठक से जाते हैं ।
असल में पहले से हो चुकी काफी देरी और मौसम के मिजाज को देखते हुए । शेर ने सारा कार्यक्रम बहुत तेज़ी से निपटाया । हालांकि उसने सभी जानवरों के बनाए राजमुकुट को काफी गौर से देखा जिसके बाद उसे सारस का बनाया हुआ राजमुकुट बेहद पसंद आया है फलस्वरूप उसने सारस का बनाया राजमुकुट धारण कर लिया और इसप्रकार अब सारस ही शेर का मंत्री बन चुका है ।
वैसे लोमड़ी का राजमुकुट भी सारस के बनाए राजमुकुट से कम नहीं है परंतु अब तो परिणाम घोषित हो चुके हैं ऐसे में वह दांत पीसने के सिवा कर भी क्या सकता है । सिलाई करने मे गंवाए चंद मिनट लोमड़ी पर भारी पड़ गए और उसकी असफलता का कारण बने । यदि उसने आंधी रूकने का इन्तजार करने के साथ-साथ जरूरी तैयारिया भी समय रहते कर लिया होता तो शायद मंत्री का ताज सारस की बजाय उसके सर पर होता ।
कहानी से शिक्षा | Moral Of This Short Motivational Story In Hindi
कुछ लोग अवसरों का तो बहुत बेसब्री से इंतजार करते हैं परंतु उन अवसरों को भुनाने के लिए उपयुक्त तैयारी के बारे मे ज्यादा नही सोचते । दोस्तों अवसर मिलना एक बात है और उसे भुना पाना दूसरी बात है । अवसर तो आते ही रहेंगे परंतु उसके लिए एक उपयुक्त तैयारी आपको पहले से ही करनी होगी वरना आप के भी हाथ लोमड़ी की तरह खाली ही रह जाएंगे ।
कोई भी शिकारी, शिकार पर जाने से पहले अपने बंदूक की सर्विसिंग व बंदूक में बारूद भरने का काम पूरा कर लेता है । इसके साथ-साथ वह शिकार के आने की संभावित जगह व अपना स्थान भी पहले से ही सुनिश्चित कर लेता है । यदि वह ऐसा ना करके सिर्फ और सिर्फ शिकार के आने की प्रतीक्षा करता रहे तो निश्चित रूप से शिकार उसके सामने से होकर निकल जाएगा और वह कुछ भी नहीं कर सकेगा इसीलिए अवसरों को भुनाने के लिए एक पर्याप्त तैयारी का होना भी अनिवार्य है ।