ये प्रेरणादायक हिन्दी कहानियां भी जरूर पढें | Short Inspirational Moral Stories In Hindi
जो चिंताएं पहलें वृंदा की थी वही चिंताएं अब उषा की बन चुकी थी । उनमें कोई रिश्ता ना होते हुए भी इंसानियत का एक रिश्ता उनके बीच जुड़ चुका था । उषा किसी भी हाल में वृंदा को सही सलामत उसके घर पहुंचाना चाहती थी परंतु विडंबना ये थी कि तीर्थ धाम के लिए पति द्वारा ली गई छुट्टीयां भी अब खत्म होने को थी ।
एक तरफ जहां ट्रेनों के आने का समय नजदीक आ रहा है । वहीं उषा का किसी भी नतीजे तक पहुंच पाना काफी मुश्किल हो रहा है हालांकि कुछ ही देर में गया जाने वाली ट्रेन स्टेशन पर आ पहुंचती है । उषा वृंदा का हाथ थामे ट्रेन के पास पहुंच जाती है । वह वृंदा के हाथ में ₹50 देते हुए कहती है हमारी लेटेस्ट (नई) कहानियों को, Email मे प्राप्त करें. It’s Free !
“रास्ते में कुछ नाश्ता जरूर कर लेना”
ऐसा कहते हुए इसकी जुबान लड़खड़ा जाती है । उसका गला भर जाता है । वहीं वृंदा की भी आँखें भर आती हैं । वह कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है हालांकि तिरछी निगाहों से उषा अपने पति को देखे जा रही है । शायद उषा करना कुछ और चाहती है परंतु कर कुछ और रही है जिसमें उसे अपने पति के इजाजत की आवश्यकता है ।
संजोगवश वृंदा के ट्रेन के ठीक सामने उषा की ट्रेन आ खड़ी होती है । उषा का पति उसे ट्रेन में चढ़ने के लिए कहता है मजबूरन उषा वृंदा का हाथ छोड़ अपनी ट्रेन में जा बैठती है । अब नजारा कुछ ऐसा है एक तरफ ट्रेन में बैठी उषा खिड़की से वृंदा की तरफ देख रही है वहीं वृंदा ट्रेन में बैठे-बैठे उषा को निहार रही है ।
थोड़ी ही देर में उषा की ट्रेन सिटी देने लगती है । सिटी के साथ ही वृंदा के प्रति उसकी चिंताएं उषा की धड़कन तेज कर रही हैं थोड़ी ही देर में ट्रेन के पहिए घूमने लगते हैं और उषा, वृंदा की आंखों से ओझल होने लगती है ।
उषा को खुद से दूर जाता देख वृंदा के दोनों हाथ खिड़की से बाहर आ जाते हैं । वह फफक-फफक कर रोने लगती है । उसके आंसु उषा के हृदय में दबी मां के संवेदनाओं को झकझोर देती हैं और फिर वो होता है जो शायद उषा चाहती है ।
उषा आपातकालीन चैन खींचकर ट्रेन को रोक देती है । अब दृश्य बहुत रोचक है, वह अपने एक हाथ में सूटकेस उठाए एवं दूसरे हाथ से अपने पति का हाथ थामे, हवा के वेग से वृंदा के पास पहुंच जाती है ।
उषा, वृंदा को उसके घर तक पहुंचाकर पुनः अपने शहर लौटने के लिए वापस ट्रेन में बैठी है । वो खिड़की से बाहर तेजी से दौड़ रहे हरे-भरे खेतों एवं बिजली के खंबो को निहार रही है ।
यह दृश्य कुछ पहले जैसा ही है परंतु थोड़ा अंतर जरूर है उषा के चेहरे पर प्रसन्नता साफ झलक रही है वह शायद इसलिए क्योंकि उषा को जो खुशी और जो सुकून वृंदा की मदद करके प्राप्त हुआ है । वह चारों धाम की यात्रा में भी उसे नहीं मिल सका था ।
कहानी से शिक्षा | Moral Of This Best Inspirational Story In Hindi
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