बन्दिश | Meaning Of Success Motivational Story In Hindi

बन्दिश,एक प्रेरणादायक हिन्दी कहानी. Motivational story in hindi  on What is success
   एक फीमेल डॉग ने दो कुत्तों को जन्म दिया। दोनों में से एक कुत्ता बहुत सुंदर था, जबकि दूसरा कुछ खास नहीं दोनों कुत्ते हर वक़्त साथ-साथ रहते घूमते और खेलते वहीं पास में एक पार्क था। जो काफी खूबसूरत था। दोनों कुत्ते उसमे जाना चाहते थे। पर पार्क का वॉचमैन उन्हें अंदर नहीं जाने देता था।

  बेचारे दोनों कुत्ते मन मार कर बाहर से ही पार्क के अंदर का नजारा देखते रहे, पार्क में बड़े राहिश लोगों का आना-जाना होता। वे बड़े लोग अपनी बड़ी-बड़ी गाड़ियों से वहां रोज सैर सपाटा के लिए आते, उनकी गाड़ियों के पीछे तरह-तरह के कुत्ते मुंह फाड़े शीशे से बाहर झांकते वहां आते। मालिकों के साथ वे भी पार्क में घूमने जाते, मालिक जो खाता वह उन्हें भी खिलाता।

  यह सारी चीजें बाहर खड़े दोनों कुत्ते भी देखते रहते। सुंदर कुत्ते को ये बात अंदर बहुत चुभती है। दूसरे कुत्ते से कहता

“काश हमारी भी किस्मत कुछ ऐसी होती । हम भी इनकी तरह बड़ी-बड़ी गाड़ियों में घूमा करते । पाक के अंदर मौज मस्ती करते और खाने को बढ़िया-बढ़िया चीजें पाते”
  दूसरे कुत्ते ने कहा “हां ये तो है इनकी किस्मत बहुत अच्छी है”
  पहले कुत्ते ने फिर बोला

“हमें तो इधर उधर फेंका हुआ सड़ा गला ही खाने को नसीब होता है और इनकी तेज रफ्तार से दौड़ती गाड़ियों के नीचे आने का जोखिम भी हमेशा रहता है”

  एक दिन एक डॉक्टर अपनी बेटी के साथ पार्क में घूमने आया। उसकी बेटी को कुत्ते के छोटे-छोटे बच्चे बहुत पसंद थे। वह जैसे ही कार से बाहर आई। उसके हाथ में चिप्स का पैकेट देख कर सुंदर कुत्ता वहां दौड़े आया और उसके पास खड़ा हो गया। डॉक्टर की बेटी ने चिप्स का पैकेट फाड़ा और उसे दे दिया। वह चिप्स पाकर बहुत खुश हुआ।

 पार्क से निकलकर जब डॉक्टर और उसकी बेटी कार से जाने लगी। तो कुत्ता उसके पीछे पीछे काफी दूर तक गया। डॉक्टर की बेटी को वह बहुत पसंद आया। दूसरे दिन वह जब पार्क में फिर से आई, तो कुत्ता फिर भाग कर उसके पास पहुंचा। अब तो दोनों को एक दूसरे का साथ पसंद आने लगा।

   एक दिन डॉक्टर की बेटी उस सुंदर कुत्ते को अपने साथ पार्क में ले गई। आज सुंदर कुत्ता बहुत खुश हुआ। इस दिन का इंतजार उसे काफी दिनों से था। अगले दिन भी वह डॉक्टर की बेटी के साथ पार्क में जाना चाहता था। पर डॉक्टर ने बेटी को उसे साथ पार्क में ले जाने से रोका।

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  बेचारा कुत्ता उदास वही बाहर बैठकर उन्हें देखता रहा।उधर उस लड़की को भी शायद उसकी आदत हो चुकी थी। वो भी पार्क के बाहर उसे देखती रही। पार्क से निकलने के बाद वह उसे अपने साथ ले जाने के लिए पिता से बोली,

  मगर पिता ने उसे दूसरा अच्छा कुत्ता दिलाने को कहा, मगर लड़की अपनी जिद्द पर अड़ी रही। वह रात भर उस कुत्ते के लिए रोती रही, इससे उसकी तबीयत भी खराब हो गई। अगले दिन मजबूर डॉक्टर बेटी की जिद पूरी करने पार्क आया। और उस कुत्ते को अपने साथ ले गया।

   कार में पांव रखते ही कुत्ता खुशी से सामने वाली सीट पर कूद गया। जब कार चलने लगी तो वह दूसरे कुत्ते को देखता रहा। उसका सपना आज पूरी तरह हकीकत का रूप ले रहा था। जो वह चाहता था आज उसे वह सब कुछ मिल रहा था। अपने सामने उस सुंदर कुत्ते को पाकर डॉक्टर की बेटी बहुत खुश हुई।

   हालांकि डॉक्टर ने कुत्ते को किसी को छूने नहीं दिया। उसे पहले खूब अच्छे से नहलाया धुलाया। स्कूल न जाने के कारण आज उसकी बेटी सारा दिन उस कुत्ते के साथ खेलती रही। कुत्ते की तो चांदी हो गई थी। अब उसे रोज अच्छा नाश्ता और खाना मिलता वह भी स्पेशल अब उसे धूप भी नहीं लगती। घर मे सारा दिन वह एसी में ही रहता।

   अगर बाहर निकलता भी तो बड़ी एयर कंडीशनर गाड़ियों में, अब तो गाड़ियों के टायर के नीचे आने का भी खतरा उस पर नहीं था। अब तो बस मस्ती ही मस्ती थी। स्कूल से आने के बाद डॉक्टर की बेटी के साथ सारा दिन वह खेलता वो भी उसको बहुत मानती। इन सबके बीच कई महीने गुजर गए। जाड़े का मौसम आया कुत्ते को ठंड सताने लगी। मगर डॉक्टर उसे साफ-सुथरा रखने में परहेज नहीं करता।

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   इसलिए पार्क से लौटकर घर आते ही गर्मी हो या सर्दी बहुत कायदे से उसे नहलाता बेचारा कुत्ता जान बचाने की बहुत कोशिश करता पर हर दिन उसकी कोशिश बेकार जाती। काफी दिनों की मौज मस्ती में भूल चुके अपने भाई कि उसे याद आई। अगले दिन जब वह पार्क पहुंचा तो उसने देखा कि वह अपने पुराने दोस्तों के साथ वहीं पास की नाली में लोट- लोट कर खेल रहा है।

   वो उससे मिलने को आगे बढ़ा पर डॉक्टर ने उसे रोक लिया। ऐसे में उसने अपने भाई को आवाज लगाई। वह भागे-भागे मिलने के लिए अपने भाई के पास आ ठहरा मगर डॉक्टर ने उन्हें मिलने नहीं दिया। और सुंदर कुत्ते को डांट-डपट कर अपने साथ पार्क में ले गया। पार्क मे जाने के बाद सुंदर कुत्ता पार्क की दीवार के पास आकर अपने भाई को देखने लगा।

   दोनों को मिलने का बहुत मन था। पर पार्क की दीवार आड़े आ रही थी। घर पहुंच कर कुत्ता बहुत उदास था। कुछ दिनों बाद उसने अपने एक पुराने मित्र को सामने वाले घर में जाते देखा। वह फौरन गेट से बाहर निकला, और भागता हुआ उसके पास पहुंच गया। तब तक मकान का वॉचमैन उसे पकड़ कर घर के अंदर कर दिया।

  कुत्ते को बहुत बुरा लगा। अब वह जब भी गेट खुला पाता, दोस्त से मिलने की आस मे भागकर बाहर निकल जाता, डॉक्टर उसकी इस हरकत से बहुत परेशान हुआ। आखिरकार उसके गले में डॉक्टर ने एक पट्टा बांध दिया। पट्टा था तो बहुत सुंदर पर वह बंदिशो से भरा था। अब चौबीसों घंटे कुत्ता उस पट्टे के सहारे बरामदे के खंबे से बंधा रहता।

  जब किसी को उसे ले जाना होता। तभी खंबे से वह खोला जाता। मगर पट्टा तो फिर भी उसके गले में ही रहता और उसका दूसरा छोर अगले के हाथों में अब वह कहीं भाग कर नहीं जा सकता था। अपनी मनमर्जी भी नहीं कर सकता था।

  पार्क में अब वह अपने कई और दोस्तों को देखता रहता। जिनके पास न तो सुंदर घर था न अच्छा खाना और न ही लग्जरी गाड़ी जिंदगी खतरों से भरी थी मगर साथ थी तो सिर्फ आजादी जो सुंदर कुत्ते से अब हमेशा के लिए छीन चुकी थी।


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author

Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं‌‌ गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।

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