मास्टरजी की छड़ी कहानी | Learn Honesty Teacher Student Story In Hindi

 

  
      निखिल, मनीष, प्रशांत और प्रणव चारों एक ही जगह ट्यूशन पढते थे। चारों काफी अच्छे दोस्त भी थे। मगर वो पढ़ाई में काफी कमजोर थे। एकदिन मास्टर साहब ने उनको कुछ याद करने के लिए दिया । दूसरे दिन ट्यूशन में जब मास्टर साहब आए, तो उन्होंने बारी-बारी से सबको खड़ा करके पूछना शुरु कर दिया सवाल थोड़ा कठिन था। इसलिए वे चारों, सवाल का जवाब नहीं दे पाए आखिरकार अब चारो की मास्टर साहब की छड़ी से मार खाने की बारी थी ।

     मास्टर साहब पीछे मुड़कर अपनी छड़ी उठाने गए तो देखा कि उनकी छड़ी तो आज टूटी हुई है। मास्टर साहब को याद आया कि पिछली शिफ्ट में दूसरे बच्चों को पढ़ाने के दौरान तो उनकी छड़ी नहीं टूटी थी।

    मास्टर साहब को समझ में आ गया था कि हो न हो यह इन्हीं चारों की शरारत है, मार खाने के डर से इन्होंने छड़ी को तोड़ दिया था। ताकि वे मास्टर साहब की मार से बच सकें।

    मास्टर साहब ने दो भागों में टूटी छड़ी को उनके पास लेकर आए, और पूछा
“ये छड़ी तुम में से किसने तोड़ी है। मुझे बताओ”
 पर चारों को जैसे सांप सूंघ गया, चारों कुछ भी बोलने को तैयार नहीं थे। जब मास्टर साहब पूछ-पूछ कर थक गए, तो वह कमरे से बाहर चले गए, कुछ देर बाद वह पुनः कमरे में वापस लौटे उनके हाथ में छड़ी के अब दो नहीं बल्कि चार टुकड़े थे। और सभी को लंबाई समान थी।

—–
   मास्टर साहब ने उन चारों से कहा

 “देखो मैंने छड़ी के चार टुकड़े कर दिए हैं। सब की लंबाई एक समान है, एक-एक टुकड़े तुम सब अपने पास रख लो कल मैं ये छड़ी के टुकड़े वापस लूगा। जिसने भी आज छड़ी तोड़ी है। उसकी छड़ी रात भर में दो इंच बड़ी हो जाएगी । फिर दूसरे दिन ट्यूशन में चारों दोस्त पहुंचे मास्टर साहब ने पढ़ाना शुरु किया ।

  मगर चारों बच्चे अपने अपने बैग में रखी छड़ी को ही चुपके-चुपके निहारते और उसकी लंबाई का अनुमान लगाते उन्हें डर था, कहीं उनकी छड़ी की लंबाई बड़ी न हो गई हो, मास्टर साहब पढ़ाने के दौरान चारों के डर को भापने की कोशिश कर रहे थे। आखिर में मास्टर साहब ने चारों से छड़ी के टुकडे वापस मांगे चारों ने थोड़ा हिचकते हुए छड़ी के टुकड़े जो  उनके पास थे, वापस कर दिए। मास्टर साहब ने छड़ी के चारो टुकड़ों को मेज पर रख दिया। चारों में से तीन टुकड़े समान थे। मगर एक टुकड़ा वाकई में बड़ा था।

     मास्टर साहब के चेहरे पर मुस्कुराहट दौड़ गई, वह चौथा टुकड़ा जो सबसे दो इंच बड़ा था, वह निखिल का था वह सहम गया जबकि सारे दोस्त जोर-जोर से हंसने लगे। मास्टर साहब की डांट से सब शांत हो गए, मास्टर साहब ने बताया कि उन्होंने जो छड़ी के चार टुकड़े उन सब में बाटें थे। वह बढ़ ही नहीं सकते यानी बाकी  तीनों…. मनीष, प्रशांत, प्रणव तीनों ने छड़ी के टुकड़ों को काट कर दो-दो इंच छोटा कर दिया। क्योंकि तुम तीनों के मन में अपनी चोरी पकड़े जाने का डर था। निखिल ईमानदार था, इसलिए उसने छड़ी के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की। उसने उसे जैसे का तैसा रखा।

  मास्टरजी की छड़ी कहानी | Learn Honesty Teacher Student Story In Hindi” आपको कैसी लगी कृपया नीचे कमेंट के माध्यम से हमें बताएं । यदि कहानी पसंद आई हो तो कृपया इसे Share जरूर करें !




• Best शायरी यहाँ पढें
• Best Love शायरी यहाँ पढें
• Best Sad शायरी यहाँ पढें


author

Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं‌‌ गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।

इन्हें भी पढें...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!