“देखो मैंने छड़ी के चार टुकड़े कर दिए हैं। सब की लंबाई एक समान है, एक-एक टुकड़े तुम सब अपने पास रख लो कल मैं ये छड़ी के टुकड़े वापस लूगा। जिसने भी आज छड़ी तोड़ी है। उसकी छड़ी रात भर में दो इंच बड़ी हो जाएगी । फिर दूसरे दिन ट्यूशन में चारों दोस्त पहुंचे मास्टर साहब ने पढ़ाना शुरु किया ।
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