सेठ ने उसे ज़ोर से डाँटा वह भागकर सेठ के पास पहुंची और अपने पिता को माफ करने की सेठ से विनती करने लगी। मगर सेठ इसके लिए बिल्कुल तैयार न थे। वह जानती थी, कि 500 कोड़े उसके बुजुर्ग हो चुके पिता नहीं सहन कर पाएंगे और बीच में ही उसका साथ छोड़कर चले जाएंगे।
“हम तुम्हारे पिता को छोड़ देंगे पर तुम्हे हमारी एक शर्त मंजूर करनी होगी तुम्हे एक खेल खेलना होगा । अगर तुम जीत जाती हो तो तुम अपने पिता को ले जा सकती हो। अगर तुम असफल रहती हो तो तुम्हारे पिता को ये 500 कोड़े तो पड़ेंगे ही तुम्हें अपना घर भी हमें देना पड़ेगा”
“अगर तुमने सही अंगूठी का चयन किया तो तुम इस खेल मे जीत जाओगी और तुम्हारे पिता इस दंड से बच जाएंगे। नहीं तो तुम जानती हो कि फिर क्या होगा”
सिंडरेला ने पर्स में हाथ डाला और काफी देर तक हाथ डाले रखा। फिर उसका हाथ बाहर आया तो सेठ की बेटी तिलमिला उठी।
Moral Of The Story :-
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