#स – सकारात्मकता
- कुश्ती शुरू होने से पहले ही बहुत से गांव वाले अपने पहलवान को हारा हुआ मानकर, घर की तरफ चलते बने ।
- बचे हुए लोगों में से कुछ गांव वाले ये सोचकर प्रतियोगिता देखने बैठ गए कि कम से कम यहाँ आने में लगा किराया ही वसूल हो जाए ।
- परंतु प्रतियोगिता देख रहे हैं कुछ गांव वाले ऐसे भी थे जिन्हें प्रतियोगिता के हार जीत से कोई लेना-देना नहीं था बल्कि उनका मकसद अपने गांव की तरफ से लड़ रहे पहलवान का अंतिम क्षण तक साथ निभाना एवं उसका हौसला बढ़ाना था ।
- वहां बहुत कम दर्शक ऐसे थे जो पहलवान की जीत का भरोसा लिए मैच देख रहे थे ।
अब जरा सोचिए आप किसी भारी वस्तु को अपनी पूरी ताकत से आगे धकेलने की कोशिश करते हैं उस स्थिति में उस वस्तु के अपनी जगह से खिसकने की कितनी संभावना है परंतु वहीं एक दूसरे सिचुएशन में जहां ऐसी धारणा के साथ कि “वह वस्तु हमसे नहीं खिसकने वाली” आधा-अधूरा एवं हल्का-फुल्का प्रयास किया जाए तब ऐसी स्थिति में उस वस्तु के अपने स्थान से परिवर्तित होने की कितनी संभावना होगी ।
#र – रणनीति
दोस्तों सच पूछो तो मेरे दोस्त को कॉल लेटर मिलने के तुरंत बाद उसे दिल्ली तक का रिजर्वेशन करा लेना था और इसके साथ-साथ स्वयं या किसी को भेजकर स्टेशन से आईटी कंपनी के ऑफिस के रास्तों की जानकारी भी ठीक प्रकार से कर लेनी चाहिए थी यदि यह सारे काम उसने पहले ही निपटा लिए होते तो निश्चित रूप से उसे निराशा का सामना नहीं करना पड़ता ।
#ग – गलतियों से सीखना
दोस्तों यदि आप से गलतियां हो रही हैं तो उससे घबराने या उससे मायूस होने की जरूरत नही है यदि जरूरत है तो उनसे सीखने की, गलतियों से सीखते जाइए और उसे दोहराने से बचिए ऐसा करके आप निश्चित रूप से अपना गोल अचीव करने में सफलता पाएंगे ।
#म – मंजिल
अपनी रुचि और अपनी क्षमताओं के हिसाब से सोच समझकर अपना गोल निर्धारित करें क्योंकि जब आप अपनी रुचि के हिसाब से अपना गोल तय करते हैं तो निश्चित रूप से उसमें सफलता के चांसेस 10 परसेंट ज्यादा होते हैं । अपने इंटरेस्ट के विपरीत गोल को हासिल कर लेने के बाद भी अक्सर लोगों को सेटिस्फेक्शन नहीं मिलता । वही यदि आप अपनी क्षमताओं से अलग गोल का चुनाव कर लेते हैं तो कई बार ऐसे गोल को हासिल कर पाना बहुत मुश्किल होता है ।
#प – परिश्रम
#ध – धैर्य
#न – निरंतरता
दोस्तों यदि आपको सफलता चाहिए तो आपको अपनी स्कील डिवेलप करनी होगी जिसके लिए आपको रेगुलर होना पड़ेगा । सक्सेस इस बात पर डिपेंड नही करती कि आप कितने घंटे काम करते हैं बल्कि इस बात पर निर्भर करती है कि आप रोजाना अपने काम को मिनिमम कितना टाइम देते हैं । वह समय 8,12 या 18 घंटे भी हो सकते हैं । सो प्लीज आज से रेगुलर हो जाएं ।
दोस्तों यकीन माने संगीत के इन सात सुरों में छुपे सफलता के मंत्र को यदि आप अपने जीवन में अक्षरसः उतारेंगे तो निश्चित रूप से सफलता आपको हर हाल में प्राप्त होगी ।