Importance or Role Of Saving Money in Our Daily Life Short Hindi Story
पापा “क्या कल नहीं गईया लाए हो”
(हरिया का बेटा आंख मिजते हुए उससे पूछता है)
हरिया “नहीं बेटा, अपनी लाजो ने कल रात में, ये बछड़ा जना है”
“पर ये इतना उछल कूद क्यों मचा रहा है”
(हरिया का बेटा उससे पूछता है)
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हरिया “ये दुनिया उसके लिए बिल्कुल नई है । जिसे देखकर वह थोड़ा खुश तो थोड़ा आश्चर्यचकित भी है । जैसे-जैसे उसे ये दुनिया समझ आने लगेगी । वह खुद-ब-खुद शांत हो जाएगा”
पिछले महीने गेहूं की फसल बेच कर हरिया ने एक गाय खरीदी थी । जिसने कल रात को एक बछड़ा जना है वैसे तो हरिया ने लाजो को ये सोचकर खरीदा था कि उससे मिलने वाले दूध का इस्तेमाल वह घर खर्च में करेगा और खाने-पीने से जो दूध बच जाएगा उसे बेचकर वह लाजो का खर्च बहन कर लेगा
परंतु लाजो का दूध हरिया की उम्मीद से कहीं ज्यादा हो रहा है । उसके दूध से अब घर में दूध,दही व पेड़े, किसी चीज की कोई कमी नही रही और इतना ही नही इन सबके बाद भी ढेर सारा दूध रोज बचा रह जा रहा है, जिसे कस्बे के दुकानदारों को बेचकर, हरिया की अच्छी आमदनी भी हो रही है । लाजो की बदौलत हरिया ने अपने बच्चों का दाखिला एक महंगे स्कूल में कराया है । इतना ही नहीं लाजो का दूध बेचकर उससे मिले पैसो से हरिया ने घर की मरम्मत व अपने लिए एक नई साइकिल भी खरीद ली है ।
एक दिन जब हरिया कस्बे में दूध बेचकर घर लौट रहा था । तभी उसकी मुलाकात पड़ोस गांव में रहने वाले सरजू से होती है । सरजू उसे देख कर कहता है कि
“क्या बात है हरिया आजकल बड़े टिंच-पिंच नजर आते हो । क्या कोई पैसे बरसाने वाला पेड़ तुम्हारे हाथ लगा है ?”
(तब हरिया हंसते हुए कहता है)
“नहीं नहीं यह सब तो लाजो की बदौलत संभव हो सका है”
“अब यह लाजो कौन है”
(सरजू उससे पूछता है)
“तो क्या तुम भूल गए ? दो महीने पहले तुम्हारे साथ चलकर, जो गाय मैंने खरीदी थी । वह अब इतना दूध देती है कि पूछो मत बस उसी की बदौलत ही तो मैंने अपनी सारी जरूरतें पूरी कर ली”
हरिया हंसते हुए सरजू से कहता है
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सरजू “ओह, तो ये बात है । भाई तुम तो बड़े नसीब वाले हो वरना आजकल ऐसे पशु मिलते कहां हैं”
“हां भाई वाकई लाजो ने मुझे बहुत कुछ दिया है । कभी वक्त मिले तो घर आना तुम्हें लाजो के दूध से बने छाछ व पेड़े खिलाऊंगा”
ऐसा कहकर हरिया वहां से चला जाता है ।
गांव में जहां हर तरफ धान की रोपाई चल रही है वहीं हरिया अपने खेतों में चारे के बीज बो रहा है । यह देख गांव वाले उससे कहते हैं
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“क्या भाई हरिया इस बार तुने धान की बुआई नहीं की”
हरिया “नहीं-नहीं, भाई मेरी लाजो का मुझ पर बहुत एहसान है । मैं सोचता हूं कि मुझे भी उसके लिए कुछ करना चाहिए । बस इसलिए मैंने इस बार सारे खेत में चारा उगाने की सोची है ताकि लाजो की मैं ठीक से सेवा कर सकूं”
गांव वाले भी उसके इस फैसले की काफी तारीफ करते हैं ।
देखते ही देखते तकरीबन आठ महीने गुजर जाते हैं । लाजो की बदौलत हरिया की ठाठ-बाट अब भी बरकरार है । वह जमाना कुछ और था जब वह कपड़े सिल-सिल कर पहना करता था । अब तो कपड़ों के रंग उतरने से पहले ही उसके कपड़े बदल जाते हैं ।
परंतु एक दिन अचानक लाजो का दूध बहुत कम हो जाता है । यह देख हरिया चौक जाता है । शादी का सीजन चल रहा है । ऐसे में बहुत कम दूध लेकर पहुंचने पर दुकानदार भी उससे खासा नाराज हो जाते हैं । तब हरिया उनसे अगले दिन ठीक-ठाक दूध लेकर आने का वादा करके वहाँ से चला जाता है परंतु अगले दिन लाजो का दूध इतना कम हो जाता है कि वह उसे या तो बच्चों को खिलाएं या फिर बाजार ले कर जाएगी अब वह क्या करे? वह बड़ी ही दुविधा में फस जाता है ।
एकतरफ जहां जेब में फूटी कौड़ी तक नहीं है वहीं दूसरी तरफ बच्चों के स्कूल की फीस भी भरनी अभी बाकी है । ऐसे में वह बच्चों का मोह त्याग, सारा दूध बाजार में बेच आता है किन्तु लाजो के दूध के घटने का क्रम बदस्तूर यूँ ही जारी रहता है और धीरे-धीरे लाजो दूध देना बिल्कुल बंद कर देती है ।
यह देख हरिया अपना सर पकड़ लेता है चूँकि लाजो के आने के बाद उसकी जिंदगी काफी ऐशो-आराम से गुजर रही थी परंतु अचानक लाजो के दूध देना बंद कर देने से कई उसपर समस्याएं का अम्बार लग जाता है ।
जैसे घर का खर्च कैसे चलेगा, महंगे स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों की फीस कैसे चुकाई जाएगी और चूंकि लाजो के चलते हरिया ने कोई फसल भी नहीं उगाई है इसलिए आगे भी कोई राहत मिलने की उम्मीद नहीं है । हरिया की चिंताएं दिन-ब-दिन बढती चली जाती हैं ।
तभी एक दिन गावं के मास्टर साहब से उसकी बात होती है । उसकी दशा देख मास्टर साहब उससे कहते हैं
“हरिया, तुमने शायद कभी चीटियों पर गौर नहीं किया । वे गर्मियों के मौसम में निरंतर काम करके सर्दियों के लिए भोजन का जुगाड़ सिर्फ इसलिए करती हैं ताकि जब सर्दियां आए तो उन्हें भोजन के लिए तरसना ना पड़े । यदि तुमने अपने अच्छे दिनों में कुछ पैसे बचाए होते तो आज तुम्हे ये दिन देखना नहीं पड़ता”
कहानी से शिक्षा | Moral Of This Short Motivational Story In Hindi
समय हमेशा एक जैसा नहीं रहता इसलिए अपने अच्छे दिनों में भी सामान्य जीवन शैली अपनाकर, आने वाले दिनों के लिए कुछ विशेष प्रबंध अवश्य करना चाहिए !
किसी नए क्षेत्र में अचानक मिली बड़ी सफलता के बाद भी अपने आधारभूत कार्य क्षेत्र में पूरे मन से अपनी सेवाए तबतक जारी रखें जबतक नए कार्य क्षेत्र का लम्बा अनुभव आपको प्राप्त न हो जाए!
वैसी जल्दबाजी बिल्कुल न करें जैसी हरिया ने कि उसने लाजो के बल बूते धान व गेंहू की बुआई बिल्कुल ही बंद कर दी और जिसके परिणामस्वरूप उसे बुरे दिन देखने पड़े ।
करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है ।
करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।