अब समझ मे आ गया | Understanding Motivational Story In Hindi

      रामप्रसाद की गाय बहुत ही अच्छा दूध  दे रही थी । फिर भी वह उसे बेच रहा था , क्योकि उस कि बीबी ऐसा चाहती थी ।

मास्टर साहब – क्यों भाई रामप्रसाद सुना है कि तुम गाय को बेच रहे हो ,क्या हो गया अभी तो चार दिन पहले तो तुम उसकी बहुत तारीफ कर रहे थे ।

रामप्रसाद – हाँ मास्टर साहब बेच तो  रहा हूँ ।
मास्टर साहब  – पर क्यों,  पूरे गाँव  मे क्या आस पास के कई गाँवों मे भी तुम्हारी गाय के  जैसी कोई गाय नही है ।

रामप्रसाद –  जी मास्टर साहब मेरी गाय कि चर्चा तो  पूरे  इलाके मे है , लेकिन क्या करू मेरी बीबी  को पता नही क्या हो गया है । वो  गाय को रखना ही नही चाहती है । कल तक उसका बहुत ख्याल रखती थी । अब तो उसे चारा भी बहुत कहने पर ही देती है ।

मास्टर साहब  – तुम क्या चाहते हो रामप्रसाद , क्या तुम भी गाय को नही रखना चाहते हो ।
रामप्रसाद –  नही  मास्टर साहब मै अपनी  गाय को किसी भी कीमत पर नही बेचना चाहता हूँ । मै आप से मिलने आप के घर भी गया था , लेकिन आप से मुलाकात नही हुई , क्या करू मेरी कुछ समझ मे नही आ रहा है । आप ही कोई उपाय बताईये ।

मास्टर साहब – मालूम चला कि तुम घर गए थे । तुम बहुत परेशान थे । ये भी घरवालो ने बताया इसलिये तो मे आज मिलने तुम्हारे पास आया हूँ । तुम ने अपनी  बीबी से पूछा क्या दिक्कत हो गई  है । अब उसे इस गाय से ।
रामप्रसाद –  जी पूछा , वह कहती है अब उससे ये सब नही होगा, गाय की देख भाल मे सारा समय निकल  जाता है ।

मास्टर साहब – एक काम करो रामप्रसाद गाय का सारा दूध चुन्नू हलवाही की दुकान पर कल से दे देना । मै उससे कह दूगाँ वह ले लेगे , कुछ दिन तुम अपनी बीबी से गाय कि देख भाल के लिये कुछ भी न कहो , खुद करो ,गाय से मिलने वाले दूध दही मख्खन घी मे कितने पैसे लगते है ये उसे नही मालूम जब इनकी कमी होगी तब उसे गाय का महत्व समझ मे आएगा और दूध  के बेचने से जो भी पैसे मिलेगा तुम उसे बैंक मे जमा  करना और अपने  दिमाग से गाय के बेचने के ख्याल को फिलहाल निकाल दो , हो सकता है कि किसी ने तुम्हारी बीबी को बहकाया हो इसका भी पता लगाओ , हरिया गाय खरीदने कि बात कह रहा था कही वो तुम्हारी गाय कि तो बात नही कर रहा  था , मै पता लगता हूँ ।

 रामप्रसाद – ठीक  है मास्टर साहब
दूसरे दिन मास्टर साहब की बात मान कर रामप्रसाद ने सारा दूध चुन्नू की दुकान पर दे दिया ।
शोभा – सारा दूध क्या हुआ
रामप्रसाद – मैंने दूध  दुकान पर बेच दिया ।
शोभा – चाय  और बच्चो के पीने के लिये तो दूध रख लेते ।
रामप्रसाद – समझ लो गाय बिक गयी ।

——–

  कई दिन ऐसे ही चला दूध के बिना  उसे चाय अच्छी नही लगती थी । बच्चे भी दूध दही के बिना मन से खाना  नही खाते  थे । अब शोभा परेशान थी उसने सोचा था कि गाय के बेचने से जो पैसे मिलेगे वह उससे अपने लिये  हार बनवाएगी , अभी यही सोच ही रही थी कि ऊषा वहा आई ।

ऊषा – क्या हुआ गाय बेचीं  नही
शोभा – नही  वो उसे बेचना ही नही चाहते है
ऊषा – तुम्हारे हार का क्या  होगा ,
शोभा ने ऊषा को बताया कि गाय का सारा दूध अब बेच देते है घर पर चाय के लिये भी  दूध नही  छोड़ते  है उसने शोभा को राय दी कि तुम  अपने हार के लिये दूध का पैसा मांगो यदि न दे तो गाय को बेचने के लिये कहो
शोभा ने वैसा ही किया ।
शोभ – जी मुझे हार खरीदना है आप मुझे  दूध वाले पैसे दे दो ।

रामप्रसाद मै वो पैसे तो नही दूगाँ उससे मे एक और गाय खरीदूगा , और तुम्हारे पास तो गहने है फिर क्या करोगी हार का  ,
शोभा  – कहा है  तुम उनको गहने कहते हो ,सबके पास कितने अच्छे  अच्छे  गहने है , ऊषा ने  भी अभी नया हार ख़रीदा है । आप मुझे दूध के पैसे दो या  ये गाय बेच कर पैसे दो  मुझे बस हार खरीदना है।
रामप्रसाद-  तो  तुमको उसने ये राय दी  है …. गाय बेचने कि, गाय बेच कर हार खरीदना कहा की अक्लमंदी  है ।
शोभा–( गुस्से मे थी ) – हाँ  दी तो क्या गलत किया
रामप्रसाद – मास्टर साहब ने सही कहा था  हरीया  गाय खरीदना चाहता था । उसने अपनी बीबी को तुम्हारे  पास भेजा  तुमको  बहका कर गाय को बेचवाना चाहते थे । तुम उसकी बातो मे आ गई,  अब समझ मे आ गया, हमारी गाय पूरे इलाके मे सबसे अधिक दूध देती है , गाय के दूध से  कितने  फायदे है कभी सोचा है साग सब्जी का खर्च बच जाता है । अगर गाय बेच देगे तो कहा से लायेगे इतने पैसे की बच्चो को दूध दही और घी खिला सके।

 रामप्रसाद की बाते सुन कर शोभा की समझ मे आ गया  उसके दिमाग मे ये तो आया ही नही , पन्द्रह दिन से घर मे दूध वाली चाय नही बनी और न ही बच्चो ने मन से खाना ही खाया । वो भी तो दिन भर घर पर ऐसे ही बैठी रहती क्योंकि गाय का सारा काम रामप्रसाद खुद करता था ।

मास्टर साहब – (बाहर से आवाज लगाई ) रामप्रसाद
रामप्रसाद बाहर आया  , रामप्रसाद ने मास्टर साहब का शुक्रिया अदा किया ।
रामप्रसाद – मास्टर साहब आप कि वजह से आज मेरी गाय रह गई नही तो मै इतनी अच्छी गाय बेच देता ।

Moral of  the story :-

हमें दूसरों की सलाह पर अमल करने से पहले अपनी समझ का इस्तेमाल ज़रूर करना चाहिए  !
  Prabhakar
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author

Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी एवं कविताएं कहने का भी बहुत शौक है । आपको, अपने निजी जीवन एवं कार्य क्षेत्र में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने की कोशिश करते रहे हैं ।

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