ढलती उम्र के साथ कासिम का स्वास्थ्य भी दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा था । इसलिए उसे अब अपने मवेशियो की चिंता होने लगी थी । कासिम मवेशियों का बहुत बड़ा व्यापारी था । उसके पास बहुत अच्छी-अच्छी नस्लों की ढेरों गायें थी ।
एक दिन कासिम ने यह फैसला किया कि वह अपनी गायों को चारागाह में काम करने वाले नौकरों में बांट देगा जैसे ही कासिम के इस फैसले की भनक नौकरों को हुई उनकी खुशी का तो मानो ठिकाना ही नही रहा ।
एक दिन कासिम ने अपने फैसले की जानकारी नौकरों को देने के लिए सबको चारागाह के बीचो-बीच स्थित खुले मैदान में बुलाया । वह एक ऊंचे टीले पर खड़ा हो गया और अपने इस फैसले के बारे मे बताने लगा जिसे
सुनकर सभी बहुत खुश हुए ।
तब कासिम ने अपनी बाईं ओर इशारा करते हुए उनसे कहा कि
“तुममें से जिन्हें भी ये गायें चाहिए वे इस तरफ आकर खड़े हो जाएं”
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कासिम की इस बात को सुनते ही वहां खड़े सभी लोग फटाफट बाई तरफ इकट्ठा हो गए । उनकी संख्या बहुत ज्यादा थी परंतु कासिम की आंखें तब आश्चर्य से भर गई जब इस भीड़ से परे, भीड़ की दूसरी तरफ गोपाल चुपचाप खड़ा था । उसे इसप्रकार देख कासिम ने उससे कहा
“क्यों भाई गोपाल तुम्हें ये गायें नही चाहिए”
“हुजूर, यहां बड़ी ही अच्छी-अच्छी नस्ल की ढेरों गाएं हैं । मैं चाहता हूं कि उन्हें मेरे इन दोस्तों में बांट दीया जाए”
(गोपाल ने कासिम से विनम्रतापूर्वक कहा)
कासिम “अच्छा तो तुम्हें यह गायें नहीं चाहिए”
गोपाल “नहीं हुजूर, इस चारागाह में ढेर सारे गायों के बीच थोड़े बहुत बैल रहा करते हैं कृपया आप उन्हे मुझे दे दे”
———
उसके ऐसा कहते ही वहां उपस्थित सभी लोग जोर जोर से हंसने लगे
कासिम “तुम होश में तो हो कहीं तुमने …”
गोपाल “नहीं-नहीं हुजूर मैं पूरे होश में हूँ”
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कासिम, अपने सभी बैलो को गोपाल को देते हुए गायों को बंटवारा करने मे जुट गया ।
इधर गोपाल, मिले बैलों को लिए अपने गांव चला आया चूंकि उसके इस फैसले की खबर गांव वालों को भी हो चूकी थी जिसके परिणास्वरूप गांव पहुंचने पर गोपाल की यहां भी खूब जग हंसाई हुई
परंतु भोपाल पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा । कालांतर में जब खेतों की जुताई बुवाई का समय आया तब गोपाल ने अपने इन हट्टे-कट्टे बैलों को किराए पर देना शुरू कर दिया जिसके फलस्वरूप गोपाल की आमदनी ठीक-ठाक होने लगी इतना ही नहीं काम न होने की स्थिति में वह अपने बैलों का उपयोग ढुलाई के कामो में करने लगा देखते ही देखते गोपाल के दिन बहुर गए । अब तो गांव वाले भी, गोपाल की समझदारी और दृढ निश्चय की प्रशंसा करते नही थकते ।
उधर कासिम के चारागाह मे गायों की लालसा मे उमड़ी भारी भीड़ में किसी को एक तो किसी को दो ही गायों से संतोष करना पड़ा । जिसके कारण उनकी दशा में कोई खास बदलाव नहीं हो सका ।
कहानी से शिक्षा | Moral Of This Best Inspirational Story In Hindi
दोस्तों हम generally उसी मार्ग पर चलना पसंद करते हैं जिसे अधिकतर लोगों ने हमसे पहले चुना हो परंतु थोड़ा सोच-विचार कर यदि हम दूसरो से कुछ अलग करने की कोशिश करते हैं तो निश्चित रूप से हम एक बड़ी सफलता हासिल कर सकते हैं । हालांकि इसमें ढेरों चुनौतियों व आलोचनाओ का सामना करने के लिय हमें खुद को तैयार रखना होगा !
ऐस ही अलग रास्तो पर चलकर विश्व प्रसिद्धि पाने वालों मे मार्क ज़ुकेरबर्ग भी हैं ।
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