ये जरूरी नहीं की मरे और जान‌ निकले ही | करन‌ मिश्रा | शायरी

ये जरूरी नहीं की मरे और जान‌ निकले ही,
कईबार लाशें बनकर भी‌‌‌ जीना पड़ता है.
ये जरूरी नहीं की रोयें और अश्क छलके ही,
कईबार अश्कों को पीकर भी‌‌‌ हसना पड़ता है.

Ye jaruri nahi ki mare aur jaan nikale hi,
Kae bar Lashen bankar bhi jeena padata hai.
Ye jaruri nahi ki roye aur ashk chhalke hi,
Kae bar ashko ko pikar bhi hasana padata hai.

author

Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी एवं कविताएं कहने का भी बहुत शौक है । आपको, अपने निजी जीवन एवं कार्य क्षेत्र में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने की कोशिश करते रहे हैं ।

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