मनोज के साथ उसके कालेज भी जाया करती कालेज मे मनोज के सभी दोस्त रोली को बहुत मानते रोली भी वहाँ खूब मस्ती करती मैट्रिक मे ही कालेज के दिनो का आनंद वो मनोज की वजह से लेने लगी थी, रोली अपने स्कूल मे जाना कम पर उसके कालेज मे जाने के लिए ज्यादा उत्सुक रहती थी, रमेश भी ये बात जानते थे, पर रोली की खुशी मे वो भी खुश थे, जया को शोरगुल पसंद नही था, विवेक का एक दोस्त विकास जो जया के बगल मे रहता था ।
अक्सर तेज गाने बजाया करता था, रोली,विवेक, मनोज कुछ मुहल्ले के साथी गोवा घूमने गए थे, जया विकास के घर से आ रही जोर-जोर की आवाजो से परेशान हो गई । उसने कई बार विकास से जाके आवाज धीमी करने को कहा पर विकास कहा मानने वाला वो और उसके कुछ दोस्त छुट्टिया इन्जॉय कर रहे थे, फिर क्या वही हुआ जिसका डर था, जया और विकास मे बहस छीड़ गई मनोज के पिता भी वहाँ जा पहुंचे सारा मोहल्ला इकठ्ठा हो गया । तब तक विकास ने जया को कुछ अपशब्द कह डाला । मनोज के पिता बर्दास्त नही कर सके, और विकास को एक थप्पड़ जड़ दिया। इतने मे ही विकास और उसके दोस्त मनोज के पिता पर टूट पड़े। जया एक तरफ अपने पति को बचाती और दूसरी तरफ जोर-जोर से मीना और रमेश को बुलाती पर उनका दरवाजा नही खुला। मनोज के पिता और जया दोनो को बहुत चोटे आई।
शाम को मीना बरामदे मे रमेश से हंस-हंस के बाते कर रही थी, जया को रहा नही गया वो तुरन्त मीना के पास पहुंच कर उसे बहुत खरी-खोटी सुनाई पर सच तो यह था कि झगड़े के समय संयोगवश रमेश और मीना गहरी नींद मे सो रहे थे, अन्यथा वो मदद के लिए आए होते। जया की सुनते-सुनते मीना भी भड़क उठी क्योंकि उसकी कोई गलती नही थी, रमेश को भी जया का बर्ताव अच्छा नही लगा और एक गलतफहमी से सालो के रिश्ते टूट गए। मीना और जया के इस मनमुटाव से दोनो परिवारो की दोस्ती पर गहरा असर पड़ा।
दोनो परिवारो का मिलना-जुलना तो दूर एक-दूसरे को देखना भी गवारा न था, पर नादान रोली उसको इन सब बातो की कोई परवाह नही थी, बिमारी का बहाना बनाकर वो एक दिन स्कूल नही गई और बाहर कमरे की खिड़की से मनोज के घर पर नजरे टिकाए बैठी थी, मनोज जब अपने कालेज के लिए निकला तो पीछे-पीछे रोली भी चल दी कुछ दूर जाने के बाद रोली ने मनोज को आवाज लगाई । मनोज ने पीछे मुड़कर देखा रोली पीछे खड़ी अपनी मासूम मुस्कान बिखरे रही थी, मनोज ठहर गया, रोली ने मनोज से कहा “आज मै भी तुम्हारे साथ कालेज चलूंगी। हम ढेर सारी मस्ती करेंगे” मनोज ने दोनो परिवारो के बीच जन्मे दुश्मनी की ओर रोली को इशारा किया पर रोली ने उसकी एक न सुनी, फिर क्या था मनोज और रोली कालेज की तरफ चल दिए।
रमेश ने रोली को जया और उसके परिवार से मिलने से मना कर दिया। रमेश ने पहली बार रोली को किसी बात के लिए रोका था, रोली ने पिता के कहे को नजरअंदाज नही किया चार महीने बीत गए रोली अपने बेस्ट फ्रेंड मनोज को देखती तो थी, पर बातचीत बन्द थी, इस दूरी ने शायद छोटी सी रोली को मनोज को उसकी जिंदगी मे एहमियत को समझा दिया था, रोली और मनोज को एक-दूसरे से मिलने के लिए बेचैन हो उठे।
चार महीने की दूरी ने दोस्ती को शायद प्यार मे बदल दिया था, आखिरकार वो दिन आ ही गया जब दोनो का एक-दूसरे से मिलने का सपना हकीकत मे बदला। नए वर्ष का शुभारंभ हो रहा था,रोली भी अपने दोस्तो के साथ घूमने गई थी, इत्तफाक से मनोज रोली को वहाँ मिल गया । फिर क्या था रोली मनोज को लेकर वहाँ से चली गई। रोली मनोज के सीने से लग कर बस रोती रही मनोज की आंखो से भी अश्को की धारा बह निकली शायद ये अश्क नही इजहार-ए-मुहब्बत थी नया साल दोनो की जिन्दगी मे नई सुबह लेकर आया था, रोली अपने प्यार को पाके बहुत खुश थी, उधर मनोज भी पूरी रात रोली को याद करता रहा।
अगली सुबह रोली की नजरे मनोज के घर पर टिक गई रोली तो बस मनोज को एक नजर देखना चाहती थी, पर सुबह के दस बज गये मनोज बाहर निकलने का नाम ही नही लिया,शायद मनोज के कदम दोनो परिवारो के बीच चल रही नफरत को देखते हुए पीछे ठिठक गए। ये क्या एक पल मे जगी आस अगले ही पल बूझ गई। मासूम रोली बहुत दुखी हुई माँ के कहने पर भी उसने कुछ नही खाया। इधर मनोज रोली की यादो मे खोये-खोये रात भर जगे रहने की वजह से सुबह देर तक सोया रहा माँ के बहुत जगाने पर उठा, उठते ही मनोज तेजी से बाहर निकला पर तब तक रोली पीछे अपने कमरे मे जा चुकी थी, मनोज बिना कुछ खाये पिये रोली की राह देखता रहा, शाम होने को आयी के तभी मायूस रोली किसी की आवाज सुनकर बाहर आयी बाहर आते ही रोली की खुशी का ठिकाना न रहा ।
—– क्योंकि सामने रोली का प्यार अपने दरवाजे पर खड़ा,एक टक रोली को देखे जा रहा था, एक-दूसरे को देख दोनो के दोनो खुशी से झूम उठे।
उधर रोली के न मिलने पर रमेश और मीना अपनी जान से प्यारी रोली की फिक्र मे पागल हुए जा रहे थे, रोली का चेहरा हर वक्त उनके समाने था, जाने किस मुसीबत मे होगी वो ये सोच-सोच के वो और पागलो की तरह उसे ढूंढे जा रहे थे, जिसे ढूंढ रहे थे, पता नही वो जिन्दा थी या नही।
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रोली ने जैसे ही अन्दर आने का प्रयास किया मीना ने दरवाजा बन्द कर दिया। रमेश तो बिल्कुल खामोश थे, ये सब देख रोली खुद को रोक न सकी। उसने अपनी माँ को अपनी बात समझाने का बहुत प्रयास किया, मगर कुछ ही देर मे मीना,रमेश के साथ घर मे चली गई। शायद रोली मनोज के नए रिश्ते के आगाज के साथ ही माँ-बेटी के रिस्ते का अन्त हो चुका था, मनोज का परिवार भी अपने बेटे के कृत से हतप्रभ था, परंतु मनोज के पिता इस नाजुक हालात को शायद समझ रहे थे, उन्होंने बेटे-बहू को साथ चलने को कहा।
मगर तभी जया ने रोली को अपने घर आने से मना कर दिया। मीना से उसकी नफरत को वो भुला न सकी थी, कोई आशियाना न देखे मनोज रोली का हाथ थामे वहा से चल दिया। कहाँ ये शायद उसको भी नही पता। इकलौते बेटे को खोने की जया कल्पना भी नही कर सकती थी, मजबूरन वो रोली को साथ रखने को तैयार हो गई। बड़ा ही अजीब नजारा था ।
मनोज ने जब रोली से बात जानी। तो वह भी तुरन्त उसके साथ निकल पड़ा। रोली इतना बदहवास हो गई थी, कि वो नगे पावं ही गांव को चली गई। रास्ते भर वो बस रोती रही। घर पहुंचते ही रोली सामने पड़ी विवेक के शव से लिपट कर फफक-फफक कर रोने लगी। उसकी यह दशा देखकर हर कोई भावुक हो बैठा, तभी उसने अपनी बदहवास बैठी माँ को देखा वो जैसे ही उसकी तरफ बढी।
रमेश ने उसे रोक दिया और उसे चले जाने को कहा,गांव के सभी लोगो ने रोली को माफ करने को कहा पर शायद रमेश मुम्बई के साथ रोली को भी सदा के लिए अलविदा कर आए थे।
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