मतलबी दुनिया के मतलबी लोग और उनके स्वार्थी रिश्ते कहानी | Hindi Story
बचपन के दो जिगरी दोस्त सत्यम और शिवम दोनों का दाखिला एक ही कॉलेज में हुआ खुद को एक ही कॉलेज में पाकर वे दोनों काफी खुश है मगर कॉलेज के पहले दिन ही शिवम और कॉलेज के एक पुराने छात्र शुभम में सीट पर अपना-अपना अधिकार जमाने को लेकर बहस छिड़ गई ।
धीरे-धीरे बहस काफी उग्र हो गई । इस उग्र बहस में सत्यम भी अपने जिगरी यार शिवम के साथ हो गया तभी अचानक क्लास के हेड मास्टर का आना हुआ । मामले को समझने के बाद सीट पर बैठे अन्य दो छात्रों को मास्टर साहब ने पीछे बैठ जाने को कहा वहीं उन्होंने सत्यम, शिवम और शुभम को जोरदार फटकार लगाते हुए आगे से ऐसा न करने की हिदायत देते हुए चुपचाप सीट पर बैठ जाने को कहा ।
मास्टर साहब द्वारा मामला सुलझाने के बाद भी, एक ही सीट पर बैठे दोनों दोस्तों और शिवम के बीच तनातनी बनी रही परंतु एक दिन अचानक सत्यम का व्यवहार शुभम के लिए पूरी तरह बदल गया । वह उससे मित्रता करने की हर संभव कोशिश करने लगा । यहां तक कि उसने शिवम से अपनी गलतियों के लिए शुभम से माफी मांगने के लिए कहा तब शिवम ने इसके लिए उसे साफ मना कर दिया उसने कहा
“तुम ऐसा कैसे कह सकते हो सीट के लिए हमारे बीच जो बहस हुई उसमें जितनी गलती मेरी थी उतनी ही उसकी भी थी । ऐसे में मैं ही क्यों उससे माफी मागूं अगर माफी मांगनी ही है तो हम दोनों को एक दूसरे से माफी मांगनी चाहिए”
मगर बार-बार सत्यम, शिवम को ही इस बहस के लिए कसूरवार ठहराते हुए, माफी मांगने के लिए उस पर दबाव डालता रहा । आखिरकार दोस्त की बात रखते हुए शिवम ने शुभम से न चाहते हुए भी अपने गलतियों की माफी मांग ली । शिवम को शुभम ने ऊपरी मन से तो माफ कर दिया मगर उसके प्रति नफरत की आग उसके अन्तर्मन मे कही न कही निरन्तर जलती रही ।
धीरे-धीरे काफी वक्त गुजर गया मगर इस गुजरे वक्त में एक बड़ा परिवर्तन देखने को मिला । सत्यम बात-बात पर शिवम से चिढ़ने लगा । वही उसकी नजदीकियां शुभम से बढ़ने लगी । कभी एक वक्त हुआ करता था जब सत्यम और शिवम दोनों स्कूल के बाद शाम को मिलते और खूब सारी मस्ती करते ।
परंतु अब सत्यम, शिवम के घर भूल कर भी नहीं आता । वह स्कूल से आने के थोड़ी देर बाद ही शुभम के घर चला जाता । वहीं शिवम जब भी सत्यम का पता करने उसके घर आता तो उसे सत्यम के, शुभम के घर होने की जानकारी मिलती ।
यह बात शिवम को बहुत अखरती वह समझ नहीं पा रहा था कि आखिर सत्यम का व्यवहार अचानक उसके लिए बदलता क्यों जा रहा है । जो सत्यम हमेशा उसके साथ-साथ रहा करता था । बात-बात पर उसके लिए लड़ जाया करता आखिर वह आज उससे अधिक वैल्यू शुभम को क्यों दे रहा है ?
इन सवाल का जवाब जानने के लिए शिवम ने आखिरकार एक दिन सत्यम से पूछ ही लिया
“यार एक बात बताओ इस कॉलेज में आने से पहले हम सबसे घनिष्ठ मित्र हुआ करते थे हमारे बीच दूसरा कोई नहीं था मगर आज मेरी जगह शुभम क्यों लेता जा रहा है । आज वह तुम्हारा सबसे प्रिय मित्र बन चुका है वही आजकल तुम मुझे अपने साथ देखना भी नहीं चाहते”
तब सत्यम ने कहा
“ऐसी कोई बात नहीं है हां यह जरूर है कि शुभम तुमसे हर मामले में ज्यादा बेहतर है वह पढ़ाई लिखाई के साथ-साथ खेलकूद में भी काफी स्मार्ट है । मुझे उसके साथ रहना अच्छा लगता है । इसके सिवा और कोई बात नहीं है और वैसे भी तुम बात-बात पर सबसे झगड़ते रहते हो जबकि शुभम सबसे दोस्ती बनाकर रखने वालों में से हैं”
शिवम को सत्यम की बात बड़ी अजीब लगी क्योंकि हकीकत में तो ऐसा कुछ भी नहीं था । शिवम आज भी क्लास में सबसे तेज बच्चा था और खेलकूद में भी उसकी बराबरी करने वाला कोई नहीं था ।
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ऐसे में शुभम उससे ज्यादा स्मार्ट कैसे हो सकता है मगर फिर भी उसे अपने दोस्त सत्यम की बातों पर पूरा भरोसा था । ऐसे में उसने अपने अंदर परिवर्तन लाने की ठान ली । उसने अपने अंदर दिख रही हर बुराई को खत्म करने की पूरी कोशिश करनी शुरू कर दी परंतु सत्यम व्यवहार उसके प्रति जस का तस रहा ।
एक दिन जब शिवम कुछ जरूरी काम से सत्यम के घर गया तब उसे पता चला कि वह तो हमेशा की तरह ही शुभम के घर गया है बात जरूरी होने के नाते शिवम सत्यम से मिलने शुभम के घर चल पड़ा मगर वहां शिवम को देखते ही सत्यम फटाफट छत से नीचे दौड़े आया । वहां आते ही उसने उसे वहां से फौरन चले जाने को कहा शिवम अभी सत्यम से कुछ कहता ही कि तभी सत्यम काफी बेरूखी से शिवम से कहता है
“तुम चुपचाप अभी यहां से चले जाओ, मैं नहीं चाहता कि शुभम तुमको यहां मेरे साथ देखें क्योंकि वह तुम को जरा भी पसंद नहीं करता और मैं तुम्हारी वजह से उससे अपनी दोस्ती नही खराब कर सकता”
सत्यम कि इन बातों से शिवम को बहुत दुख हुआ । वह उदास मन से चुपचाप घर लौट आया और पूरी रात सत्यम और अपनी पुरानी दोस्ती के दिनों को सोचता रहा । वह सोचता रहा कि मेरे अन्दर आखिर ऐसी क्या कमी है जिसके नाते मेरा सबसे अच्छा दोस्त मुझसे दूर होता जा रहा है ? आखिर शुभम में ऐसा क्या है जो मुझ मे नहीं है ? इन तमाम सवालों में वो रात भर जागता रहा ।
अगले दिन शिवम उन दोनों को अकेला छोड़ क्लास की सबसे पिछली सीट पर जाकर बैठ गया ।
मगर सत्यम पर इस बात का जरा भी असर नहीं पड़ा । वह शुभम के साथ गपशप करने में लगा रहा काफी दिन गुजर गए मगर शिवम सत्यम को नहीं भूल सका ।
ऐसे में वह अपने खोए दोस्त को वापस पाने के लिए एक बार फिर से शुभम से अपनी गलतियों की माफी मांगने और उसे मनाने, उसके घर चल पड़ा । वहां पहुंचकर आवाज लगाने पर शुभम के पिता बाहर आए जिन्होंने बताया कि शुभम घर पर नहीं है ।
आज वहां शुभम तो नहीं मिला मगर शिवम को उसके कई सवालों के जवाब मिल गए थे । असल में जिस शख्स ने बाहर आकर शिवम को यह बताया था कि शुभम घर पर नहीं है वह शख्स अर्थात शुभम के पिता कोई और नहीं स्कूल के वाइस प्रिंसिपल है ।
वह उन्हें भली-भांति पहचानता था मगर वह ये नहीं जानता था कि वो शुभम के पिता हैं परंतु सत्यम को यह बात पता थी और वह स्कूल मे अपना दबदबा बनाने के लिए एवं परीक्षा में अच्छे नंबर पाने के लिए हर हाल में शुभम से अपनी नजदीकी बढ़ाना चाहता था ।
शुभम शिवम से काफी ईर्ष्या रखता है ये बात सत्यम को बखूबी पता थी इसलिए शुभम से मिल सकने वाले लाभ के चलते । उसने अपने जिगरी यार की भी कुर्बानी देने से परहेज नही की ।
कहानी से शिक्षा | Moral Of This Best Inspirational Story In Hindi
हमारे आसपास अगर कुछ भी गलत हो रहा है तो उसकी असल वजह को जाने बगैर उसके लिए खुद को जिम्मेदार ठहराना बिल्कुल भी सही नहीं है !
कई बार कुछ लोगों का व्यवहार हमारे प्रति अचानक बदल जाता है और हम उसके लिए खुद को जिम्मेदार मान कर अपने अंदर तमाम कमियों को ढूंढने लगते हैं हो सकता है इस टूटते रिश्ते की वजह हमारा कोई गलत व्यवहार हो मगर इसकी वजह कुछ और भी हो सकती है । हो सकता है कि अगले का हममे इंटरेस्ट कम हो गया हो या उसके नजरिए ने स्वार्थ का दामन थाम लिया हो इसलिए बगैर सही वजह को जाने खुद को ब्लेम ना करें । किसी को समझे बगैर कोई राय विकसित नाम करे ।
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