चश्मा | खुशी की कहानी | Story On Happiness in Hindi | क्रिकेट की कहानी

खुशी की कहानी| Story On Happiness in Hindi| खुशी का एहसास स्टोरी, क्रिकेट की कहानी| शिवानंद का चश्मा मजेदार और चटपटी कहानी| Very Funny Story in Hindi of Cricket

शिवानंद का चश्मा चटपटी और मजेदार कहानी Funny Story Of Cricket in Hindi

 शिवाकांत ने सब्जी का थैला अभी मेज पर रखा भी नहीं था कि तभी उनकी पत्नी देवयानी, चेहरे पर बड़ी ही कातिलाना मुस्कान लिए वहां आती है । उनके हाथ में एक लाल लिफाफा है । जिसे वह शिवाकांत को देते हुए धमकी भरे अंदाज में कहती है कि

 “पिछली बार तो तुमने ये कहकर मना कर दिया था कि आफिस से छुट्टी नहीं मिल रही है मगर इस बार कोई बहाना नहीं चलेगा, हाँ .. . मैं पहले ही कहे देती हूँ और वैसे भी अब तो तुम रिटायर आदमी हो.. तो तुम्हारे पास छुट्टी की क्या कमी । रोज टीवी के सामने बैठ कर अपनी आंखे फोड़ते रहते हो .. . मेरी बहन के इकलौते लड़के की शादी है वहां तो तुम्हें चलना ही होगा”
  यह सुनते ही शिवाकांत मुस्कुरा उठते हैं और कहते हैं 
 “हां-हां क्यों नहीं, तब बात और थी तब मैं जॉब में था .. . अब तुम उसे बहाना समझो या कुछ और परंतु सच तो यही है कि उस समय मुझे छुट्टी नहीं मिल रही थी और तुम्हारे भाई को भी तो इतनी दूर जाकर घर बसाना था । जहां जाने के लिए भी एक बार सोचना पड़ता है । मगर इस बार चाहे जो हो जाए मैं वादा करता हूँ कि मैं तुम्हें जरूर ले जाऊंगा”
  ऐसा कहते हुए शिवाकांत हाथ में लिया थैला मेज पर रखते हुए साली साहिबा के वहां से आया हुआ निमंत्रण पत्र खोलते हैं परंतु उसमें छपी शादी की तारीख को देखकर उनके चेहरे पर मानो 12 बज जाते हैं । वे डरी-डरी निगाहों से देवयानी को देखते हैं । उनके इस अंदाज को देखकर देवयानी चौक जाती है और उनसे पूछने लगती है ।
 “जी क्या बात है, आपको इतने पसीने क्यूं आ रहे हैं । अजी ये शादी का कार्ड है कोई बैंक का वसूली पत्र नहीं, जिसे देखकर आप इतना घबरा रहे हो”
  तब शिवाकांत कहते हैं

“भाग्यवान 24 सितंबर को शहर तो क्या घर से भी बाहर निकलना मेरा मुश्किल होगा”

 पति की ऐसी बातों को सुनकर देवयानी पूछ बैठती है ।
  अजी  24 सितंबर को ऐसा क्या है जो तुम ऐसी बातें कर रहे हो । 
“तुम तो जानती हो ना कि मैं क्रिकेट का कितना बड़ा फैन हूँ ।  24  सितंबर को भारत अपना T20 वर्ल्ड कप का फाइनल मैच खेलेगा और वो भी  पाकिस्तान के साथ । अब ऐसा मैच भला कौन छोड़ना चाहेगा.. . मैं तो नहीं जा सकता तुम्हे जाना हो तो जाओ या उनसे कह दो कि अपनी शादी की डेट चेंज कर ले”
पति की बातों से नाराज देवयानी झल्ला कर कहती है
 “भला कोई शादी की डेट भी चेंज करता है क्या, तुम उन क्रिकेट वालों से क्यूँ नहीं कहते कि वो अपने मैच की तारीख चेंज कर लें”
  ऐसा कहते हुए देवयानी, सब्जी का थैला उठाए बड़े ही गुस्से में घर के अंदर चली जाती है वहीं शिवाकांत सोफे पर बैठे-बैठे घोर चिंता में पड़ जाते हैं कि आखिरी इस समस्या का हल कैसे निकाला जाए परंतु काफी चिंतन के बाद भी समस्या जस की तस बनी रहती है और आखिरकार देखते ही देखते  24  सितंबर का दिन भी आ जाता है । 
  सुबह के 4  बज रहे हैं । अलार्म की आवाज से जगे शिवाकांत रोज की तरह उठकर फ्रेश होने के लिए चले जाते हैं और वापस लौट कर वे मॉर्निंग वॉक पर जाने की तैयारी करने लगते हैं परंतु तभी अचानक उन्हें आज के दिन की जटिलता याद आ जाती है बस फिर क्या था वे फटाफट अपने जूते-मोजे निकालकर पुनः बिस्तर में घुस जाते हैं । सुबह के 9 बजने वाले हैं । नींद तो नहीं आ रही परंतु न चाहते हुए भी  बिस्तर में दुबके रहने की मजबूरी है ।
  शिवाकांत बीच-बीच में लंबी खास भी निकाल रहे हैं ताकि देवयानी को ये समझ आ जाए कि उनकी तबीयत थोड़ी खराब है जिसके फलस्वरूप वह शादी में जाने का इरादा छोड़ दे । 
  एक तरफ जहां देवयानी अपनी बहन के वहां जाने की तैयारियों मे जुटी । वहीं दूसरी तरफ शिवाकांत  चाद्दर में मुंह छिपाएं ज्वालामुखी के फटने का इंतजार कर रहे हैं परंतु  क्रिकेट के प्रति शिवाकांत के अति  प्रेम और अड़ियल रवैए को देवयानी भली-भांति जानती है ।
  ऐसे में वह पति से कुछ भी न कहते हुए अपना सूटकेस उठाएं घर के बाहर निकल जाती है परंतु जाते-जाते वह दरवाजा कुछ इस अंदाज में बंद करती हैं कि उसकी धमाकेदार आवाज बिना कुछ कहे देवयानी के दिल का हाल बयां कर देता हैं ।

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  वही पत्नी के जाने के बाद शिवाकांत बड़ी सुकून की सांस लेते हैं क्योंकि उन्हें जिस विस्फोट का अंदाजा था वह अब टल चुका है ।
  पत्नी के जाने के बाद शिवाकांत बड़ी ही बेसब्री से मैच के शुरू होने का इंतजार करने लगते हैं  परंतु पत्नी के गैर मौजूदगी में एक-एक पल काटना काफी मुश्किल हो रहा है ।
  आखिरकार इंतजार की घड़ियां खत्म होती हैं और भारत-पाकिस्तान के बीच वर्ल्ड कप का फाइनल मैच शुरू हो जाता है । शिवाकांत भी पॉपकॉर्न से भरा कटोरा लेकर टीवी के सामने बैठ जाते हैं
  परंतु तभी शिवाकांत को पिच पर खेल रहा खिलाड़ी एक से अधिक संख्या मे दिखाई देने लगता है ऐसा इसलिए क्योंकि शिवाकांत अपना चश्मा भूल गए हैं । वो चश्मे के लिए मेज पर पड़े बॉक्स की तरफ हाथ बढ़ाते हैं परंतु उसमें उनका चश्मा नहीं है ।
 बस फिर क्या था, शिवाकांत बड़ी ही अधीरता से अपना चश्मा ढूंढने लगते हैं । परंतु कल तक बड़ी ही आसानी से मिल जाने वाला चश्मा आज मानो ईद का चांद हो गया हो । क्या सोफा, क्या बेड, क्या अलमारी शिवाकांत ने चश्मे के लिए घर का कोना-कोना छान मारा परंतु चश्मा नहीं मिला ।
  इस लंबी खोजबीन में लगभग डेढ़ घंटे का वक्त गुजर जाता है और इस प्रकार मैच का सबसे इंटरेस्टिंग टाइम अर्थात भारत की पारी खत्म हो चुकी है । पूरी तरह से थक चुके शिवाकांत को अब कुछ नहीं सूझ रहा । वे पत्नी से मदद लेना चाहते तो हैं परंतु उन्हें पत्नी के मुड का भलीभांति अंदाजा है । जिसके भय से वे ऐसा करने से हिचक रहे हैं ।

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  परंतु क्रिकेट प्रेम में वे आखिरकार अपनी पत्नी को फोन करते हैं और उनसे चश्मे के बारे में पूछते हैं वैसे तो देवयानी शिवाकांत से बहुत नाराज हैं परंतु वह भी उनके क्रिकेट प्रेम को भली-भांति समझती है ऐसे में वे फोन पर ही शिवाकांत को उनका चश्मा ढूंढने में उनकी मदद करती है ।
  काफी प्रयासों के बावजूद चश्मा आखिरकार उन्हें नहीं मिलता वक्त बीतने के साथ निराशा दुख में बदलने लगती है । वे काफी मायूस हो जाते हैं । पति के दुख के एहसास से देवयानी का गुस्सा काफूर हो जाता है वो अब मन ही मन पछताने लगती है वह सोचती है

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  “शिवाकांत ने, जिस खुशी की चाह में यहां आने से मना कर दिया और जिसके नाते उन्हे मेरे क्रोध का कोप भाजन होना पड़ा, हमारे बीच इतने दिनों से बातचीत भी लगभग बन्द रही । आज वो ही खुशी उन्हे नही मिल सकी”
इस दुख की घड़ी मे देवयानी पती के पास जाने का फैसला करती है 
  उधर चश्मा न मिलने के कारण निराश शिवाकांत थक हारकर सोफे पर बैठ जाते हैं हालांकि तब तक मैच का आखिरी ओवर शुरू हो जाता है । वो कहते हैं ना भागते भूत की लंगोट भली ‘ ऐसे में शिवाकांत टीवी को रेडियो मान बड़े ही शांत मन से टीवी पर चल रही कॉमेंट्री सुनने लगते हैं ।
  थोड़ी ही देर में देवयानी घर पहुंचती है । उनकी नजर सामने सोफे पर बैठकर, टीवी का रेडियो की तरह आनंद ले रहे शिवाकांत पर पड़ती है वह उन्हे देखकर काफी जोर-जोर से हंसने लगती है । 
  देवयानी के ठहाको से सुन पड़ चुके शिवाकांत के मस्तिष्क में अचानक बिजली दौड़ जाती है । वो चौक कर सामने देखते हैं, सामने उनकी पत्नी देवयानी खड़ी है जो ताली पीट-पीट कर बस हंसे जा रही है पत्नी की हंसी को देखकर उदास शिवाकांत भी मुस्कुरा उठते हैं । देवयानी,  शिवाकांत से पूछती है  
 “चश्मा नहीं मिला”
  वे कहते हैं

 “नहीं सारा घर छान मारा मगर चश्मा कहीं नहीं है”
  तब देवयानी कहती है 
 “चश्मा मिलेगा भी कैसे जनाब, चश्मा तो आप अपने माथे पर सजाए घूम रहे हैं । उसे आंखों पर लगाइए और मैच का आनंद लीजिए.. हुजूर”
  उसकी बातों को सुनते ही शिवाकांत का हाथ तपाक से अपने माथे पर पहुंचता है । तब पता चलता है कि चश्मा तो उनके माथे पर ही चिपका हुआ है । यह सोचकर वो भी काफी जोर-जोर से हंसने लगते हैं  ।
  हालांकि तभी पाकिस्तान का आखिरी विकेट भी गिर जाता है और भारत इस T20 वर्ल्ड कप का चैंपियन बन जाता है । वैसे अंत भला तो सब भला जिस मैच के लिए शिवाकांत ने इतना सब कुछ जतन किया । उस मैच को पूरा तो ना सही परंतु जीत की आखरी गेंद देखने में वे सफल रहे ।

कहानी से शिक्षा | Moral Of This Short Inspirational Story In Hindi

  दोस्तों हम सब अपनी खुशियां जाने कहां-कहां नही ढूंढते हैं । हम अपनी पूरी उम्र बस खुशियां ढूंढने में लगा देते हैं परंतु ये खुशियां है कि हमें मिलती ही नहीं और शायद कभी मिलेंगी भी नहीं क्योंकि खुशियां किसी पेड़ के झाड़ पर नहीं टगीं, जहां जाकर आप उन्हें उठा लोगे । खुशियां तो आपके अंतर्मन में निहित है जरूरत है तो सिर्फ खुद को थोड़ा समझने की, अपने मन मे दबी इच्छाओं को जानने की । आपको क्या पसंद है क्या नहीं पसंद ?, आप जिंदगी में क्या चाहता है, क्या करने से आपको खुशी मिलती है ? आप बस वो ही करें और ऐसा करके आप निश्चित रूप से खुश रह सकते हैं ।  तुम बस वो करो जिससे तुमको किक मिले !

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author

Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं‌‌ गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।

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