मन के हारे हार है मन के जीते जीत | कबीर दास के दोहे का अर्थ और कहानी

मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर प्रेरणादायक कहानी | कबीर दास के दोहे या कविता का अर्थ और कहानी | motivational short story in hindi on will power with moral

मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर कहानी Story In Hindi On Will Power
 छुट्टियां खत्म होने के बाद ड्यूटी के लिए जाते-जाते पिता ने रघु से कहा 
 “बेटा 12वीं के एग्जाम में भले ही फेल हो जाना मगर एनसीसी की ट्रेनिंग अच्छे से पूरी करना”

  वैसे तो ये बात किसी दूसरे के लिए काफी चौंकाने वाली हो सकती है परंतु रघु के लिए ये बात बिल्कुल सामान्य है । 
असल में रघु एक ऐसे गांव का रहने वाला है जहां अधिकांश लोग सेना में हैं । यही नहीं खुद रघु के पिता भी बीएसएफ के जवान है । बीएसएफ की वर्दी में रघु के पिता बस देखते ही बनते हैं । रघु के पिता की ये दिली इच्छा है कि उनका बेटा भी उन्हीं की तरह बीएसएफ का जवान बने ।
  वक्त के साथ रघु भी बीएसएफ की भर्ती परीक्षा में सफल होने के लिए तैयारियां शुरू कर देता है हालांकि उसको तैयारी के लिए न तो किसी कोचिंग सेंटर की जरूरत है और न ही किसी कोच की । वह इसलिए क्योंकि रघु जिस के गांव में रहने वाले  लगभग हर नवयुवा का बस एक ही सपना है और वह है सेना में भर्ती होने का । 
  ऐसे में चारों तरफ बस भर्ती परीक्षा की तैयारियां चलती रहती है जिसके कारण काफी बढ़िया माहौल बना रहता है । इतना ही नहीं सेना से छुट्टियों पर आने वाले गांव लौटने वाले फौजी गांव के लड़कों के लिए एक कोच का काम करते हैं ।
  वक्त गुजरता है और देखते ही देखते वह दिन भी आ जाता है जिसका रघु को बेसब्री से इंतजार है । रघु को  परीक्षा मे शामिल होने के लिए शहर जाना है इस खास मौके पर रघु का बचपन का दोस्त जो महानगर में ठेला लगाकर अपना गुजारा किया करता है । वह भी रघु का हौसला बढ़ाने गांव आया हुआ है ।
  सभी का आशीर्वाद लेकर रघु अपने गांव के अन्य दोस्तों के साथ कैंप की ओर चल पड़ता है । अपनी कड़ी तैयारी के बदौलत परीक्षा में एक के बाद एक सफलता के झंडे गाड़ रहे रघु को अचानक एक जोर का झटका लगा जिसने उसे अंदर तक झकझोर दिया । 
  वैसे तो रघु के हिसाब से वह 5 फिट 6 इंच का है परंतु निर्ममतापूर्वक सेना द्वारा नाप जोख में रघु 1 इंच से छठ जाता है जिसके कारण उसे निराश, गांव वापस लौटना पड़ता है । 
  जैसे ही यह बात उसके पिता को मालूम पड़ती है । वह बेटे पर बरस पड़ते हैं जबकि उसकी इसमें कोई गलती नहीं है । पिता की बातों से रघु बिल्कुल टूट जाता है ।
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  जहां एक तरफ उसका दोस्त उसका ढांढस बढ़ाता है वहीं दूसरी तरफ इस असफलता की वजह को  लेकर गांव वालों ने रघु का एक नया नामकरण कर दिया है अब वो रघु को नाटे-नाटे बुलाते हैं ।

  अपने इस उपहास को सुनकर रघु को बहुत दुख होता है जिसकी वजह से वह अब घर से बाहर निकलना भी बंद कर देता है एक तरफ इतनी बड़ी असफलता, उसपर पिता की  डांट फटकार और फिर गांव वालों से इसप्रकार का उपहास रघु सहन नहीं कर पाता और अपने दोस्त के साथ महानगर चला जाता है ।
  गांव छोड़ते वक्त उसकी आंखों में एक जुनून है इसी जुनून के साथ वह महानगर में कदम रखता है । मगर कुछ ही दिनों में उसका जुनून पेट की आग के सामने फीका पड़ने लगता है । साथ लाए हुए सारे पैसे धीरे-धीरे खत्म होने को है लिहाजा अब तो गांव लौटने के सिवा दूसरा कोई चारा नहीं है परंतु किसी भी हाल में रघु गांव वालों के बीच वापस नहीं जाना चाहता । हमारी लेटेस्ट (नई) कहानियों को, Email मे प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें. It’s Free !
  आखिरकार मजबूर रघु अच्छे खासे घर का होने के बावजूद ठेले पर जूस और फल बेचने के लिए मजबूर हो जाता है । रघु ने छोटा काम जरूर अपना लिया है परंतु उसके सपने आज भी आसमान छू रहे हैं । 
  वक्त एक बार फिर करवट बदलता है और अपनी दिन रात की मेहनत से रघु महानगर का जाना माना फल व्यवसाई बन जाता है । जब यह बात उसके गांव वालों को पता चलती है तो वे दातों तले उंगलिया दबा लेते हैं जो लोग उसे कभी नाटे-नाटे कहने लगे थे वे लोग ही आज उसे राघवेंद्र प्रताप सिंह कह कहकर बुलाने से नही हिचकते ।
  गांव में आज राघवेंद्र का शानी कोई नहीं है । राघवेंद्र का 1 इंच का छोटा होना आज उसे जाने कितनी फीट ऊंचा कर गया है । कल तक उस पर हंसने वाले लोग आज उसके पैरों की धूल के बराबर भी नहीं है । आज उसकी इस सफलता की सबसे बड़ी वजह उसकी एक असफलता ही है यदि वह बीएसएफ की भर्ती में इस तरह से छाटा न जाता तो आज वह करोड़ो रूपये का मालिक नहीं बन पाता । पिता को भी आज अपने किए पर पछतावा हो रहा है शायद उन्होंने अपने ही बेटे की परखने में भारी भूल कर दी ।

कहानी से शिक्षा | Moral Of This Best Inspirational Story In Hindi

 इस कहानी से हमें निम्न शिक्षा मिलती है 
असफलता ही सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है !

आलोचनाओं से घबराने की आवश्यकता नहीं है बल्कि उसपर ठंडे दिमाग से विचार करने की आवश्यकता है !

सफलता का यदि एक द्वार बंद भी होता है तो सैकड़ों द्वार खुद ब खुद खुल जाते हैं !

कोई काम बड़ा या छोटा नहीं होता, यदि कुछ बड़ा होता है तो वो है उस काम के पीछे हमारा जुनून जो हमें सफलता की ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए परम आवश्यक है !

दुनिया में कोई भी शक्स कंप्लीट नहीं है ऐसे में किसी की कमियों पर हंसना हमारी अज्ञानता का प्रमाण है !

हर किसी में अपनी एक विशेषता होती है । माता पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चे को हर स्थिति में सपोर्ट करें और उन्हें अपना हुनर साबित करने का मौका दें !
दोस्तों किसी एक क्षेत्र में असफल हो जाने का मतलब ये बिल्कुल भी नहीं है कि सफल व्यक्तियों जैसी काबिलियत आप मे नहीं है बल्कि किसी क्षेत्र में असफल होने की एक वजह ये भी हो सकती है कि आप उस क्षेत्र के लिए बने ही नहीं हैं बल्कि आपकी मंजिल कुछ और ही है जो शायद बड़ी ही बेसब्री से आपका इंतजार कर रही है । 10 बार असफल हो जाने के बाद भी आपको सफलता कि आस नहीं छोड़नी चाहिए । अपने लिए नई मंजिल और  नए अवसर तलाशने चाहिए ।
  दुनिया में ऐसी तमाम हस्तियां हैं जिन्होंने carrier के शुरुआती दिनों में बहुत बड़ी-बड़ी असफलताओं का मुख देखा है परंतु वे तनिक भी विचलित नही हुएं । यदि वे वहीं निराश होकर प्रयास करना बंद कर देते तो आज जिन सुख सुविधाओं में हम जी रहे हैं चाहे वह रेल हो चाहे वह बिजली का बल्ब हो या कुछ और, वे सुविधाएं हम तक कभी नहीं पहुंच ही नही पाती । 
  ये महान हस्तियां हमें एक बात प्रमुख रूप से सिखाती हैं कि हमें आशाओं का दामन कभी नहीं छोड़ना चाहिए । लक्ष्य के प्रति सदैव Positive रहकर अपना सतत प्रयास करते रहना चाहिए । फिर चाहे हमें लगातार असफलताओ का मुख क्यूं ना देखना पड़े मगर असफलता से हमें कभी निराश और हताश नहीं होना चाहिए और तभी एक न एक दिन हम सफलता के शिखर को छु सकेंगे ।



   
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author

Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी एवं कविताएं कहने का भी बहुत शौक है । आपको, अपने निजी जीवन एवं कार्य क्षेत्र में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने की कोशिश करते रहे हैं ।

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