प्रोफेशर – क्या बात है सौरभ आज कल तुम क्लास में कम दिखाई देते हो , कोई प्रॉब्लम है तो बताओ
सौरभ – सर वह दोस्त ने जन्मदिन की पार्टी दी थी इसलिए कल नहीं आ पाया था ।
सौरभ – सर वह दोस्त ने जन्मदिन की पार्टी दी थी इसलिए कल नहीं आ पाया था ।
प्रोफेशर – कल ही नहीं तुमको कई दिनों से देख रहा हूँ तुम क्लास में नही दिखते हो(सौरभ के पास कोई जवाब नही था क्योंकि वह कई दिनों से क्लास में रेग्यूलर नही आ रहा था ) स्टूडेंट लाइफ पढ़ने के लिय होती है घूमना फिरना थोड़ा बहुत जितना जरुरी है , जितने से पढाई में डिस्टर्ब न हो ,क्लास के समय घूमना फिरना ये गलत बात है , केवल पार्टी अटेंड करना ये अच्छी बात नही है , तुम अच्छे लडके हो इसलिए तुम से कह रहा हूँ , तुमने टिड्डे और चीटियों की कहानी सुनी है , चीटियों की तरह मेहनती बनो टीड्डे की तरह मौज मस्ती करके अपना समय न बर्बाद करो ।
भावना – सर , टीड्डे और चीटियों की कहानी सुनाइए
प्रोफेशर – टीड्डे चीटियों पर हँसते और उनका मजाक उड़ाते थे लेकिन चीटियाँ अपना काम करती थी टीड्डे हर मौसम में केवल मस्ती करते थे एक बार बसंत ऋतु में टीड्डे ने चींटी से कहा “ आओ हमारे साथ तुम भी मस्ती करो और इस मौसम का आनन्द उठाओ ,चीटियाँ टीड्डे की बात अनसुनी कर के अपना काम करती रही , टीड्डे ने दुबारा कहा तो चीटियाँ बोली “ हम सर्दियों के लिए अपना भोजन इकट्ठा कर रही हैं पतझड़ के मौसम में हम क्या खायेंगे , रही बात बसंत ऋतु की तो ये हमेशा तो रहेगी नहीं, टिड्डे ने फिर कहा -(हँसते हुए) अभी सर्दियों का मौसम दूर है, और चीटियों अभी से सर्दियों लिए भोजन इकट्ठा कर रही हो , चीटियाँ अपना काम करती रहीं और टीड्डे मस्ती करते रहे और चीटियों का मजाक उड़ाते रहे , अब सर्दियों के मौसम के लिए चीटियों के पास खाने को था लेकिन टिड्डों के पास कुछ नही था क्योंकि जब मेहनत का समय था तब वह मौज मस्ती में लगे थे, चीटियों ने अपनी मेहनत और परिश्रम से जो भोजन इकट्ठा किया था उसका मजा सर्दियों में ले रही थी ,लेकिन टीड्डे जो मौज मस्ती में थे उनके पास भोजन नही था ,टीड्डे को जब भूख से रहा नही गया तो चींटी के पास गया और भोजन के लिए रिक्वेस्ट करने लगा ,चींटी बोली जब हम मेहनत करते थे तो तुम हमारा मजाक उड़ा रहे थे आज भोजन क्यों माँग रहे हो ,जाओ नाचो गाओ जैसे बसंत के मौसम में करते थे वैसे ही पूरी सर्दी भर मस्ती करो ।
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भावना – सर की बात समझ में नही आई लगता है ।
सौरभ – आ गई ।
भावना – तो अब हर क्लास अटेंड करो , सभी लेक्चर सुनो , ऐसा नही करोगे तो एग्जाम के समय नोट्स माँगते रहोगे ,नोट्स मिल भी गया तो इतना समय नही रहेगा कि तुम उसे तैयार कर के एग्जाम पास कर सकोगे ।
फालतू का घूमना फिरना बंद करो , अगर टिड्डे की की तरह केवल मौज मस्ती करोगे तो रिजल्ट ठीक नही आयेगा , ये तेरे दोस्त भी टीड्डे की तरह ही सब का मजाक उड़ाते है, पढ़ने वालो को किताबी कीड़ा कहते है ।
ये टीड्डे ही तो हैं क्लास के समय घुमाते रहते है ,केवल पार्टी ,घूमना फिरना , तू भी तो वही करने लगा है, , ये तुम सब का समय और पैसा दोनों बर्बाद करते है, और एग्जाम आने पर नोट्स माँगते है ।
फालतू का घूमना फिरना बंद करो , अगर टिड्डे की की तरह केवल मौज मस्ती करोगे तो रिजल्ट ठीक नही आयेगा , ये तेरे दोस्त भी टीड्डे की तरह ही सब का मजाक उड़ाते है, पढ़ने वालो को किताबी कीड़ा कहते है ।
ये टीड्डे ही तो हैं क्लास के समय घुमाते रहते है ,केवल पार्टी ,घूमना फिरना , तू भी तो वही करने लगा है, , ये तुम सब का समय और पैसा दोनों बर्बाद करते है, और एग्जाम आने पर नोट्स माँगते है ।
सौरभ – वह कहते हैं तो चलना पडता है, फ्रेंड है मेरे चला जाता हूँ , रही बात नोट्स माँगने की तो इसमें क्या है सभी माँगते हैं जिसका नोट्स नहीं पूरा होगा वह माँगेगा ही , इस में कौन सी बुरी बात है ।
भावना -पूरा करेंगे तब न पूरा होगा , बुरी बात नोट्स माँगने में नही है बुरी बात क्लास छोड़ कर फालतू में घूमना है , पिछले बार तुम्हारे ये दोस्त ऐसे ही घुमाते रहे और एग्जाम के समय नोट्स न मिलने से समेस्टर में लटग गए है किसी ने नोट्स नहीं दिये इनको ।
प्रोफेशर – क्या सोच हो सौरभ क्लास रेग्युलर करनी है या पार्टी करनी है , तुम एक होनहार लड़के हो , पढ़ाई पर धयान दो ।
सौरभ – क्लास रेग्युलर करुँगा सर
Moral of the story :-
कल तभी अच्छा होगा जब हम उसके लिए आज से ही मेहनत करेंगें, सही दिशा में जो काम हम आज करते हैं उसका फायदा हमें कल जरुर होता है, साथ ही हमें किसी के काम का मजाक नही उड़ाना चाहिए ।