सफलता पाने के लिए सबसे जरूरी क्या है कहानी | Inspirational Hindi Story
वैसे तो उनके पास महानगर अपने पिता के पास जाकर रोजगार पाने का एक आसान सा विकल्प था । मगर लव और कुश काफी समझदार थे । वे जानते थे कि सिर्फ मैट्रिक की डिग्री के भरोसे आज के जमाने में कोई ढंग की नौकरी उन्हें मिलने से रही । इसलिए उन्होंने कोई नौकरी करने के बजाय कारोबार करने की सोची ।
वैसे तो इस छोटे से शहर में व्यवसाय करने के कई विकल्प मौजूद थे परंतु किसी भी व्यवसाय में सफल होने के लिए जो चीज सबसे जरूरी होती है यानी पूंजी, वो उनके पास बिल्कुल भी नहीं थी ।
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लव और कुश जल्दबाजी में कोई भी फैसला नहीं लेना चाहते थे क्योंकि वे जानते थे कि किसी भी व्यवसाय को चमकाने में अच्छा खासा समय लग सकता है इसलिए अगर उन्होंने जल्दबाजी में कोई गलत व्यवसाय को चुन लिया और फिर कुछ समय बाद उन्हें वापस लौटना पड़ा तो वे अपने जीवन का स्वर्ण समय बर्बाद कर देंगे इसलिए वे दोनों अपनी क्षमताओं के मुताबिक कारोबार के लिए मौजूद सभी विकल्पो पर गंभीरता से विचार करने लगे ।
कुश का एक दोस्त कुल्हड़ का व्यापार करता था । वह चाय की दुकानों पर और अन्य जगह जा-जाकर कुल्हड़ पहुंचाया करता था । ऐसे में कुश ने भी कुल्हड़ और अन्य मिट्टी के बर्तनों का व्यापार करने की सोची । जब उसने अपने विचारों को लव के साथ सांझा किया । तब लव ने उसे इस व्यापार के कई नकारात्मक पहलुओं के बारे में बताया उसने बताया कि
“वैसे तो मिट्टी के बर्तनों का काम करना ठीक होगा परंतु मिट्टी के सामानो को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में वे टूट सकते हैं । जिसकी भरपाई तुम्हें खुद से करनी होगी । तुम्हारे पास न तो अच्छा घर है और न ही कोई दुकान । ऐसे में तुम मिट्टी के बर्तनों को रखोगे कहां ? मुझे लगता है कि तुम्हे थोड़ा और सोचने समझने की आवश्यकता है उपयुक्त विकल्प मिलने तक हमे जल्दबाजी में कोई कदम नही उठाना चाहिए । वह बाद नुकसानदेह साबित हो सकता है”
कुश अपने दोस्त की बातों को समझते हुए कुल्हड़ के व्यवसाय के विषय में किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले खुद को थोड़ा और वक्त देने की सोची ।
कुछ दिन बाद कुश अपने साथ एक ठेले पर ढेर सारे कुल्हड़ और थोड़े मिट्टी के बर्तन लेकर घर आया । उसे देखते ही लव को उस पर बहुत गुस्सा आया । उसने उससे कहा
“मैंने कहा था न जल्दबाजी में कोई फैसला मत लेना हमे अभी और सोचने की जरूरत है मगर मेरे समझाने के बावजूद तुम मिट्टी के ये बर्तन उठा लाए । अब जाओ और जाकर इसे बेचो । मुझे ये काम नहीं करना क्योंकि मैं जानता हूँ कि इसमें नुकसान के सिवा और कुछ नहीं मिलेगा । तुम लाए हो तो तुम्हीं बेचो”
ऐसा कहते हुए लव गुस्से में वहां से चला गया हालांकि कुश उससे बार-बार इस काम को एकबार करके देखने को कहता रहा मगर लव आजमाने वाला काम नहीं करना चाहता था । वह एक बार ठीक से समझ कर अपना लक्ष्य तय करना चाहता था ताकि बाद में उसे अपने फैसले पर पछताना न पड़े ।
लव के मना कर देने के कारण मन मारकर आखिरकार कुश अकेला ही कुल्हड़ को लिए इधर-उधर घूम-घूमकर बेचने लगा । कुश ने जैसा सोचा था यह काम उतना सरल नहीं था । एक तो पैदल चलकर दुकान-दुकान कुल्हड़ बेचने में बहुत मेहनत थी । दूसरे मार्केट में कंपटीशन इतना भीषण था कि लोग उसके कुल्हड़ो का जो दाम लगाते वो उसके खरीद रेट से भी कम था ऐसे में अगर दिनभर की मशक्कत के बाद उसके सारे कुल्हड़ भी बिक जाते तो भी उसे कुछ खास लाभ नहीं होता ।
मगर वक्त ने एक बार फिर से उसकी परीक्षा ली । समय के साथ ही लोगों का मिट्टी के बर्तनों में रूचि खत्म होने लगी । चूंकि प्लास्टिक के सामान मिट्टी के बर्तनों से काफी सस्ते एवं टिकाऊ थे । ऐसे में लोगों ने मिट्टी के बर्तनों से मुंह मोड़ना शुरू कर दिया । धीरे-धीरे कुश की दुकान मंद पड़ने लगी । तब लव ने उसे समझाया
“देखो दोस्त मैंने तुमसे पहले ही कहा था कि हमें किसी भी व्यवसाय को चुनने से पहले उसके हर पहलू को ठीक से समझ लेना आवश्यक है । तुमने मिट्टियों के बर्तनों का भविष्य जाने बगैर ही उसमें हाथ डाल दिया और आज देखो तुमने इतने दिनों के कड़ी मेहनत के बाद जो व्यवसाय खड़ा किया ।आज उसका भविष्य अंधकार में है । अभी भी वक्त है मेरे दोस्त हमें मिलकर किसी अच्छे व्यवसाय के बारे में विचार करना चाहिए मुझे यकीन है कि कोई न कोई बेहतर विकल्प हमें मिल ही जाएगा जिसे करके हम अपना भविष्य उज्जवल बना सकेंगे”
मगर जब किस्मत खराब हो तो मरी मछली भी पानी में कूद जाती है इतने वर्षों में वो विरान चौराहा अब काफी विकसित हो चुका था । वहां लोगों की बढ़ती भीड़ के कारण दुकानों की संख्या में भी दिन प्रतिदिन वृद्धि हो रही थी ।
“तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता तुम हमेशा जल्दबाजी में रहते हो । मुझसे भला क्यूं पूछते हो जब सबकुछ तुम्हें अपने मन की ही करनी है, तुमने इस समस्या का भी कोई हल जरूर सोच रखा होगा । ऐसे में तुम्हें जो करना है करो तुम्हें समझा कर कोई फायदा नहीं तुम्हारे अंदर धैर्य नाम की कोई चीज नहीं है । तुम कोई भी फैसला तुरंत लेने के आदि हो । तुम्हें फुटपाथ पर दुकान खोलने से पहले सोचना चाहिए था कि ये जमीन हमेशा के लिए खाली नही रहेगी और जब तुम्हे इस जगह को खाली करना पड़ेगा तब तुम क्या करोगे”
कहानी से शिक्षा | Moral Of This Best Inspirational Story In Hindi
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