तेनाली ने चित्र को बड़े ही गौर से देखा और राजा से बड़े ही भोलेपन से पूछा, ” चित्र तो बहुत ही सुन्दर है, परन्तु इसका दूसरा भाग कहां है। ” इसपर राजा ने कहा, ” अरे तुम इतना भी नहीं जानते, इसकी कल्पना करनी होती है। “
यह कलाकारी है। एक आँख यहां तो दूसरी ऊँगली दूसरे जगह। क्या बात कर रहे हो ? ” राजा ने गुस्से से कहा। इसपर तेनाली ने कहा, ” चित्रों में बाकी चीजों की कल्पना करनी पड़ती है। अभी तो आपने मेरा सबसे बढियाँ चित्र तो देखा ही नहीं।
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