दशहरा, विजयदशमी या शरद नवरात्रि 2020 : तिथि, मुहूर्त, पूजा विधि व कथा

दशहरा, विजयदशमी, शरद नवरात्रि 2020 मे कब है ? तिथि, मुहूर्त, कहानी या कथा, निबंध और महत्व when is indian festival happy dussehra vijayadashami in 2020? in hindi

दशहरा विजयदशमी शरद नवरात्रि 2020  मे कब है कथा Dussehra 2020 In Hindi

  

   हिंदू धर्म के सभी त्यौहारों में दशहरे का काफी महत्व है दशहरे का त्यौहार मुख्य रूप से असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है । जब राम ने रावण का वध किया था और इस प्रकार अधर्म पर धर्म की विजय हुई थी तभी से दशहरे का त्यौहार मनाया जाता है । दशहरे के रावण का पुतला जलाने की प्रथा है । इसे पुतला दहन भी कहा जाता है । नौ दिन की नवरात्रि के बाद दसवें दिन अर्थात हिंदू कैलेंडर के हिसाब से दशमी के दिन दशहरे का पर्व मनाया जाता है । नवरात्रि का  सीधा और सरल अर्थ है नौ रात्रि तक चलने वाला । नवरात्रि के नौ दिनों का एक विशेष महत्व है इन सभी दिनों में माँ दुर्गा के नौ विभिन्न स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है ।

तिथि एवं शुभ मुहूर्त

इस बार दशहरा 25 अक्टूबर 2020 दिन सोमवार को मनाया जाएगा इसका शुभ मुहूर्त
दोपहर 01:50 से दोपहर 2:45 तक

पूजन विधि

माँ दुर्गे को समर्पित इस त्यौहार में पहले दिन कलश की स्थापना की जाती है कलश स्थापना के लिए बेदी बनाई जाती है । बेदी के ऊपर विधि-विधान से मंत्रों का उच्चारण करते हुए कलश की स्थापना की जाती है । इसके बाद नौ दिनो तक प्रत्येक दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है  और फिर नौंवे दिन विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करते हुए हवन किया जाता है । मां की आरती गाई जाती है तत्पश्चात माँ दुर्गा की विदाई कर दी जाती है ।

उपवास

 इस त्यौहार में चैत्र नवरात्रि की भांति ही नौ दिनों का व्रत रखा जाता है कुछ लोग यह व्रत केवल फलाहार पर रहते हैं और नमक का बिल्कुल भी प्रयोग नहीं करते हैं । वहीं कुछ लोग सेंधा नमक का प्रयोग करते हैं तो कुछ लोग केवल जल पी कर इस व्रत को पूरा करते हैं । वैसे तो माँ दुर्गा की विदाई करने के बाद अर्थात नावे दिन ही पारण करने का उचित माना जाता है परंतु कुछ लोग नौवे दिन भी व्रत रखते हैं और दशमी को पारण करते हैं इसमें अलग-अलग मत है परंतु माँ दुर्गे की विदाई के उपरांत ही पारण करने का अपना एक विशेष महत्व है ।

विजय दशमी का महत्व


विजयदशमी या दशहरा अधर्म पर धर्म के विजय के आधार पर एवं बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है । दशरथ नन्दन राम ने इसी दिन रावण पर विजय हासिल की थी। रावण के कृत्य से जब सारी दुनिया त्रस्त थी तब राम ने रावण का नाश करके उसके पापो को इस दुनिया में आगे बढ़ने से रोका दिया था तभी से विजय दशमी का त्यौहार मनाया जाता है ।

दशहरा और नवरात्रि में संबंध 

एक बार जब महिषासुर ने देवताओं समेत समस्त को प्रताड़ित कर रखा था तब सभी देवताओं ने मिलकर ब्रह्मा की उपासना की जिसके बाद माँ दुर्गा प्रकट हुई उन्होंने महिषासुर से युद्ध किया यह युद्ध नौ दिनों तक लगातार चलता रहा और दसवें दिन यानी दशहरे के दिन ही माँ दुर्गा ने महिषासुर का अंत कर दिया था ।

दशहरा विजयदशमी मनाने की कथा या कहानी 


अयोध्या के राजा दशरथ के चार पुत्र थे । राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न ।  राम की तीन माता थी जिसमे कैकई ने दशरथ से राम के लिए 14 वर्ष का वनवास मांगा था । पिता की आज्ञा की अवहेलना न करते हुए राम अपनी पत्नी सीता के साथ एवं अपने भ्राता लक्ष्मण के साथ वनवास चले गए । जहां एक बार छल के द्वारा रावण ने सीता को हर लिया और उन्हें अपने राज्य में लेकर चला गया तब राम ने हनुमान और रावण के भाई विभीषण तथा अन्य लोगों के साथ रावण से युद्ध लड़ा और रावण का अंत कर दिया ।
  वैसे तो ये युद्ध तो एक सामान्य युद्ध की भांति ही लगता है परंतु यह युद्ध एक सामान्य युद्ध नहीं था बल्कि इस युद्ध के लिए विष्णु जी राम का अवतार लेकर धरती पर आए थे असल में रावण कोई आम व्यक्ति नहीं था बल्कि वह एक ब्राम्हण पुत्र एवं एक राक्षसनी का बेटा था । वह शिव का बहुत बड़ा भक्त था उसके अंदर अपार ज्ञान था और शक्तियों का भंडार था जिसके कारण उसके अंदर अहंकार चरम पर पहुंच चुका था ।

उसके पापो का घड़ा भर गाया था तब प्रभु राम के रूप में भगवान विष्णु ने इस धरती पर जन्म लिया और उसके पापों का अंत कर दिया । हालांकि रावण ये बात बखूबी जानता था कि उसका अंत राम के ही हाथों होगा । इसलिए कुल मिलाकर अगर पूरी रामायण की बात की जाए तो ये सिर्फ एक रामलीला कही जा सकती है जिसके माध्यम से यह बताया गया है कि अधर्म पर हमेशा धर्म की विजय होती है और बुराइयां एक न एक दिन अच्छाइयों के सामने हार जाती हैं समाज को एक मैसेज देने का कार्य रामायण में किया गया है इसी मैसेज को आगे बढ़ाते हुए दशहरा आज ही के दिन बहुत धूमधाम से मनाया जाता है ।

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फलाहार


 इस व्रत में हम विभिन्न प्रकार के फलाहार का प्रयोग कर सकते हैं जहां कुछ लोग बिना नमक का प्रयोग किए हुए सिर्फ फल, दूध, दही, आदि पर निर्भर रहकर अपने व्रत का पालन करते हैं । वहीं कुछ लोग कुट्टू की पूरी एवं अन्य चीजों का प्रयोग करते हैं तो आइए जानते हैं कि हम फलाहार के रूप में किन चीजों का प्रयोग कर सकते हैं ।

फलाहार में प्रयोग करें ऐसी रेसिपी जो स्वादिष्ट होने के साथ-साथ हों स्वास्थ्यवर्धक 


फलाहार के तौर पर आप ऐसे व्यंजनों का प्रयोग कर सकते हैं जो स्वादिष्ट होने के साथ साथ काफी हेल्थी भी हो क्योंकि आपको अपने व्रत में अपने बॉडी के संतुलन का भी ध्यान रखना होगा

मूंगफली का हलवा


 आप इस व्रत में मूंगफली के हलवे का प्रयोग कर सकते हैं ।

लौकी का हलवा


लौकी का हलवा शुद्ध देसी घी में बनाकर प्रयोग किया जा सकता है यह काफी स्वादिष्ट एवं हेल्थी भी होता है ।

तीन्नि के चावल का प्रयोग


तीन्नि का चावल फलाहार के लिए उपयुक्त माना जाता है इसका स्वाद दैनिक उपयोग में किये जाने वाले चावल जैसा तो नही होता है परंतु फिर भी यह काफी हद तक बेहतर होता है और इसके प्रयोग से व्रत के दौरान हेल्थ को भी मेंटेन रखा जा सकता है ।

कुट्टू से बनाएं स्वादिष्ट पूङिया और खिचड़ी


कुट्टू का प्रयोग फलाहार में अब बहुत आम हो चुका है आप कुट्टू को धूल कर उसे मिक्सर में अच्छी तरह पीस लें और फिर आप उसकी पूरी बना सकते हैं साथ ही साथ उसकी खिचड़ी भी काफी टेस्टी और हेल्दी होती है ।

सिंघाड़े के आटे से बनाए स्वादिष्ट हलवा


सिंघाड़े का आटा वाकई में काफी पौष्टिक होता है आप इसे अच्छी तरह से पीसकर इसका हलवा बना ले फिर दिन में कई बार आप इसका प्रयोग कर सकते हैं ।

घर में बनाए लस्सी 


दही जमा कर आप चाहे तो उसे थोड़ी देर फ्रिज में रख दें या फिर फ्रीजर में से निकालकर उसे बारीक पीस लें और फिर उसमें थोड़ी चीनी के साथ मिक्स करें और इस तरह आप की लस्सी तैयार हो जाएगी । दोस्तों बार-बार व्रत में प्यास लगने की जो परेशानी होती है उसे लस्सी द्वारा बहुत हद तक कम किया जा सकता है साथ ही साथ पानी की कमी को भी पूरा किया जा सकता है ।
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आलू की टिक्की का करें प्रयोग


आलू को उबालकर उसमें धनिया हरी मिर्च आदि मिलाकर और साथ ही साथ उसने थोड़ा साबूदाना को पीसकर या वैसे ही मिला कर आप कुरकुरी आलू की टिक्की बना सकते है यदि आप चाहे तो मूंगफली को भूनकर खुदरा पीस कर आलू मे डालने से भी कुरकुरी होती है ।

आलू टमाटर की सब्जी


आलू टमाटर की भी मजेदार सब्जी बना सकते हैं यह वाकई में बहुत टेस्टी होती है । 

आलू का हलवा


आलू का हलवा बनाना बहुत आसान है  देसी घी में आप आलू के हलवे को बनाकर काफी पौष्टिक और स्वादिष्ट व्यंजन अपने फलाहार के लिए बना सकते हैं ।

रामदाने के लड्डू एवं खीर 


रामदाने की खीर और उसके लड्डू का भी प्रयोग, आप कर सकते हैं इसके लिए आपको लड्डू व्रत स्टार्ट होने से पहले ही बना कर रखने होगे ।

तालमखाने की खीर


 ताल मखाने का प्रयोग आजकल बड़ी मात्रा में होने लगा है आप भी चाहें तो ताल मखाने की खीर का प्रयोग कर सकते हैं यह काफी स्वादिष्ट होती है और पचने में भी आसान होती है ।

साबूदाने की खीर पापड़ और खिचड़ी का करें प्रयोग


दोस्तों नवरात्रि आने ही वाली है बेहतर होगा कि आप पहले से ही साबूदाने के पापड़ बना कर रख लें और उनका मजा आप अपने व्रत में ले सकते हैं सिर्फ पापड़ ही नही साबूदाने की खिचड़ी और खीर बनाना बेहद सरल है ।

फ्रूट जूस


कई प्रकार के फलो का रस निकालकर उसके जूस का प्रयोग भी किया जा सकता है जैसे अनानास, अनार,मौसमी, संतरा एवं अंगूर का जूस जो कि काफी पौष्टिक होता है ।

फ्रूट चार्ट का प्रयोग


सभी प्रकार के फलो को चार्ट बनाकर भी उसे प्रयोग कर सकते हैं ।

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author

Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं‌‌ गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।

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