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अगले दिन ही पेड़ काटने वाले को बुलाया गया जैसे ही उसने अपनी कुल्हाड़ी पेड़ पर चलाई वह बरसो से तन कर खड़ा पेड़ सहम गया वह अपने मालिक के इस फैसले पर काफी दुखी था देखते ही देखते पूरा पेड़ जमीन पर गिरा दिया गया पेड़ कट जाने से बरामदे में काफी उजाला भी लगने लगा रोज-रोज पत्ते बटोरने की भी झंझट खत्म हो गई सबको काफी अच्छा लग रहा था जाड़े का मौसम बीत गया ।
कुछ दिनों बाद आम के फलों का सीजन आ गया आज काफी वर्षों बाद सुंदर और परिवार को आम खरीद कर खाने पड़ रहे थे पर इन खरीदे आम के फलो में न वह शुद्धता थी और ना ही वह स्वाद जिसकी उन्हें आदत पड़ गई थी । पेड़ के कट जाने से तेज धूप भी दोपहर होते-होते बरामदे मे आ जाती और दिनभर जाने का नाम ही नही लेती । अब तो बरामदे मे बैठना दूभर हो गया था । महीने गुजरते गुजरते सभी को अपने परिवार के एक सदस्य के जैसे उसे पुराने आम के पेड़ के कटने का पछतावा होने लगा था ।
इस कहानी से क्या शिक्षा मिलती है :–
हर चीज की कीमत पैसों से नहीं आकी जा सकती और ना ही उस कमी को पैसो से पूरा किया जा सकता है !
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