मिल गई मां | Heart Touching Mother Son Story In Hindi

   
     रितेश की मां जानकी देवी उसे बहुत प्यार करती रितेश भी अपनी मां को बहुत मानता स्कूल से जैसे ही वह घर आता मां के गले लिपट कर उसे ढेर सारा प्यार करता था।
    कुछ दिनों बाद जानकी की तबीयत काफी बिगड़ने लगती है। डॉक्टरों ने बताया कि उसे कैंसर है, अभी रितेश चौथी कक्षा का एग्जाम दे रहा था। एक दिन स्कूल से  जब वह घर लौटा तो उसकी मां बाहर लान मैं गहरी नींद में सो रही थी। ढेर सारे लोग वहां जमा थे। रितेश मां को जगाने की बड़ी कोशिश करता है। मगर अब भला वो कहां जागने वाली थी। मासूम रितेश को तो यह भी नहीं पता था कि उसने आज क्या खो दिया था।

    वक्त बीतता गया रितेश की मासूम निगाहें मां के लिए तरसती रही । रितेश का दुख पिता से नहीं देखा गया पिता ने रितेश की मां की कमी को दूर करने के लिए दूसरी शादी करने की सोची, काफी टटोलने के बाद मनोरमा को अपनी दूसरी पत्नी बनाने का निश्चय किया। मनोरमा तलाक शुदा थी और उसकी छः साल की बेटी भी थी।

     मनोरमा रितेश को बहुत प्यार करती रितेश भी अपनी खोई मां को पाकर बहुत खुश था। वह पिंकी के साथ खेल कूद भी खूब किया करता था।

    बिना मां के बेटे रितेश के गम का एहसास रितेश के पिता को बखूबी था। शायद इसीलिए वह रितेश को बहुत मानते उसका मनोरमा के ख्याल रखने के बावजूद खुद रितेश की देखरेख में कोई कसर नहीं छोड़ते, पिता की यही एक्सेस केयर मनोरमा को चूभने लगी थी।

     धीरे-धीरे रितेश के पिता के दिल में मनोरमा से अधिक रितेश के लिए प्यार था। यही प्रेम मनोरमा के हृदय मे रितेश के लिए ईष्या और नफरत पैदा करने की वजह बन गया। मनोरमा को अब रितेश फूटी आंख नहीं भाता था। उसका सारा प्यार अब पिंकी के लिए रह गया था। मां के अंदर आए इस बदलाव से रितेश काफी दुखी रहने लगा, पिता के न रहने पर मनोरमा रितेश को पिंकी के साथ खेलने भी नहीं देती थी।

   रितेश फिर भी मनोरमा को अपनी मां ही समझता था। वो उसके लाख झटकने पर भी उसके पल्लू से ही बंद कर रहने का प्रयास करता था। तंग आकर खुद से दूर रखने के लिए मनोरमा उसे घरेलू कामों में उलझा कर रखने लगी। मां के इस व्यवहार की शिकायत रितेश ने कभी अपने पिता से नहीं की, और न ही कोई काम करने से मां को मना किया। रितेश को अपने मां के द्वारा कहे गए हर काम  में उसे अपनी मां का प्यार झलकता था। उसे मां के दिये काम को करके बहुत खुशी मिलती थी ।

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    मनोरमा रितेश के इस ढीठ रवैये से मन ही मन और गुस्साती थी। एक दिन रितेश के पिता को ऑफिस के कामों से एक हफ्ते के लिए शहर से बाहर जाना पड़ा,

    मनोरमा बस इसी मौके का इंतजार कर रही थी। मनोरमा ने रितेश को स्कूल न भेजकर उससे घर के सारे काम करवाए, मगर रितेश खुशी-खुशी मां का कहना मानता रहा, काम खत्म करके रितेश मां के पास बैठकर टीवी देखने लगा। मनोरमा उसे पास देखकर अंदर ही अंदर जल-भुन गई। उसे रितेश को दूर भगाने का जब कोई रास्ता नहीं सुझा तो उसने रितेश का हाथ पकड़ कर आंगन के पास ले गई। थोड़ी ही देर में उसको अपने सारे कपड़े लाकर रितेश से धुलने को कहा थका हारा रितेश जिसने पूरे दिन कुछ नहीं खाया था। मां के बताएं काम को मन लगाकर करने लगा। जैसे ही उसने सारे कपड़े धुल कर टब में रखें, मनोरमा ने सारे कपड़े फिर से फर्श पर बिखेर दिए, और रितेश को धुलने को कहा भूखा प्यासा रितेश पूरी लगन से मां के आदेश का पालन करता रहा।

   ये सिलसिला यूं ही चलता रहा धीरे धीरे शाम और शाम से रात हो गई। कपड़े धुलते-धुलते आधी रात के बाद न जाने कब रितेश को नींद आ गई।

     सुबह मनोरमा ने रितेश का कान ऐठकर उसे नींद से जगाया, मनोरमा ने रितेश से कहा
“मैंने तुमको ये कपड़े धोने को कहा था और तुम आराम से सो रहे हो”

   रितेश नहीं मां बस आंख लग गई थी बस अभी धुल देता हूं मनोरमा मन ही मन सोचने लगी।

    ये किस मिट्टी का बना है। जानकी ने इसे क्या खिला-पिलाकर बड़ा किया, मेरे इतना परेशान करने पर भी यह मुझसे जरा भी नाराज नही है । मां को परेशान देखकर रितेश कपड़े धोते हुए मनोरमा से पूछा क्या हुआ मां तुम क्या सोच रही हो मनोरमा ने आखिरकार रितेश से पूछ ही लिया,

“रितेश मैं तुमसे वही कपड़े बार बार धुलवाती हूं, पर फिर भी तुम्हें जरा भी गुस्सा नहीं आया। क्यू”
 रितेश ” मां,तुम्हारे कपड़ो में भी मुझे तुम ही दिखाई देती हो, फिर मुझे ये काम करने में गुस्सा कैसे आ सकता है। बोलो  माँ”

    अपने लिए रितेश के मन में इतना प्यार जानकर मनोरमा का गला भर गया उसने रितेश के हाथों से कपड़े फेक उसे अपने गोद में उठा लिया।

इस कहानी से क्या शिक्षा मिलती है :

 दोस्तो, अक्सर रिश्ते छोटी-छोटी गलतफहमीयो से टूट के बिखर जाते है, उन्हे जोड़े  रखने की हमारी एक सच्ची कोशिश हमेशा रंग लाती है !
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         Writer
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      author

      Karan Mishra

      करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी एवं कविताएं कहने का भी बहुत शौक है । आपको, अपने निजी जीवन एवं कार्य क्षेत्र में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने की कोशिश करते रहे हैं ।

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