रितेश की मां जानकी देवी उसे बहुत प्यार करती रितेश भी अपनी मां को बहुत मानता स्कूल से जैसे ही वह घर आता मां के गले लिपट कर उसे ढेर सारा प्यार करता था।
मनोरमा बस इसी मौके का इंतजार कर रही थी। मनोरमा ने रितेश को स्कूल न भेजकर उससे घर के सारे काम करवाए, मगर रितेश खुशी-खुशी मां का कहना मानता रहा, काम खत्म करके रितेश मां के पास बैठकर टीवी देखने लगा। मनोरमा उसे पास देखकर अंदर ही अंदर जल-भुन गई। उसे रितेश को दूर भगाने का जब कोई रास्ता नहीं सुझा तो उसने रितेश का हाथ पकड़ कर आंगन के पास ले गई। थोड़ी ही देर में उसको अपने सारे कपड़े लाकर रितेश से धुलने को कहा थका हारा रितेश जिसने पूरे दिन कुछ नहीं खाया था। मां के बताएं काम को मन लगाकर करने लगा। जैसे ही उसने सारे कपड़े धुल कर टब में रखें, मनोरमा ने सारे कपड़े फिर से फर्श पर बिखेर दिए, और रितेश को धुलने को कहा भूखा प्यासा रितेश पूरी लगन से मां के आदेश का पालन करता रहा।
दोस्तो, अक्सर रिश्ते छोटी-छोटी गलतफहमीयो से टूट के बिखर जाते है, उन्हे जोड़े रखने की हमारी एक सच्ची कोशिश हमेशा रंग लाती है !
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