सफलता का विश्वास | Confidence Of Success Motivational Story In Hindi

     एक छोटे से  कस्बे में नन्ही मयूरी का घर था। मयूरी को स्कूल के दिनों से ही पेंटिंग का बड़ा शौक था। वह घर के दिवाल, दरवाजो पर ही अपनी चित्रकारिता का नमूना बिखेरती। उसकी इस प्रतिभा से काफी प्रसन्न मयूरी की माँ ने अपने पास जुटाए पैसो से, उसे पेन्टिंग से जुड़ी सभी जरूरी सामान बड़े शहर के बाजार से लाकर दिए ।   

   उन्हे पाकर मयूरी खुशी से झूम उठी, वो स्कूल के पढाई के बाद दिन-रात पेन्टिंग बनाने मे लग गयी । कस्बे के हर शख्स को मयूरी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुकी थी। उसके बनाए पेन्टिंग कस्बे के सभी घरो के दिवालो पर टंगी देखी जा सकती थी ।

       वक्त बिता गया, स्कूली शिक्षा के बाद मयूरी घर बैठ गई। वैसे तो मयूरी चित्रकारिता में उच्च शिक्षा हासिल कर ऊंची उड़ान भरना चाहती थी। पर घर की निर्धनता उसके आड़े आ रही थी।

      मासूम मयूरी के माता पिता बेटी की आकांक्षाओं को भली प्रकार जानते थे। मगर अपनी आर्थिक स्थिति का भी उन्हें पूरा अहसास था।

    मयूरी के माता पिता बेटी की प्रतिभा को जाया नहीं जाने देना चाहते थे। बस फिर क्या था, वह पैसे के जुगाड़ में लग गए, मयूरी को बिना बताए अपने जानने वालों, रिश्तेदारो, तकरीबन सभी से, के पास वह पैसों की मदद के लिए गए। पर सभी मयूरी के पिता रघु की आर्थिक दशा से वाकिफ थे। वह जानते थे, कि रघु उन्हें उधार के लिए पैसे कभी वापस नहीं लौटा पाएगा। इसी वजह से किसी ने उसकी मदद नहीं की  ।

    कुछ हाथ मदद को आगे आए भी तो, उनके द्वारा की जाने वाली मदद नाकाफी थी। दोनों को जब कोई विकल्प नहीं दिखा तो दोनों थक हार कर घर वापस आ गए। मगर मन-ही-मन बिटिया से किया गया वादा, वो खुद को हमेशा याद दिलाते ।

    कुछ दिनों बाद वह मयूरी के पास पेन्टिंग जगत
 मे एक नामी कालेज का फॉर्म भरने को लाए। फार्म देखकर मयूरी मुंह मोड़ते हुए पूछती हैं कि,

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   “पापा इस कॉलेज में पढ़ने के लिए तो बहुत पैसा लगेगा, हम कहां से इतने पैसो का इंतजाम करेंगे “
   रघु ने कहा
    “बेटा तू ज्यादा सवाल न कर बस तू यह फॉर्म भर दे बाकी तू सब हम पर छोड़ दे तुझे अपने मां-बापू पर भरोसा है न”

    मयूरी “हां पापा बिल्कुल है”
   ऐसा कहकर उसने वह फॉर्म भर दिया। सपने को पंख लगता महसूस कर मयूरी रात भर चारपाई पर भविष्य के नए सपने बुनने लगी। वह पूरी रात जागती रही।

      कुछ ही दिनों बाद उसका कॉलेज में दाखिला हो गया। बस यही से मयूरी के पेंटिंग की नई दुनिया शुरू हो गई। वह धीरे-धीरे पेंटिंग मे दुनिया की सफलता का मुकाम हासिल करने और दुनिया में अपनी पहचान बनाने में सफल हुई।

      कालेज जाने के बाद आज पहली बार मयूरी घर वापस लौट रही थी। वो जानती थी, कि इतने दिनों बाद मयूरी को अचानक अपने सामने पाकर उसके माता पिता कितने खुश होंगे। मयूरी जब घर पहुंचती है, तो आज उसके घर कुछ अन्जान नए चेहरे थे। वह उनसे अपने मां-बापू के बारे में पूछती है तो इस बारे में वो बिल्कुल ही अन्जान बनते हैं।

       मयूरी घबरा जाती है। तबतक पड़ोस की रहने वाली मयूरी की बचपन की सहेली वहां आ जाती है। वो बताती है, कि तुम्हारे मां बाप ने अपनी सारी जमा पूंजी, ये घर और खेत बेचकर तुम्हारा दाखिला कालेज में कराया था। अब वो पास मैं ही किराए के एक छोटे से कमरे में रहते हैं।




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Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं‌‌ गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।

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