उन्हे पाकर मयूरी खुशी से झूम उठी, वो स्कूल के पढाई के बाद दिन-रात पेन्टिंग बनाने मे लग गयी । कस्बे के हर शख्स को मयूरी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुकी थी। उसके बनाए पेन्टिंग कस्बे के सभी घरो के दिवालो पर टंगी देखी जा सकती थी ।
मयूरी घबरा जाती है। तबतक पड़ोस की रहने वाली मयूरी की बचपन की सहेली वहां आ जाती है। वो बताती है, कि तुम्हारे मां बाप ने अपनी सारी जमा पूंजी, ये घर और खेत बेचकर तुम्हारा दाखिला कालेज में कराया था। अब वो पास मैं ही किराए के एक छोटे से कमरे में रहते हैं।
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