पहले प्यार की वह पहली फुहार भला कौन भूल पाया है । रोज की तरह ही राधे अपनी फिजिक्स की कोचिंग से छूटने के बाद केमेस्ट्री की कोचिंग में जाने के लिए निकला है कि तभी न जाने कहा से काले-काले बादलों ने आसमान में दस्तक दी और थोड़ी ही देर मे जोरदार बारिश शुरू हो गई ।
राधे ने अपनी जान से प्यारी साइकिल को बारिश से बचाने के लिए अपने दोस्त उद्धव के साथ वहीं सड़क किनारे बनी दुकान के नीचे जा खड़ा होता है । वे आपस में थोड़ी गपशप ही कर रहे थे कि तभी अचानक राधे की नजर दुकान के ठीक सामने वाली दुकान पर पड़ती है ।
जहां बेहद खूबसूरत बहारों की मलिका अपने हूस्न से सबको दीवाना बना रहीं हैं । बारिश की चंद बूंदो मे नहाया वह चांद किसी खूबसूरत स्वप्न से कम नहीं है ये बारिश कोई मामूली बारिश नहीं थी, जुल्फों से गिरता बूंद-बूंद पानी प्यार की एक नई कहानी लिखने वाला था ।
राधे अपने दोस्त को भूल बस उसी को देखता रहा तभी युवती की नजर राधे के इस दीवानेपन को देखकर वह मुस्कुरा उठी ।
देर तक चली इस बारिश मे दोनों की नजरें कई बार टकराई और शायद उन्हें मे कुछ बातें भी हुई मगर कमबख्त बारिश को भी न जाने कहां जाने की जल्दी थी थोड़ी ही देर में बारिश खत्म हो गई और अब समय था सब को अपनी-अपनी मंजिल की ओर बढ़ने का ।
वैसे राधे का मन वहां से जाने का बिल्कुल भी नहीं था मगर उद्धव के बार-बार जोर देने पर उसे वहां से जाना ही पड़ा । जा रहे राधे की निगाहें घूम फिरके उसी युवती पर थी परंतु अचानक खत्म हुई बारिश के बाद जाने वालों की भीड़ में वह लड़की न जाने कहां गुम हो गई ।
जैसे-तैसे करके राधे और उद्धव कोचिंग पहुंचे । आज उन्हें आने में काफी देर हो गयी थी । राधे को देखते ही मास्टर साहब ने राधे से कहा
“आज फिर लेट, आखिर तुम्हारा ये लेटलतीफ और कब तक चलेगा तुम कब सुधरोगे”
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तब राधे ने कहा
“मास्टर साहब मैं तो आपको पहले ही बता चुका हूँ कि मेरी फिजिक्स की क्लास आपकी क्लास स्टार्ट होने के केवल 10 मिनट पहले क्लोज होती है ऐसे में मैं कितना भी जल्दी करू यहां आते-आते थोड़ा लेट तो हो ही जाता है.. . मैंने आपसे कहा था कि आप मुझे सुबह पांच बजे वाली बैच मे डाल दे पर .. .”
मास्टर साहब
“ठीक है कल से तुम सुबह पांच बजे वाली बैच में ही आना”
अगले दिन सुबह के पांच बजे से पहले ही राधे कोचिंग सेंटर पहुंच गया । राधे नए बैच के दोस्तों के साथ अभी गपशप ही लड़ा रहा था कि तभी सामने से आ रही कोचिंग की लड़कियों मे उसने उसी युवती को देखा ।
सुबह की ठंडी-ठंडी हवाओं मे उड़ती उसकी जुल्फे किसी को भी दीवाना बनाने के लिए काफी थी और रही बात राधे की तो उनकी बेकरारी का आलम न पूछो उसने जैसे ही कोचिंग मे प्रवेश किया उसकी भी आंखें राधे से टकराई ।
उसने भी राधे को पहचान लिया और फिर शुरू हुआ उनके प्यार का अगला एपीसोड थोड़ी ही देर में उनकी क्लास शुरू हो गई मगर राधे का तो मन कहीं और ही लगा था । क्लास के दौरान ही राधे को पता चला कि उस युवती का नाम कृष्णा है । क्लास खत्म होते ही राधे बाहर खड़ा होकर कृष्णा का वेट करने लगा । हमारी लेटेस्ट (नई) कहानियों को, Email मे प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें. It’s Free !
थोड़ी ही देर में कृष्णा अपनी सहेलियों के साथ बाहर आई । राधे अपने घर का रास्ता भूल उसके पीछे-पीछे निकल पड़ा । वक्त के साथ दोनों की नजदीकियां बढ़ने लगी । ये नजदीकियां पहले दोस्ती फिर प्यार और फिर रिश्ते में बदल गई ।
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शादी के लगभग एक साल बाद कृष्णा ने नन्हे, गोपाल को जन्म दिया । दोनों नन्हे-मुन्ने के आगमन से बहुत खुश थे । समय के साथ राधे और कृष्णा का बेटा बड़ा होने लगा राधे अपने बेटे को बहुत मानता परंतु तभी राधे कि नज़दीकियां, साथ काम करने वाली मीनाक्षी के साथ बढ गई ।
राधे कृष्णा को भूलकर मीनाक्षी के प्रेम में पागल बन बैठा उसने सबकुछ ताख पर रखते हुए मीनाक्षी से विवाह कर लिया और उसे पत्नी बना कर घर ले आया । यह देख कृष्णा जीते जी मर गई उसने घर छोड़ने का फैसला किया परंतु बेटे के नाते वह ऐसा नहीं कर सकी ।
राधे मीनाक्षी के प्यार में इतना अंधा हो चुका था कि वह अपनी पत्नी कृष्णा से, एक पत्नी की बजाय एक नौकरानी की तरह पेश आने लगा । मजबूर कृष्णा उनकी आज्ञा मानने को विवश हो गई ।
वहीं भगवान की भी लीला ऐसी कि मीनाक्षी से राधे को कोई संतान प्राप्त नहीं हो सकी दूसरी ओर कृष्णा का बेटा गोपाल पढ़ लिखकर इंजीनियर बन गया ।
आज गोपाल, सरकारी विभाग में इंजीनियर के पद पर ज्वाइनिंग कर घर वापस आ रहा है । घर में खुशियां ही खुशियां हैं पिता ने उसके आगमन की खुशी में उसके सभी पसंदीदा पकवान बनवाएं हैं । उसने पूरे घर को फूलों से सजा दिया है । वैसे उसका ऐसा करना लाजमी है आखिर गोपाल ने पिता की मूंछ ऊंची कर दी है । वह खुशी से गदगद हैं ।
सरकारी गाड़ी में गोपाल घर आता है पिता उसे देखते ही दरवाजे की ओर दौड़ पड़ते हैं वह बेटे को गले लगाते हैं । बेटा भी पिता को हंसते-हंसते गले लगाता है और घर में चला जाता है । घर के अंदर पहुंचने पर मीनाक्षी भी बेटे को गले लगाने के लिए आगे बढती है परंतु बेटा मीनाक्षी को ऐसा करने से रोक देता है और किचन में काम कर रही अपनी माँ की तरफ चला जाता है । वह माँ का हाथ पकड़ता है और उसे लिए बाहर खड़ी अपनी गाड़ी की ओर चल देता है । राधे कुछ समझ नहीं पाता हैं वह उससे पूछते हैं
“इतनी जल्दी मे कहां जा रहे हो ? अभी-अभी तो आए हो”
तब गोपाल कहता है
“पिताजी हमें तो बहुत पहले ही यहां से चले जाना चाहिए था परंतु कुछ विवशता के कारण ऐसा नहीं हो सका परंतु आज वह दिन आ गया है कि जब हम आप दोनों को पूरी तरह आजाद कर दें । अब आपको न मेरी माँ को बर्दाश्त करने की जरूरत है और न मुझे, आप दोनों खुशी-खुशी अपना जीवन गुजार सकते हैं । मैं अपनी माँ को लेकर यहां से हमेशा-हमेशा के लिए जा रहा हूँ”
राधे गोपाल को मनाने की बहुत कोशिश करता हैं परंतु गोपाल उनकी एक नहीं सुनता है । गोपाल के जाने के बाद राधे बिल्कुल टूट जाते हैं उनको अपने किए पर पछतावा होता है ।
कहानी से शिक्षा | Moral Of This Best Inspirational Story In Hindi
वक्त हमेशा एक सा नहीं रहता जहां वक्त कभी जख्म देने का काम करता है वही वह समय के साथ मरहम भी लगाता है । यह जरूरी नहीं कि आज हमारा वक्त अच्छा है तो कल भी अच्छा ही रहेगा इसीलिए हमेशा दूसरों की भावनाओं का भी ख्याल रखना चाहिए और उन्हें किसी भी हाल में ठेस नहीं पहुंचानी चाहिए !
इस कहानी में हमने देखा की राधे ने किस प्रकार कृष्णा को दरकिनार करते हुए मीनाक्षी को घर ले आया । कभी वक्त उसके लिए हर तरह से बेहतर था इसीलिए उसने जैसा चाहा हुआ परन्तु एक वक्त ऐसा भी आया जब वह अपने ही बेटे के सामने गिड़गिड़ाता रहा ।
किसी ने सच ही कहा है, “समय बड़ा बलवान” और समय से ज्यादा बलवान दूसरा कोई नहीं इसीलिए अपने अहंकार को त्याग कर हर किसी के बारे में सदैव अच्छा सोचना चाहिए ।