एक छोटी सी चींटी रास्ते में जा रही थी। उसके घरौंदे को कुछ उदण्ड बच्चों ने तोड़ दिया था, इस कारण वह बहुत परेशान थी और वह किसी ऐसे आदमी की खोज में थी जो उसकी सहायता कर सके।
गुड्डू मछुहारा राजा से मिलने उनके दरबार में जा रहा था। उसके पास मोतियों से भरे हुए शीप थे, जिसे वह राजा को दिखाने के लिए जा रहा था। अचानक उसे रास्ते एक आवाज सुनाई दी, ” कृपया मेरी सहायता करिए ? “
गुड्डू मछुहारे ने आवाज की तरफ देखा और उसने चींटी से पूछा ” क्या आपने हमें आवाज दी है ? ” उस नन्ही चींटी ने कहा, “हां, मैंने ही आपको आवाज दी है।”
मछुहारे ने चींटी से कहा, “मैं आपकी क्या सहायता कर सकता हूँ ?” चींटी ने कहा, “हमारा घर कुछ उदण्ड बच्चों ने बिगाड़ दिया है। आप उन बच्चों को समझा कर हमारी सहायता कीजिए।”
मछुहारा चींटी के साथ गया और उन बच्चों को समझाया। उन बच्चों ने फिर चींटी को न परेशान करने की प्रतिज्ञा की। मछुहारे की सहायता से चींटी का घरौंदा पुनः बन गया।
चींटी अपना घरौंदा देखकर बहुत प्रसन्न हुई और वह मछुहारे से बोली, ” कभी आपको हमारी आवश्यकता पड़े तो अवश्य याद करना। मैं आपकी सहायता अवश्य ही करुँगी। ” यह कहकर वह ख़ुशी – ख़ुशी अपने घर में चले गयी।
मछुहारे को राजदरबार में पहुँचने की व्यग्रता बढती ही जा रही थी। तभी रास्ते में उसे एक वृद्धा मिली। उसने मछुहारे से पूछा, “अपने हाथ में क्या लिए हो ?”
मछुहारे ने वृद्धा से कहा, “हमारे हाथ में शीप है और उसमे मोती है, जो मैं राजा को दिखाने जा रहा हूँ।” वृद्धा ने मछुहारे से पुनः कहा, ” मुझे भूख लगी है, क्या आप मेरी कुछ मदद कर सकते हैं ? “
मछुहारे ने वृद्धा से कहा, ” माता हमारे पास सिर्फ दो सूखी रोटियां ही शेष है। अगर आप चाहे तो उन रोटियों से अपनी क्षुधा शांत कर सकती है, और उसके बाद उन रोटियों को उसने वृद्धा की सेवा में अर्पित कर दिया।”
वृद्धा बहुत ही खुश हुई और मछुहारे को एक सिटी देते हुए कहा, ” तुम अगर किसी विपत्ति से घिरने पर इस सिटी को तीन बार बजाओगे तो तुम्हारी विपत्ति का तत्काल ही इसके आवाज से समाप्त हो जाएगा। “
मछुहारे ने उस सिटी को लेकर राजदरबार की तरफ दौड़ लगा दी। राजदरबार में पहुँचने पर उसने शीप द्वारा प्रदत्त मोती को राजा के सामने प्रस्तुत किया।
राजा इतना सुन्दर मोती देखकर चकित था। राजा ने मछुहारे से कहा, “तुम्हे अभी दो कार्य और करने पड़ेंगे। उसके बाद ही तुम इस राज्य के महामंत्री घोषित कर दिए जाओगे। एक गोदाम में पांच प्रकार के अनाज को मिलकर रखा गया है उन्हें अलग अलग करना है और आज शाम को साढ़े छः बजे तक यह कार्य पूर्ण करना होगा।”
गुड्डू मछुहारे के सामने यह कार्य लोहे के चने चबाने जैसा था। लेकिन उसने सहमति से सर हिला दिया। मछुहारे को गोदाम में बंद कर दिया गया, जिससे उसे किसी भी प्रकार की सहायता न मिल सके। कुछ समय के बाद मछुहारे को चींटी की कही हुई बात याद आई और उसने तुरंत ही चींटी को याद किया।
मछुहारे ने चींटी से कहा, ” इस अनाज में पांच प्रकार के अनाज की मिलावट की गई है और इन पांचों अनाज को अलग अलग करना है।” चींटी ने कहा, “ठीक है आपका कार्य पूर्ण हो जाएगा।” मछुहारे ने पुनः चींटी से कहा, ” स्मरण रहे इसमें से अनाज काम नहीं होना चाहिए अन्यथा इसकी सजा हमें ही मिलेगी।”
चींटी ने मछुहारे से कहा, “आप निश्चिन्त रहिए। आपका यह कार्य समय से पहले ही पूर्ण हो जाएगा और अनाज में कमी भी नहीं होगी।” उस नन्ही चींटी ने अपने सभी चींटी साथियों का आह्वान किया, सभी चींटियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। वह नन्ही चींटी उन सभी चींटियों की सरदार थी और वह सभी चींटियों को अच्छी प्रकार समझा दिया और अनाज अलग करने का कार्य आरम्भ हो गया। देखते ही देखते सभी अनाज को अलग करके चीटियों ने यथा स्थान पर रख दिया और मछुहारे से आज्ञा लेकर चींटी वहां से प्रस्थान कर गई।
शाम को साढ़े छः बजे राजा ने अपने नौकरों के साथ गोदाम का दरवाजा खुलवाया, लेकिन राजा के आश्चर्य का ठिकाना न था। गुड्डू ने वह असंभव सा कार्य पूर्ण कर दिया था। राजा बहुत ही खुश था। मछुहारे ने राजा से कहा, ” मुझे दूसरा कार्य बताइए महाराज। “
राजा ने मछुहारे को दूसरे कार्य की रुप रेखा बताना शुरु किया। ” सामने बगीचे में तुम्हे एक सौ एक खरगोश दिखेंगे, बिना किसी की सहायता के उन्हें तुमको शाम तक पुनः एकत्रित करना होगा। उसके बाद हमारे नौकर उन्हें ले जाएंगे। ध्यान रहे, एक भी खरगोश कम नहीं होना चाहिए। ” राजा हुक्म देकर चला गया।
संध्या होने वाली थी। सभी खरगोश अपने स्वभाव के अनुरुप उछलते हुए काफी दूर चले गए। गुड्डू मछुहारे के लिए उन्हें एकत्रित करना टेढ़ी खीर था। वह परेशान हो गया था। अकस्मात उसे वृद्धा की दी हुई सीटी की याद आई।
गुड्डू मछुहारे ने सीटी बजाई। यह क्या ? सभी खरगोश भागते हुए एक स्थान पर आकर रुक गए जैसे उन्हें कोई बांध रखा हो। नियत समय पर राजा अपने सेवको के साथ आया। सेवकों के द्वारा गणना करने पर खरगोशों की संख्या यथावत थी। राजा यह देखकर बहुत प्रसन्न हुआ और उसे अपने राज्य का महामंत्री नियुक्त कर दिया ।
Moral – अपनी सामर्थ्य के अनुसार सबकी सहायता अवश्य करनी चाहिए और किसी की बातों को अनसुना नहीं करना चाहिए।
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