क्यों कुछ भी मुफ्त नही कहानी | Nothing Is Free In Life Story In Hindi
एक दिन जब वह अपने घर के बाहर चारपाई पर गेंहू को धुल कर सुखा रहा था तभी बैठे-बैठे अचानक उसकी आंख लग गई । उतने ही देर में जाने कहां से ढेरों पंछी वहां आकर गेंहू के दानों को खाने लगे तभी अचानक उसकी आंख खुली मेहनत से कमाये गए अनाज का एक-एक दाना उसके लिए बहुत कीमती है । ऐसे में उसने दौड़कर उन पंछियों को भगाया और फिर उनके द्वारा जमीन पर बिखरे दानों को उठाने लगा । तभी वहां पास बैठे गांव के कुछ लोगों ने चरवाहे की निर्धनता का मजाक उड़ाते हुए बोला
“जिसे खुद का पेट भरना मुश्किल हो वह भला दूसरों का पेट भरने की कैसे सोच सकता है, ये सब मेरे बस की बात नहीं”
“मैं जानता हूँ कि तुम्हारी आर्थिक स्थिति बहुत खराब है । बहुत ही मुश्किल से तुम अपने दो जून की रोटी का गुजारा कर पाते हो । आज से तुम रोज सुबह हमारे भंडार गृह मैं आ जाना और फिर जितना भी तुम खा सको उतना अनाज और अन्य सामान यहां से ले जाना । तुम्हें अब किसी प्रकार की कोई चिंता करने की आवश्यकता नहीं है”
उसने फटा-फट झोले में एक सेर आटा, एक सेर चावल, आधा सेर दाल, हरी सब्जी, आलू, मर्चा, नमक, हल्दी, एक बाल्टी दूध, दही और ढेर सारे खाने के सामान को लेकर घर की ओर निकल पड़ा । घर पहुंच कर उसने ढेर सारा खाना पकाया और खाया, जीवन मे आज पहली बार उसने पेट भर खाना खाया था ।
तुम्हारे तो दिन ही बहुर गए हैं । कभी हमें भी दावत पर बुलाओ अकेले-अकेले पकवानों का मजा लेते रहना ठीक नहीं है”
मुखिया के लोगों ने उसे बताया की यह उसके हफ्ते या महीने भर का राशन नहीं बल्कि एक दिन का ही राशन है । वह रोज इतना राशन ले जाता है । मुखिया यह सुन कर हंस पड़ा और बोला इतना राशन ? इतने राशन का वह करता क्या होगा ? मैंने सुना था कि
“पतली डेहरी में ज्यादा अन्न आमाता है”
“तुमने ठीक किया उसने मेरी एकलौती संतान की जान बचाई है ऐसे में यह उसका हक है मैं चाहता हूँ कि उसे खाने पीने या किसी चीज की कोई कमी न हो । मगर फिर भी मैं देखना चाहता हूँ कि आखिर वह रोज-रोज इतने राशन का करता क्या है । वैसे तो मैं यह राशन लेकर खुद ही उसके पास जाना चाहता था क्योंकि उससे मिले हुए भी मुझे बहुत दिन हो गए । मगर तुम लोगों की ये बातें सुनकर मुझे कुछ शंका हो रही है ऐसा करो यह राशन लेकर तुम लोग ही उसे दे आओ और साथ ही यह भी पता लगाकर आना कि वह इतने राशन का करता क्या है ?”
“तुमने मेरे एकलौते संतान को बचाकर मुझ पर बहुत बड़ा एहसान किया था । एक ऐसा एहसान जिसे मैं शायद पूरी जिंदगी न चुका पाऊं चूंकि तुम्हारी स्थिति काफी दयनीय थी इसलिए मैंने ताउम्र तुम्हारे खाने-पीने का प्रबंध करना चाहा । तुम्हें हर सुविधा दी । मगर तुमने इन सब सुविधाओं का नाजायज फायदा उठाया । तुमने पूरे गांव वालों को रोज-रोज दावत देनी शुरू कर दी । खून-पसीने से कमाए अनाज तुम्हारे घर की नालियों में सड़ रहे हैं । मुफ्त में मिली चीजों की तुम्हें कोई कदर ही नहीं है”
मुखिया जी ने फिर कहा
“तुम्हें शायद नहीं पता कि अनाज का एक दाना कितनी मुश्किल से उगाया जाता है । इन्हें यूं ही बर्बाद करने का हक किसी को नहीं है । मैंने तुम्हें जो भी मुफ्त की सुविधाएं दे रखी थी । आज से मैं उन सभी सुविधाओं को बंद करता हूँ । मैं तुम्हारे एहसानों को कभी भूल नहीं सकता इसलिए मैं तुम्हें फिर भी जीने का एक रास्ता दे रहा हूँ । आज से तुम जंगल से जितनी लकड़ियां लाओगे उसके बाजार मूल्य का तीन गुना राशन मैं तुम्हें दूंगा । अब ये तुम जानो कि उतने में अपना काम तुम कैसे चलाते हो”
कहानी से शिक्षा | Moral Of This Best Inspirational Story In Hindi
नई रिसर्च के मुताबिक अगले कुछ वर्षों में पृथ्वी पर अनाज की उपज भी आधी रह जाएगी मतलब जितना आज के समय में हम उगा पा रहे हैं उसका भी आधा अनाज हम उगा पाएंगे वैसे तो आज हमारे समाज में अधिकांश वर्ग को अनाज की कोई समस्य नहीं है आधे से ज्यादा आबादी अनाज का उपयोग करती है उससे कहीं ज्यादा वह बना-बनाकर इधर-उधर वेस्ट करती है और क्यों ना करें आखिर उसने इसका मूल्य चुकाया है हम अनाज का मूल्य चुका कर उसके मालिक हो गए हैं और हम चाहे उसे खाएं या बर्बाद करें इसमे किसी का क्या जाता है ।