शहर में एक गल्ले की बड़ी सी दुकान थी। दुकानदार ने जरूरत के मुताबिक ढेर वर्कर रख रखे थे। वैसे तो अधिकांशतः उसके पास माल ढुलाई का ही काम था। मगर उसके पास कुछ लिखने पढ़ने और सामान की पैकिंग आदि का भी काम था।
एकदिन उस दुकान पर एक ग्राहक आया उसने दुकानदार से कुछ अनाज खरीदे अनाज का वजन काफी ज्यादा था। जो कि एक सामान्य व्यक्ति के बस का नहीं था। परन्तु दुकानदार ने उस ग्राहक के सामान को उसकी गाड़ी में रखवाने के लिए अपने ऐसे वर्कर को बुलाया जो नौजवान तो था। मगर उसका एक ही हाथ था। दुकान मालिक ने उसे बुलाया और उसके पीठ पर किसी तरह से अनाज की वो बोरी लाद दी। बेचारा वर्कर उस बोरी को अपने एक ही हाथ से किसी तरह पीठ पर लदे भारी भरकम बोरे को पकड़ कर ग्राहक की गाड़ी तक पहुंचा,
ग्राहक उसे देखकर काफी आश्चर्य मे पड़ गया। कुछ देर तक तो वो उसे देखता रहा, पर थोड़ी देर बाद वो वर्कर के पीछे पीछे तेजी से अपनी कार के पास आकर अपनी कार की डिग्गी खोली।
वर्कर के सामान रखने के बाद ग्राहक उससे अपने साथ चलने को कहा मगर वर्कर ने यही काम करते रहने की अपनी इच्छा जताई। मगर ग्राहक ने स्पष्ट कहा कि वो उस पर कोई दया नहीं दिखा रहा है। बल्कि उसने बताया कि उसके खुद के ऑफिस में कुछ ऑफिस वर्क हैं जो वह बैठ कर ही कर सकता है।
बातों-बातों में ही ग्राहक ने भाप लिया था कि वर्कर काम एक मजदूर का कर रहा था। मगर वो काफी पढ़ा लिखा भी था। वर्कर ने ग्राहक से उसके इतनी कृपा की वजह पूछी तो ग्राहक ने गाड़ी की पिछली सीट पर बैठे अपने बुजुर्ग बाप की तरफ इशारा किया। जो खुद भी एक हाथ गंवा चुके थे ।
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इस कहानी से क्या शिक्षा मिलती है:-
हमें दूसरों की तकलीफों और परेशानियों का एहसास अक्सर तब होता है, जब हम खुद उन तकलीफो और परेशानियों से गुजरे होते हैं, या गुजरते हैं। वरना, हम सामने वालों की परेशानियों से सदा अनभिज्ञ बने रहते हैं।
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