तभी उन्हें मंदिर के गेट पर एक जूस के ठेले के पास गोपाल दिखाई देता हैं जैसे ही मास्टर साहब की आंखे गोपाल से टकराती हैं वह उन्हें देख कर हैरान हो जाता है और इधर-उधर देखने का नाटक करने लगता है परंतु मास्टर साहब की आंखो से वह नही बच पाता । वो उसके बिल्कुल पास आकर पूछते हैं
हां मास्टर साहब सब आपका आशीर्वाद है । दर्शन के लिए मंदिर आया था तो सोचा जूस पीता चलूँ”
परिणामस्वरूप गोपाल का झूठ पकड़ जाता है जिसके नाते गोपाल के पैरों के नीचे से जमीन खिसक जाती है वह मास्टर साहब को किसी से कुछ न बताने का आग्रह करने लगता है मास्टर साहब उसे आश्वासन देकर घर लौट आते हैं परंतु झूठ भला कबतक छुपा रह सकता है ।
क्या मास्टर साहब क्यूँ अपनी मास्टरी रोज-रोज इस बेचारे बच्चे पर झाड़ते रहते हो । अरे पढ़ाई लिखाई ही सबकुछ नही होता । अब मेरे बेटे को ही देखो लो वो ज्यादा पढा लिखा नही था मगर आज सेठ के वहां सुपरवाइजर बन बैठा है और खूब पैसे कमा रहा है