गोपाल की कहानी | बेटे के झूठ की कहानी

गोपाल की प्रेरणादायक कहानी | बेटे के झूठ की  लघु कहानी | झूठे गोपाल की दिल को छू लेने वाली कहानी | Inspirational short Story of Gopal in Hindi

Most Popular Inspirational Story on Gopal in Hindi

हरिहरपुर गांव में अवधेश नाम का एक गरीब किसान रहता था । अवधेश के पास खेती करने के लिए भूमि बहुत कम थी जो उसकी निर्धनता का प्रमुख कारण थी । समय के साथ अवधेश का बेटा गोपाल बड़ा होकर शहर कमाने के लिए जाता है परंतु गरीबी में पले-बढ़े गोपाल की शिक्षा दीक्षा कुछ खास न होने के नाते उसे कोई ढंग की नौकरी नहीं मिल पा रही है तब वह ठेले पर जूस बेचने की सोचता है । 
शुरू शुरू में उसकी आमदनी कुछ खास नहीं होती परंतु धीरे-धीरे उसकी कमाई बढ़ने लगती है इस खुशी को अपने पिता से साझा करते हुए वह उन्हें बताता है कि उसे फलों के बहुत बड़े व्यापारी के वहां सुपरवाइजर की नौकरी मिल गई है।
इस खबर को सुनकर पिता की खुशी का ठिकाना नही रहा । धीरे-धीरे यह बात पूरे गांव में आग की तरह फैल गई कि अवधेश का अनपढ बेटा दिल्ली के बहुत बड़े सेठ के वहां सुपरवाइजर बन गया है ।
एक दिन गोपाल के पड़ोसी, मास्टर जयनाथ बड़े शहर अपनी बहन के घर जाते हैं । वहां से लौटते वक्त वे हमेशा की तरह दिल्ली के प्रसिद्ध कालका जी मंदिर का दर्शन करने पहुँचते हैं परंतु जब वो मंदिर से लौट रहे थे ।

तभी उन्हें मंदिर के गेट पर एक जूस के ठेले के पास गोपाल दिखाई देता हैं जैसे ही मास्टर साहब की आंखे गोपाल से टकराती हैं वह उन्हें देख कर हैरान हो जाता है और इधर-उधर देखने का नाटक करने लगता है परंतु मास्टर साहब की आंखो से वह नही बच पाता । वो उसके बिल्कुल पास आकर पूछते हैं

“और बेटा गोपाल तुम कैसे हो ? तुम्हारा काम धन्धा कैसा चल रहा है ? सब ठीक है ना”

हां मास्टर साहब सब आपका आशीर्वाद है । दर्शन के लिए मंदिर आया था तो सोचा जूस पीता चलूँ”

(गोपाल मास्टरजी से कहता है)
मास्टर साहब “अच्छा”

मास्टर साहब गोपाल से मिलकर बहुत खुश हैं परन्तु वे जैसे ही उससे मिलकर वहां से आगे बढते हैं तभी गोपाल के कुछ परमानेंट ग्राहक वहां आ जाते हैं जो उसे फौरन जूस बनाने को कहने लगते हैं

परिणामस्वरूप गोपाल का झूठ पकड़ जाता है जिसके नाते गोपाल के पैरों के नीचे से जमीन खिसक जाती है वह मास्टर साहब को किसी से कुछ न बताने का आग्रह करने लगता है मास्टर साहब उसे आश्वासन देकर घर लौट आते हैं परंतु झूठ भला कबतक छुपा रह सकता है  ।

एक दिन जब मास्टर साहब अपने नालायक बेटे को पढने लिखने के लिए डांट लगा रहे थे तभी अवधेश वहां आकर उन्हे रोक देता है और कहता है 

क्या मास्टर साहब क्यूँ अपनी मास्टरी रोज-रोज  इस बेचारे बच्चे पर झाड़ते रहते हो । अरे पढ़ाई लिखाई ही सबकुछ नही होता । अब मेरे बेटे को ही देखो लो वो ज्यादा पढा लिखा नही था मगर आज सेठ के वहां सुपरवाइजर बन बैठा है और खूब पैसे कमा रहा है

उसकी बातो को सुनकर मास्टरजी का धैर्य जबाब दे जाता है और वे गोपाल की पोल खोल कर रख देते हैं ।

गोपाल की कहानी से शिक्षा

कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता इसलिए किसी भी काम को करते हुए आपको शर्मिंदगी नहीं होनी चाहिए आप का प्रोफेशन ही आपको ऊपर ले जा सकता है इसलिए आप जो भी काम करते हैं, आपने जिस भी प्रोफेशन को अपने लिए चुना है उसे खुशी व गर्व के साथ करें ।
दोस्तों झूठ ज्यादा दिन तक नहीं टिक सकता । यह कभी ना कभी, किसी ना किसी रूप में सामने आ ही जाता है फिर ऐसे झूठ के पल्लू में छुपने का आखिर क्या फायदा इसीलिए हमेशा सच बोले और सच के साथ आगे बढ़े !

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Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं‌‌ गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।

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