(साहूकार भीखू से कहता है)
मगर घर में तो पानी का एक कतरा तक नहीं है । ऐसे में बच्चे को पानी कहां से पिलाएं । शाम होते-होते रामाधीन का बच्चा आंख उलट देता है । यह देखकर रामाधीन और उसकी पत्नी की रूह कांप जाती है ।
वे भागे-भागे साहूकार के पास पहुंचते हैं और उससे पानी की भीख मांगते हैं परंतु साहूकार, रामाधीन के सामने भी, पानी के बदले अपनी वही पुरानी शर्त रखता है । रामाधीन और उसकी पत्नी ऐसी शर्त न रखने के लिए उसकी बहुत मिन्नत करते हैं परंतु वह टस से मस नहीं होता । आखिरकार रामाधीन अपना सारा खेत साहूकार के नाम कर अपने बेटे की जान बचाता है ।
साहूकार पत्नी को लिए फौरन शहर के बड़े अस्पताल पहुंचता है परंतु वहां के डाक्टर भी उसके बच्चे की बीमारी को समझ पाने मे असमर्थ हैं लिहाजा वो उसे महानगर जाने की सलाह देते हैं ।