भारत की प्रथम महिला डॉक्टर रूक्माबाई राऊत का जीवन परिचय और इतिहास

भारत की प्रथम महिला डॉक्टर व माहिलाओं की प्रेरणा स्रोत रूक्माबाई राऊत का जीवन परिचय व इतिहास | india's first female doctor rukmabai raut biography in hindi


रूक्माबाई राऊत की जीवनी | Rukmabai Raut Biography In Hindi

जन्म – 22 नवंबर 1834
स्थान – मुंबई
शिक्षा – लंदन स्कूल ऑफ मेडिसिन फॉर विमेन से डॉक्टर
माँ का नाम – जयंती बाई
पिता का नाम – जनार्दन
पति का नाम – दादाजी भीकाजी
पेशा –  डॉक्टर एवं समाज सुधारक
मृत्यु – 25 सितंबर 1955
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  महिलाओं की प्रेरणा स्रोत एवं भारत की प्रथम महिला चिकित्सक रूक्मा बाई राऊत का जन्म 22 नवंबर सन् 1864 में मुंबई में हुआ था । उस समय की चली आ रही बाल विवाह की प्रथा के अंतर्गत रूक्मा बाई राऊत की मां जयंती बाई का विवाह काफी कम उम्र में हो गया था जिसके फलस्वरूप मात्र 15 वर्ष की उम्र में उन्होंने मां बनने का सुख प्राप्त किया और रूक्मा बाई राऊत ने इस धरा पर जन्म लिया ।
  परंतु जब रूक्मा बाई राऊत सिर्फ 2 वर्ष की थी तभी उन्होंने अपने पिता को खो दिया । मां जयंती बाई ने मुंबई के ग्रांट मेडिकल कॉलेज में कार्यरत डॉक्टर सखाराम अर्जुन से पुनः विवाह कर लिया ।रूक्मा बाई राऊत को अपने डॉक्टर पिता से बहुत प्रेरणा मिली परंतु उस समय की चली आ रही प्रथा के कारण मात्र 11 वर्ष की उम्र में रूक्मा का विवाह 19 वर्षीय दादाजी भीकाजी से हो गया परंतु विवाह के बाद भी वो अपने पति के साथ न रहकर अपने माता-पिता के साथ ही  रहा करती थी ।
  जिसके कारण सन् 1884 में दादाजी भीकाजी ने पत्नी को अपने साथ रहने के लिए हाईकोर्ट में अपील की तब रूक्माबाई ने बड़ी ही समझदारी से इस विवाह को अवैध करार देते हुए यह तर्क दिया कि उनका विवाह जिस उम्र में हुआ था उस उम्र में विवाह की कोई समझ नहीं होती है ऐसे मे इसप्रकार के विवाह मे हमारी सहमती का तो सवाल ही नही पैदा होता इस घटना के फलस्वरूप स्त्रियों के विवाह अधिकारों को लेकर चर्चा शुरू हो गया फलतः सन् 1891 में इस संदर्भ मे कानून पास हुआ ।
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  पिता से प्रेरणा प्राप्त राऊत ने सन् 1894 में लंदन स्थित मेडिकल कॉलेज से डॉक्टरी की पढ़ाई की सिर्फ उन्होंने न सिर्फ डॉक्टरी पेशे में अपनी सेवाएं दी बल्कि उन्होंने महिलाओ सुधार की दिशा में आजीवन प्रयासरत रहीं वे महिलाओं के लिए अनन्य प्रेरणा स्रोत बनकर उभरीं ।
  दुर्भाग्यवश 91 वर्ष की उम्र में 25 सितंबर सन् 1955 में महिलाओं के लिए मिसाल बन चुकी इस महान हस्ती का निधन हो गया । रूक्माबाई राऊत के विषय एक में एक विशेष बात ये थी कि इन्होंने दोबारा विवाह नही किया ।
  जो महिलाएं खुद को कमजोर समझती है या परिस्थितियों में खुद को कमजोर पाती हैं या उन्हें ऐसा लगता है कि विवाहेत्तर वे अपने सपनों को पूरा नहीं कर सकती हूं उन्हें राऊत के बारे में जरूर जाना चाहिए मुझे उम्मीद है कि इन से हर महिला प्रेरणा ले सकती है और दुनिया में एक मिसाल कायम कर सकती है ।
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Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं‌‌ गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।

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