ये उम्र गुजर रही है एक एक रोज बस यूं ही | शायरी | करन मिश्रा
ये उम्र गुजर रही है एक एक रोज बस यूं ही | शायरी | करन मिश्रा

ये उम्र गुजर रही है एक एक रोज बस यूं ही | शायरी | करन मिश्रा

ये उम्र गुजर रही है एक एक रोज बस यूं ही,
मैं चलता ही जा रहा हूं एक एक रोज बस यूं ही।
ना अब कोई तमन्ना ना कोई ख्वाब बाकी है,
मैं जी रहा हूं यारों एक एक रोज बस यूं ही,

Ye Umra Gujar Rahi Hai Ek Ek Roj Bas Yun Hi,
Mai Chalata Hi Ja Raha Hun Ek Ek Roj Bas Yun Hi.
Na Ab Koi Tamanna Na Koi Khwab Baki Hain,
Mai Ji Raha Hun Yaron Ek Ek Roj Bas Yun Hi,

ये उम्र गुजर रही है एक एक रोज बस यूं ही | शायरी | करन मिश्रा
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Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी, कविताएं एवं‌‌ गीत लिखने का भी बहुत शौक है । आपको अपने निजी जीवन में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने का प्रयत्न करते हैं ।

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