विक्रमपुर राज्य बहुत विशाल था । राज्य में हर तरफ सुख-समृद्धि का वातावरण था । जिसके कारण वहां की प्रजा काफी खुश थी परंतु ठीक इसके विपरीत विक्रमपुर के राजा काफी दुखी थे । उनके दुख का कारण उनके पास संतान का अभाव होना था । हालांकि इसके लिए वे बहुत प्रयत्नशील थे परंतु उनकी सारी कोशिशें नाकाम साबित होती रही ।
धीरे-धीरे समय के साथ राजा अब बूढ़े हो रहे थे चूँकि राजा अपनी प्रजा को अपनी संतान की भांति समझते थे । इसलिए राज्य के उत्तराधिकारी के अभाव मे उन्हें अपनी प्रजा के भविष्य की चिंता सताने लगी क्योंकि राजा एक बात बखूबी जानते थे कि अब उनके पास ज्यादा समय नहीं बचा, उन्हें डर था कि कहीं उनके जाने के बाद उनका राज्य बिखर न जाए और उनकी प्रजा को दुखों का सामना करना पड़ेगा । इसलिए राजा अपने जीते जी राज्य के अगले उत्तराधिकारी का चयन कर लेना चाहते थे । इसके लिए उन्होंने अपने राज्य के तमाम नवयुवकों की परीक्षा ली परंतु वे सब के सब इस परीक्षा मे असफल रहें जोकि राजा के लिय बहुत चिन्ता का विषय था ।
हालांकि उनकी चिंता राज्य की प्रजा से भी छुपी नहीं थी । उनकी प्रजा भी राजा के जीते जी उनके जैसा ही एक योग्य उत्तराधिकारी पा लेना चाहती थी ।
एक दिन महामंत्री राज दरबार में दो नवयुवकों को लेकर आए । वे दोनों नवयुवक काफी बुद्धिमान एवं सभी विद्याओं में निपुण थे । महाराज ने उन दोनों नवयुवकों की बारी-बारी से परीक्षा लेनी चाही ।
सबसे पहले उन्होंने पहले नवयुवक को बुलाया और उसके सामने दो बाल्टियां रखवायीं जिनमे से एक पानी से भरी हुई थी और दूसरी खाली थी । राजा ने उसे एक चलनी देते हुए उसे पहली भरी बाल्टी के पानी को दूसरी खाली बाल्टी में चलनी की सहायता से भरने को कहा ।
———-
यह काम काफी मुश्किल था और उसके पास समय भी काफी कम था । नवयुवक ज्यादा देर न करते हुए बाहर की तरफ भागा और बाजार से ढेर सारा मोम खरीद लाया । उसने उस मोम को गर्म करके चलनी के ऊपर डाल दिया । थोड़ी ही देर में चलनी के ऊपर मोम की परत जम गई । फिर उसने फटाफट उसी चलनी के द्वारा पहली भरी बाल्टी के पानी को दूसरी खाली बाल्टी में डालने में सफल रहा ।
राजा ने दूसरे नवयुवकों को रेत से भरा हुआ बंद डिब्बा देते हुए कहा कि
“इसे बिना खोलें क्या तुम इसके अंदर भरी सारी रेत बाहर निकाल सकते हो” हमारी लेटेस्ट (नई) कहानियों को, Email मे प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें. It’s Free !
नवयुवक ने फौरन पास पड़े लोहे की छड़ को रेत से भरे डिब्बे के तल मे दे मारा । जिससे डिब्बे मे नीचे की तरफ एक छोटा सा सुराख हो गया और देखते ही देखते उस सुराख से सारा का सारा रेत बाहर आ गया ।
इसके बाद भी राजा ने उन दोनों की बुद्धिमत्ता को परखने के लिए ढेरों परीक्षाएं ली जिसमें दोनों के दोनों नवयुवक सफल रहें । जिसके कारण राजा के सामने अब एक नई समस्याएं ने जन्म लिया । अब उनके पास राज्य के अगले उत्तराधिकारी के लिए दो-दो नवयुवक थे मगर उनमें से ज्यादा बेहतर कौन हैं । इस बात का निर्णय करना काफी कठिन था ।
———-
तब राजा ने अपने मंत्रीयों की सलाह पर दोनों युवकों को अपने साथ पास के मंदिर में ले गए । वहां उन्होंने दोनों को ही एक-एक स्वर्ण मुद्राएं दी और उन्हें मंदिर के बाहर बैठे भिखारियों में समान रूप से बांटने को कहा, यह बात वाकई में उन्हें परेशान करने वाली थी क्योंकि आखिर एक सोने के सिक्के को सभी भिखारियों में बराबर-बराबर कैसे बांटा जाए । दोनों नवयुवक मन ही मन कुछ सोच विचार करने लगे ।
थोड़ी ही देर में पहला नवयुवक मंदिर के बाहर बनी दुकानों की तरफ दौड़ा और फटाफट वहां से ढेर सारा प्रसाद खरीद लाया । प्रसाद को उसने सर्वप्रथम भगवान के सामने अर्पित किया और फिर उसी प्रसाद को उन भिखारियों में समान रुप से बांट दिया ।
राजा नवयुवक की समझ से काफी प्रभावित हुए और उन्होंने उसे अपने राज्य का अगला उत्तराधिकारी नियुक्त कर दिया ।
कहानी से शिक्षा | Moral Of This Best Inspirational Story In Hindi
मुश्किल से मुश्किल वक्त मे भी हमारी एक छोटी सी समझदारी हमे सफलता के शीर्ष पर पहुँचा सकती है !
Opportunities हमेशा हमें सफलता का द्वार दिखाती है । अब ये हमारी समझदारी पर निर्भर करता है कि हम उन अवसरों को भुना पाते हैं या नहीं । ऐसे बहुत से लोग हैं जो अवसरों को पहचान ही नहीं पाते या उन्हें पहचानने में बहुत देर कर देते है । इतनी देर की फिर उस पर कोई भी एक्शन नहीं लिया जा सकता । वहीं कुछ लोग समय रहते Opportunities को पहचान तो लेते हैं परंतु उनपर पर्याप्त Focus न कर पाने के कारण वे उन्हें गवा बैठते हैं ।
इस कहानी में हमने देखा कि प्रथम युवक ने अपनी हर परीक्षा को एक चैलेंज के रूप में लिया और उनमें सफलता पाने के लिए हर संभव प्रयास करता रहा । उसका प्रयास ईमानदार था जिसका उसे पुरस्कार भी मिला और उसने एक आम आदमी से राज्य के अगले राजा का स्थान अपने लिए मुकम्मल कर लिया । शायद उसने कभी सोचा भी न होगा कि राज्य में रहने वाला एक आम नागरिक उसी राज्य का एक दिन राजा बन जाएगा ।
दोस्तों सफलता के लिए Opportunities की कमी नहीं होती अगर कमी है तो उसे ठीक से पहचानने की, उसे जानने की और उस पर एक्शन लेने की । यदि हम अवसरों को समय रहते पहचान लें और उन पर सही ढंग से प्रयास करें तो मुझे पूरी उम्मीद है कि सफलता ज्यादा देर हमसे दूर नहीं रह सकती । आजकल की गला काट प्रतियोगिता में बहुत से नवयुवक बहुत ही जल्द हार मान ले रहे हैं और समय से पहले ही या यूं कहें कि युद्ध लड़ने से पहले ही उसमे अपनी हार स्वीकार कर ले रहें । ऐसा करना आसान है मगर उचित बिल्कुल भी नहीं कोई भी जंग लड़ने से पहले उसमें पहले ही हार मान लेना बुजदिली होती है समझदारी नहीं इसीलिए बेहतर होगा कि आप अपने आसपास मौजूद अवसरों को पहचाने और अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय दें । सफलता आपको एक न एक दिन निश्चित ही हासिल हो जाएगी ।