अपनी प्रतिभा पहचाने एक शिक्षाप्रद कहानी Identify Your Talents In Hindi

अपनी प्रतिभा को पहचाने, एक शिक्षाप्रद कहानी| प्रतिभा पर प्रेरणादायक कहानी| जैसी प्रतिभा वैसा लक्ष्य| identify your talents top motivational short story in hindi
  बंजारो जैसी जिंदगी जीने वाला भोलू का परिवार सिलबट्टा बनाने का काम किया करता था । एक तरफ जहां भोलू के पिता पत्थरों पर खून पसीना बहाकर उन्हें सिल बट्टे का रूप दिया करते । वही उसकी माँ सिल बट्टे को सर पर लादे घर-घर घूमकर उन्हें बेचने एवं पुराने हो चुके सिलबट्टे पर घिसाई का काम करती ।

  नौ महीने का भोलू माँ के पास बैठे, हाथों में छेनी लिए सिल बट्टे पर लकीरें खींचने की कोशिश करता । जैसे-जैसे भोलू बड़ा होने लगा वैसे-वैसे वो अपनी माँ के कामों में हाथ बटाने लगा । इतना ही नहीं खाली समय में वह बेकार पड़े छोटे-छोटे पत्थरों पर कलाकारी किया करता ।
  जब भोलू लगभग 11 वर्ष का था तब उसने बेकार पड़े एक छोटे से पत्थर से भगवान गणेश की एक सुंदर मूर्ति बनाई ।अपने बच्चे के द्वारा बनाई गई इतनी सुंदर मूर्ति को देखकर माँ काफी हैरान थी और बहुत खुश भी । उसने भोलू से कहा
 “दीपावली आने में अभी एक महीने का समय है तुम ऐसी ही एक सुंदर सी माँ लक्ष्मी की मूर्ति  बनाओ तब हम भी इस बार दीपावली पर गणेश लक्ष्मी की पूजा करेंगे”

इन प्रेरणादायक हिन्दी कहानियों को भी जरुर पढ़ें | Most Popular Motivational Hindi Stories

  भोलू माँ से तारीफ सुनकर बहुत खुश हुआ और माँ लक्ष्मी की मूर्ति बनाने में जी जान से लग गया । तकरीबन एक हफ्ते की लगातार मेहनत के बाद उसने लक्ष्मी जी की भी छोटी सी एक बहुत सुंदर सी मूर्ति बनाई । माँ उसे देखकर बहुत खुश हुई उसने उस मूर्ति को ले जाकर गणेशजी की मूर्ति के साथ ही रख दिया ।

  एक दिन बगल मे रहने वाली उर्मिला ने जब भोलू द्वारा बनाई गई लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा को देखा तो वह उन्हें देखकर बहुत खुश हुई । उसने भोलू की माँ से पूछा 
 “तुमने इन मूर्तियों को कहां से खरीदा । ये तो बहुत महंगी होंगी”
  तब भोलू की माँ ने कहा 
 “नहीं नहीं इसे तो मेरे भोलू ने बनाया है”
  वह यह सुनकर बहुत आश्चर्यचकित हुई उसने कहा 
 “क्यों मजाक कर रही हो, सच बताओ ना कहां से खरीदा”
 तब भोलू की माँ कहती है 
 “मैं सच कह रही हूँ ये मूर्तियां मेरे भोलू ने बनाई है”
  यह सुनकर उर्मिला बहुत हैरान थी । वह उस मूर्ति की काफी तारीफ करने लगी । पर्दे के पीछे खड़ा भोलू अपनी तारीफ सुनकर काफी गदगद हुए जा रहा था ।उर्मिला ने जब भोलू को देखा तब उसने उसे अपने पास बुलाया और उसके माथे पर हाथ फेरते हुए कहा 
  “क्या तुम मेरे लिए भी ऐसी ही मूर्ति बनाओगे मैं तुम्हें ₹2 दूंगी”
  यह सुनकर भोलू बहुत खुश हुआ उसने सर हिलाते हुए हामी भरी और कुछ ही दिनों में उसने बहुत ही सुंदर लक्ष्मी गणेश की मूर्ति, उर्मिला को बनाकर दी । धीरे-धीरे इलाके में भोलू की कलाकारी के चर्चे होने लगे । दिवाली आते-आते आस पड़ोस मे रह रहे अधिकांश लोगों ने ₹2 देकर भोलू से लक्ष्मी गणेश की मूर्ति बनावाई ।
——–
  भोलू के माता-पिता उसके इस हुनर को देखकर बहुत प्रसन्न थे । तभी एक दिन उर्मिला वहां आई और उसने भोलू की माँ से कहा
 “तुम्हारे भोलू के हाथ में जादू है तुम्हें इसका सही इस्तेमाल करना चाहिए तुम्हें भोलू की बनायी मूर्तियों को अपने साथ ले जाना चाहिए । मुझे यकीन है कि भोलू की बनायी मूर्तियों को लोग हाथों हाथ लेंगे और बदले मे तुम्हें अच्छे पैसे भी देंगे”
 भोलू की माँ को उर्मिला की बातें काफी पसंद आई । वह बेटे की बनाई मूर्तियों को सिलबट्टा की पोटली में लिए घूमने लगी । तभी एक दिन उसे पीछे से किसी ने आवाज लगाई । उसने पलट कर देखा तो वहां एक औरत खड़ी थी । वहां पहुंचकर जब भोलू की माँ सिलबट्टा उस महिला को दिखा रही थी तभी उस महिला की नजर पोटली मे रखी गणेश और लक्ष्मी की मूर्तियों पर पड़ी । उसे देखते ही महिला ने तपाक से उन मूर्तियों को अपने हाथों में उठा लिया और कहने लगी 
“कितनी सुंदर मूर्तियां हैं ये तुम कहां से लाती हो”
 “यह मेरा बेटा भोलू बनाता है”
( भोलू  की माँ ने बताया )
  यह सुनकर वह काफी आश्चर्यचकित हुई । उसने कहा 
“क्या तुम इन्हें हमें दे सकती हो हम तुम्हें इन मूर्तियों के बदले पूरे सौ रुपए देंगे”  हमारी लेटेस्ट (नई) कहानियों को, Email मे प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें. It’s Free !
  भोलू की माँ बहुत खुश हुई उसने उस महिला को वो मूर्तियां दे दी ।
  धीरे-धीरे भोलू की बनाई हुई मूर्तियों की चर्चा पूरे क्षेत्र में होने लगीं फलस्वरूप उसकी कमाई भी काफी बढ़ गई अब उसके माता-पिता सिल बट्टे का काम छोड़, मूर्तियां बनाने मे उसका हाथ बटाने लगते हैं ।
———-
  एक बार रात के समय जब भोलू अपने कमरे में बैठा मूर्तियों को तराश रहा था तभी अचानक दरवाजे के छज्जे पर रखे चिराग, को माँ ने उतार कर नीचे फर्श पर रख दिया जिसके कारण कमरे की रोशनी अचानक काफी कम हो गई । 
 “ये क्या माँ तुमने चिराग को नीचे जमीन पर क्यों रख दिया”
(भोलू, माँ से कहता है) 
  तब माँ कहती है
 “तो क्या हुआ बेटा चिराग जमीन पर रहे या छज्जे पर इससे क्या फर्क पड़ता है”
 तब भोलू ने कहा 
 “देखो न माँ रोशनी कितनी कम हो गई है इसे उठाकर फिर से छज्जे पर रख दो क्योंकि इतनी कम रोशनी में काम करना मुश्किल हो रहा है”
  “तो तुमने देखा ना कि जब चिराग को छज्जे से उठाकर नीचे फर्श पर रख दिया गया तो उसकी रोशनी बहुत कम हो गई अर्थात चिराग की सही जगह छज्जे पर है न कि नीचे फर्श पर उसी प्रकार तुम्हारी कला की सही जगह यह छोटा कस्बा नहीं बल्कि कुछ और ही है”
( माँ कहती है)
  भोलू माँ की रहस्यमई बातों को सुनकर काफी चकित है वह माँ से कहता है 
 “साफ-साफ बताओ न माँ, तुम कहना क्या चाहती हो”
  “बेटा तुममे असाधारण क्षमता है जिसकी सही जगह अपना ये छोटा कस्बा नही बल्कि महानगर है । तुम्हें अपनी कला को प्रमाणित करने के लिए महानगर की ओर रुख करना होगा फिर देखना कैसे पूरी दुनिया तुम्हारी कला की दीवानी हो जाती है”
  भोलू माँ की बातों को समझ जाता है और वह अपने औजारों के साथ महानगर की ओर चल पड़ता है । वक्त के साथ भोलू की माँ की कही बातें सच साबित होती हैं और देखते ही देखते भोलू एक बहुत बड़ा मूर्तिकार बन जाता है । उसकी मूर्तियों की चर्चा अब देश विदेशों में हो रही है । 

कहानी से शिक्षा | Moral Of This Best Inspirational Story In Hindi 

    यदि आप भी भोलू की तरह ही असाधारण प्रतिभा के स्वामी हैं तो आपको भी अपनी प्रतिभा के अनुरूप अपना लक्ष्य  बनाना  होगा ताकि आप अपनी क्षमताओं का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकें !
जिस प्रकार चिराग की सही जगह ऊंचाई है न कि फर्श उसी प्रकार आपको अपनी प्रतिभा को समझना होगा और अपनी प्रतिभा के अनुसार अपनी जगह भी निर्धारित करनी होगी ।

                             

   Writer
 Team MyNiceLine.com
यदि आप के पास कोई कहानी, शायरी , कविता  विचार या कोई जानकारी ऐसी है जो आप यहाँ प्रकाशित करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपने नाम और अपनी फोटो के साथ हमें इस पते पर ईमेल करें:

  Contact@MyNiceLine.com
  हम  आपकी पोस्ट को, आपके नाम और आपकी फोटो (यदि आप चाहे तो) के साथ यहाँ पब्लिश करेंगे ।

अपनी प्रतिभा पहचाने एक शिक्षाप्रद कहानी Identify Your Talents In Hindi आपको कैसी लगी, कृपया नीचे कमेंट के माध्यम से हमें बताएं । यदि कहानी पसंद आई हो तो कृपया इसे Share जरूर करें !

author

Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी एवं कविताएं कहने का भी बहुत शौक है । आपको, अपने निजी जीवन एवं कार्य क्षेत्र में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने की कोशिश करते रहे हैं ।

इन्हें भी पढें...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!