छुट्टियों में अपने माता-पिता के साथ गांव आए दिनेश को गांव की प्राकृतिक सुंदरता बहुत भा रही है परंतु गांव में उसका कोई हमउम्र नही है जिसके कारण उसे एक अच्छी कंपनी नहीं मिल पा रही है । दिनेश के आस-पड़ोस में या तो बहुत उम्रदराज लोग हैं या तो फिर छोटे बच्चे हैं जिसके कारण वह धीरे-धीरे बोर होने लगता है ।
परंतु जहां चाह वहां राह, दिनेश आखिरकार गांव के छोटे-छोटे बच्चों के साथ ही दोस्ती कर लेता है और फिर उनके बीच शुरू होता है, कबड्डी का खेल । इस खेल में दो टीमें बनाई जाती है जिसमें एक तरफ दिनेश है तो दूसरी तरफ आस-पड़ोस के कुल 10 बच्चे ।
इसप्रकार दोनो टीमों के बीच मैच शुरू तो हो जाता है परंतु दिनेश के पाले में जाने का साहस किसी भी बच्चे में नही, लिहाजा दिनेश ही बच्चों के पाले में कबड्डी कबड्डी बोलते हुए आता है और उन 10 बच्चो की टीम में कुल 9 बच्चों को छूकर, वापस अपने पाले में लौट आता है ।
इसप्रकार ग्रुप में नॉटआउट बचा हुआ, एकमात्र कन्हैया, दिनेश के पाले में कबड्डी कबड्डी बोलता हुआ आ रहा है । वह डरा हुआ जरूर है परंतु उसके चेहरे पर एक छोटी सी मुस्कान भी है । पास पहुंचते ही दिनेश लपककर उसे अपनी गोद में उठा लेता है और उसे तब तक नहीं छोड़ता जब तक उसकी सांस नहीं टूट जाती । इस तरह दिनेश बच्चों के साथ हर एक मैच में अपनी जीत दर्ज कर रहा है ।
एक दिन जब दिनेश कबड्डी के इस खेल के दौरान बच्चों के पाले में जाता है तब अचानक सारे बच्चे उसे एक गोल घेरे में घेर लेते हैं बच्चो की ऐसी रणनीति को देख दिनेश के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है । थोड़ी ही देर में सारे बच्चे उसके दोनो पैरों को कसकर पकड़ लेते हैं और उसे नीचे गिरा देते हैं ।
दिनेश मुंह के बल जमीन पर गिरता है । अभी वह कुछ सोच पाता कि तब तक कुछ बच्चे उसके पैरों को छोड़ उसके हाथों को जोर से जकड़ लेते हैं । और वहीं कुछ बच्चे तो उसके उसपर ही कूद जाते हैं । दिनेश खुद को पेट के बल जमीन पर घसीटता हुआ मध्य रेखा की तरफ बढने की कोशिश करता है वहीं सारे बच्चे उसे पीछे की तरफ खींचने में लगे हैं ।
बच्चों के साथ हो रहे इस महायुद्ध में दिनेश पसीना-पसीना हो रहा है उसकी सांस भी टूटने की कगार पर है । काफी देर तक उनके बीच जीत-हार का खेल यूँ ही चलता रहता है और आखिरकार दिनेश को मध्य रेखा पर हाथ रखने में सफलता मिलती है ।
वह करवट बदलता है और पीठ के बल जमीन पर सीधा लेट जाता है । लेटे-लेटे व नीले आसमान को बहुत शांत आंखों से देख रहा है उसके शरीर से ढेर सारा पसीना निकल रहा है उसकी धड़कने भी काफी तेज है परंतु इस जीत से वह बहुत खुश है ।
वैसे तो अब तक दिनेश ने बच्चों को हर मुकाबले में हराया था परंतु यह मुकाबला कुछ अलग ही था । उसे इस बार जो खुशी मिली है वह इतने मुकाबलो में पहले कभी नहीं मिली थी उसके चेहरे पर जीत की चमक बिल्कुल साफ देखी जा सकती है । उसका रोम-रोम मानो जीत का जश्न मना रहा है । दिनेश को जितना मजा जीतने में नहीं आ सका था, उससे कहीं ज्यादा जूझने में आया है ।
कहानी से शिक्षा | Moral Of This Short Motivational Story In Hindi
दोस्तों वैसे सफलता हमें छोटे-मोटे संघर्ष से भी प्राप्त हो सकती है परंतु अत्यधिक संघर्ष के बाद मिली सफलता का मजा ही कुछ और होता है इसलिए कठिनाइयों से कभी मायूस नहीं होना चाहिए क्योंकि एक बड़े संघर्ष के बाद मिली सफलता न सिर्फ अत्यधिक खुशी प्रदान करती है बल्कि उससे हमें सीखने को भी बहुत कुछ मिलता है इसलिए दोस्तों संघर्ष करने से कभी ना घबराए क्योंकि संघर्ष ही जीवन है ।
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