ऐसे में लोगों की आशाए और उम्मीदें झीनक पर टिकी रहती परंतु सबकी आशा और उम्मीदों के बिल्कुल विपरीत झीनक सुबह नाश्ते में चने की घुघरी, बहुत ही खराब क्वालिटी की चाय उन्हे वह उपलब्ध कराता ।11:00 बजे के बाद उसका समोसा तैयार होता और दोपहर होते-होते वह प्याज की पकौड़ियां तलता । इतने में ही उसका पूरा दिन बीत जाता ।
दुनिया की सबसे अच्छी इन हिंदी कहानियो को भी जरुर पढ़ें | Top Motivational Hindi Stories
“अरे मालिक यहाँ कौन है जो सामान के अच्छे पैसे मुझे देगा । अभी तो जो मैं बनाता हूं उसी का पैसा लोग मुझे नहीं दे पाते । कईयों के तो उधार सालों से चल रहे हैं । ऐसे में अगर मैं कुछ और बनाऊंगा तो उसे खाने वाले तो बहुत मिल जाएंगे । मगर उसके पैसे कोई नहीं देगा”
वैसे भी वह जो कुछ भी बना कर रख देता है । गांव वाले उसे चट कर जाते हैं । ऐसी में उसे ज्यादा दौड़ भाग करने की, ज्यादा सर खुजलाने की जरूरत ही क्या है । धीरे धीरे काफी दिन गुजर गया झीनक की दुकान जैसे पहले थे वैसे ही आज भी है, न उसमें कोई परिवर्तन आया न उसकी दुकान में ।
“देखते जाइए साहब दुकान खुल तो रही है मगर चलती कितने दिन हैं मैं यहां वर्षों से रह रहा हूं और मैं यहां के लोगों के रग-रग से वाकिफ हूं मैं जानता हूं कि मेरे सिवा यहां कोई नहीं टिक सकता । कितना नुकसान सहके भी मै यहां चुपचाप पड़ा रहता हूं ये तो मै ही जानता हूं लोग मुझे जो दे देते हैं मैं वह खुशी-खुशी रख लेता हूं । अभी दुकान खुल जाने दो फिर आप भी देखना दो-चार दिन वह दुकान चाहे चला ले उसके बाद तो उसे यहां से जाना ही होगा । यहां रहकर जो त्याग और तपस्या मैने किया है वह कोई नहीं कह कर सकता”
अब तो झीनक की दुकान पर वही आता जिसको ₹3 की चाय पीनी होती । जिसकी जेब में भी ₹5 या उससे ज्यादा होते वह सामने वाली दुकान पर ही जाता । ऐसे में उधारी देने वालों को छोड़कर लगभग सभी लोग झीनक की दुकान से नदारद हो गए झीनक की दुकान पर ग्राहकों की संख्या अचानक जमीन पर आ जाने से झीनक घबरा गया । मगर फिर भी उसमें उम्मीद बाकी थी । उसको लग रहा था कि महीना बीतते बीतते स्थिति फिर से सामान्य हो जाएगी और लोग महंगी दुकान को छोड़ कर उसकी दुकान पर वापस लौट आएंगे ।
झीनक की दुकान पर बुजुर्ग बुद्धिजीवी लोग आज भी आते और उससे सामने वाली दुकान के बारे में चुटकियां लेते हैं । पहले तो वह चुटकियां झीनक को भी अच्छी लगती । लोग कढ़ाते हैं और झीनक उसको पूरा करता है परंतु आज उसे उनकी बातें मानो जहर के जैसी लग रही थी ।
उसे अपने पकवानों में बदलाव लाने की बहुत जरूरत है अन्यथा उसकी दुकान के बंद होने की नौबत आ जाएगी । परंतु ग्राहकों की कमी से जूझ रहे झीनक को घर का खर्च चलाना भी मुश्किल हो रहा था । उसने कई बार गांव वालों से कर्ज लेकर घर का खर्च चलाने की कोशिश की थी ।
खराब स्वास्थ्य की वजह से वह काफी कमजोर भी हो चुका था । ऐसे में सामने वाले की दुकान की बराबरी करने के लिए उसे कुछ भर्ती की आवश्यकता थी । जिसके लिए उसके पास पैसे बिल्कुल भी नहीं थे ।
चूंकि झीनक अपने पूरे जीवन में सिर्फ चाय, बर्फी, बूंदी के लड्डू, चने की घुघरी, समोसे और प्याज की पकौड़ी के सिवा और कुछ भी बनाना नहीं सीखा था, ऐसे में अचानक जब जेब में फूटी कौड़ी न होन ऐसी स्थिति में इस चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना करना उसके लिए असम्भव सा हो रहा था ।
देखते ही देखते काफी समय गुजर गया । इस दौरान झीनक ने थोड़ी बहुत कोशिश जरूर की परंतु सामने वाली दुकान के सामने उसकी कोशिशे बिल्कुल विफल रहा । जिसके कारण उसके ऊपर कर्ज का बोझ इतना हो गया कि जिसे चुकाना उसके लिए अब संभव नहीं था ।
इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है | Moral Of This Inspirational Hindi Story
कभी ऑडियो कैसेट को सीडी ने और सीडी को फिर डीवीडी ने चेंज कर दिया । आज जमाना पेन ड्राइव का है कल जमाना कोई और होगा अगर हम खुद को अपडेट नहीं कर सके , नई-नई चीजों को नहीं सीख सके तो हो सकता है कि कल की चुनौतीपूर्ण परिवेश में हम न टिक सके और रिटायर होने से पहले ही वक्त हमे रिटायर कर दे । आज से ये प्रण करें कि महीने में कम मे कम एक बार ही सही अपने करियर अपने बिजनेस मे कुछ नया करने की पूरी कोशिश करेंगे और कोशिश ही नहीं कुछ नया जरूर करेंगे और जो कर रहे हैं उसे और ज्यादा बेहतर करेंगे ।
क्या करें ? कैसे करें ? और कहां करें ?
“दूसरे तो इतना भी नहीं कर पाते । मैने तो फिर भी बहुत कर लिया”
मैं उनसे कहना चाहता हूं कि ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है क्योंकि कंपटीशन के दौर में कब चीजें बदल जाएंगी यह बता पाना मुश्किल है ।
“क्या आपने कुछ नया सीखा प्रेरणादायक कहानी | Inspirational Story In Hindi“ आपको कैसी लगी, कृपया नीचे कमेंट के माध्यम से हमें बताएं । यदि कहानी पसंद आई हो तो कृपया इसे Share जरूर करें !