जेब्रा का जीवनकाल अन्य शाकाहारी जानवरों की तरह ही होता है उसे भी शिकारी जानवरों के साथ लड़ते हुए जीना पड़ता है लेकिन वह जीना नही छोड़ते वह संघर्ष करते हैं जब गर्मियों का मौसम शुरू होता हे तो उसके बाद से उनका प्रवास शुरू हो जाता है, जेब्रा छोटे छोटे झुण्ड में होते है इसी तरह एक झुण्ड था जो इस प्रवाश में चल रहा था जिसमे एक नर जो इस झुण्ड का मुखिया था और 5 मादा थी
इस में 3 गर्भवती थी झुण्ड में सफ़र करने वाला एक नवजात बच्चा था जो जन्म लेने के आधे घंटे बाद ही चलना शुरू कर दिया था , और एक युवा जेब्रा भी था ,प्रवास में चलते समय जहाँ भी हरी घास मिलती वह घास को चरते थे थोड़ा आराम करते फिर चलने लगते ,उनको एक शेर झाड़ियों में दिखा
नर –“तुम सब घबराओ नही ,सब एक सीधी लाइन में शेर की तरफ मुहँ कर के खड़े हो जाओ , अक्सर शेर बूढ़े ,कमजोर और बीमार जानवरों पर अटैक करते हैं , जब उनको आसानी से शिकार नही मिलता है तब ही वो जोखिम भरा शिकार करते है”
जेब्रा कुछ देर उसी तरह खड़े रहे लेकिन शेर ने कोई हरकत नही की ।
इस में 3 गर्भवती थी झुण्ड में सफ़र करने वाला एक नवजात बच्चा था जो जन्म लेने के आधे घंटे बाद ही चलना शुरू कर दिया था , और एक युवा जेब्रा भी था ,प्रवास में चलते समय जहाँ भी हरी घास मिलती वह घास को चरते थे थोड़ा आराम करते फिर चलने लगते ,उनको एक शेर झाड़ियों में दिखा
नर –“तुम सब घबराओ नही ,सब एक सीधी लाइन में शेर की तरफ मुहँ कर के खड़े हो जाओ , अक्सर शेर बूढ़े ,कमजोर और बीमार जानवरों पर अटैक करते हैं , जब उनको आसानी से शिकार नही मिलता है तब ही वो जोखिम भरा शिकार करते है”
जेब्रा कुछ देर उसी तरह खड़े रहे लेकिन शेर ने कोई हरकत नही की ।
नर जेब्रा बोला “ चलो अभी हमे कोई खतरा नही है शेर हम पे हमला करने वाला नही है लेकिन हमे सावधान रहना होगा” ,
रात हो गई जेब्रा अपने झुण्ड के साथ अन्य शाकाहारी जानवरों के पास ही रुका रहा ताकि सुरक्षित रहे फिर सुबह होते ही वह चल पड़े लेकिन रात में कुछ ऐसा हुआ जिसकी खबर झुण्ड के सदस्यों को सुबह हुई ,रात में जब शेर ने शाकाहारी जानवरों पर हमला किया उस समय उनके झुण्ड से एक मादा जेब्रा को उसने अपना शिकार बना लिया था ।
रात हो गई जेब्रा अपने झुण्ड के साथ अन्य शाकाहारी जानवरों के पास ही रुका रहा ताकि सुरक्षित रहे फिर सुबह होते ही वह चल पड़े लेकिन रात में कुछ ऐसा हुआ जिसकी खबर झुण्ड के सदस्यों को सुबह हुई ,रात में जब शेर ने शाकाहारी जानवरों पर हमला किया उस समय उनके झुण्ड से एक मादा जेब्रा को उसने अपना शिकार बना लिया था ।
नर जेब्रा “मैं तुम को नही बचा सका इस रात के अँधेरे में हमने तुम को खो दिया ,मेरी जिमेदारी थी तुम्हारी रक्षा करना “
मादा जेब्रा – सब कुछ अपने हाथ में नही होता है ,
सबने एक दूसरे को सांत्वना दिया फिर आगे बढ़ चले प्रवास के दौरान चलते ही रहना होता है ।
———
नवजात जेब्रा अपनी माँ के आस पास ही रहता अभी रात में ही तो उसने जन्म लिया था ,नवजात जेब्रा से उसकी माँ बोली “ तुम मेरे आस पास ही रहा करो “
“क्यों माँ “– नवजात जेब्रा ने पुछा, उसकी माँ बोली – “क्योंकि हम जब झुण्ड में होते हैं तब हम पर शिकारी जानवर हमला कम करते है और हम सुरक्षित रहते हैं ।
, “ लेकिन माँ हमारी ये चमकती धारियाँ “ – युवा जेब्रा ने पुछा ? वह आगे बोला “ ये न होती तो हम कही भी छिप जाते इससे तो हम कहीं छिप भी नही सकते “
, “ लेकिन माँ हमारी ये चमकती धारियाँ “ – युवा जेब्रा ने पुछा ? वह आगे बोला “ ये न होती तो हम कही भी छिप जाते इससे तो हम कहीं छिप भी नही सकते “
मादा जेब्रा – “ये चमकती धारियाँ हमें झुण्ड में बचाती है शिकारी जानवरों से , वे दूर से समझ नहीं पाते हैं कि हम अकेले है या दो या कई “
नवजात जेब्रा –“ माँ हम थोड़ी देर और रुक नही सकते“
मादा जेब्रा – नही बेटा , अगर हम रुके तो हम पीछे रह जायेगे , और शिकारी जानवरों का शिकार बन सकते है ,
नवजात जेब्रा – “माँ मुझे पानी पीना है “ (प्रवास के दौरान पानी की भी एक बड़ी समस्या रहती है )
मादा जेब्रा – “बेटा थोड़ी देर रुको इन बड़ी सींघ वाले जानवरों को जाने दो ये पानी पीने में दिक्कत करेंगे “ मादा जेब्रा ने नवजात जेब्रा से कहा
अभी वे उनके जाने का इंतजार कर ही रहे थे कि तभी हाथियों का झुण्ड आ गया अब तो सभी जानवरों को हटना पड़ा , हाथियों के जाने के बाद बड़ी बड़ी घूटों से जेब्रा ने अपनी प्यास बुझाई फिर आगे चल दिए , बारिश की बूँदे शुरू हुई अब जाकर कहीं चलते रहने की ये जंग अब रुकने वाली थी
लेकिन एक बड़ी बाधा थी इस में एक नदी ,जिसे पार करने के लिए सैकड़ो भैंसो के साथ जिराफ और अन्य जानवर खड़े थे लेकिन किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी क्योंकि नदी में मगरमच्छों का झुण्ड था हिम्मत करके तीन चार जानवर नदी में उतरे लेकिन वह पानी की धार में बह गए और आगे जाकर मगरमच्छो का शिकार बन गये
ये देख सभी जानवर डर गए लेकिन मजबूरी ये थी की नदी तो पार करनी ही थी जेब्रा के साथ अन्य जानवरों का झुण्ड भी पानी में उतरा और मगरमच्छो से बचते हुए नदी को पार किया । जेब्रा का ये झुण्ड तो बच कर निकल गया लेकिन कई जानवरों के बच्चे नदी को पार नही कर पाए
लेकिन एक बड़ी बाधा थी इस में एक नदी ,जिसे पार करने के लिए सैकड़ो भैंसो के साथ जिराफ और अन्य जानवर खड़े थे लेकिन किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी क्योंकि नदी में मगरमच्छों का झुण्ड था हिम्मत करके तीन चार जानवर नदी में उतरे लेकिन वह पानी की धार में बह गए और आगे जाकर मगरमच्छो का शिकार बन गये
ये देख सभी जानवर डर गए लेकिन मजबूरी ये थी की नदी तो पार करनी ही थी जेब्रा के साथ अन्य जानवरों का झुण्ड भी पानी में उतरा और मगरमच्छो से बचते हुए नदी को पार किया । जेब्रा का ये झुण्ड तो बच कर निकल गया लेकिन कई जानवरों के बच्चे नदी को पार नही कर पाए
नवजात जेब्रा ने अपना पहला प्रवास सुरक्षित पूरा किया , जन्म के आधे घंटे बाद से ही चलाना शुरू किया था जो अब जा कर रुका ,इस झुण्ड ने एक मादा को खोया और पानी के लिए इंतजार और अंत में नदी पार करते समय मगरमच्छो से बच कर निकल पाने में सफल रहे ,
Moral of the story :-
फिर अगला प्रवास भी ऐसा ही होगा शिकारी जानवरों से बचना, पानी के लिए जंग और अंत में नदी को पार करना, प्रवास के दौरान सिर्फ चलते रहना है ,जीवन की ये ही सच्चाई है जो सभी के साथ है जीवन में चलते ही रहना है रुकना नही हैं कोई भी समस्या क्यों न हो , बड़ी से बड़ी मुसीबत से निकलना ही होगा आप को , जॅाब हो या पढ़ाई इसमें आने वाली हर समस्या से हमे निपटना होगा, जिंदगी में चलते ही रहना है रुकने का मतलब हैं आप बहुत पीछे रह जायेंगे ।
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Writer
Prabhakar
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